विनय एक्सप्रेस समाचार, बीकानेर। अजित फाउण्डेशन सभागार में कथाकार पूर्णिमा मित्रा के कहानी संग्रह ‘बदलते रिश्ते’ पर पुस्तक चर्चा आयोजित की गई। इस कार्यक्रम की अध्यक्षयता करते हुए कवि कथाकार राजाराम स्वर्णकार ने अपने उद्बोधन में कहा कि संग्रह की कहानियां पाठकों को पढने पर मजबूर करती है। डिजिटल युग में आपसी रिष्ते केवल दिखावटी रह गए है। इस विषय वस्तु को लेखिका ने अपनी कहानियों के माध्यम से बखूबी उजागर किया है।
पहली समीक्षक कहानीकार ज्योति वधवा रंजना ने अपनी समीक्षा में कहा कि यह कहानी संग्रह लेखक और पाठक के बीच गहरा संबंध स्थापित करने में सक्षम है। कहानियां कहानीकार के अन्तर्मन की समीक्षा होती है। जिसकों वह अपने शब्दों में कथ्य और षिल्प के माध्यम से प्रस्तुत करने का प्रयास करती है। उनका मानना है कि पूर्णिमा मित्रा का सृजन ‘‘योग्यता अंधेरे में पनपती है’’ कथन का जीता जागता उदाहरण है।
दूसरी समीक्षक के रूप में अपनी बात कहते हुए कवयित्री सुश्री कपिला पालीवाल ने कहा कि बदलते रिष्ते कहानी संग्रह में सामाजिक कुरितियों और दकयानुषी सोच पर चोट की है। लेखिका ने समय के साथ रिष्तों में आने वाले बदलाव अपनी कहानियों के माध्यम से प्रस्तुत किया है।
पुस्तक की लेखिका सुश्री पूर्णिमा मित्रा ने अपनी सृजन यात्रा को साझा करते हुए बताया कि मैं अपने आस-पास के परिवेष में जो कुछ घटित होता है उनकी अभिव्यक्ति कहानियों के माध्यम से प्रस्तुत करने का प्रयास करती हूं। कार्यक्रम संयोजक व्यंग्यकार सम्पांदक डॉ. अजय जोशी ने कहा कि पूर्णिमा मित्रा की अधिकांष कहानियों का परिवेष सामाजिक ताना-बाना है, जिसें वह अपनी रचनाओं के माध्यम से संप्रेषित करने में सफल रही है।
षिव कुमार आर्य ने पुस्तक पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि साहित्य की चाहे कोई भी विद्या हो उसमें अनुगूंज होनी चाहिए ताकि जितनी बार उस रचना को पढा जाए वह रचना एक नवीनता और ताजगी लिए हुए हो। डॉ. पंकज जोशी ने पूर्णिमा जी के कहानी संकलन को परिपूर्ण सामाजिक परिपेक्ष्य बताया।
संस्था कार्यक्रम समन्वयक संजय श्रीमाली ने पुस्तक चर्चा कार्यक्रम के बारे में विस्तार से बताया तथा कार्यक्रम संचालन किया। डॉ. फारूक चौहान ने पुस्तक के प्रकाषन और तकनीकी पक्षों पर अपने विचार व्यक्त किए। इनके अतिरिक्त बाबूलाल छंगाणी, प्रेमनारायण व्यास, संजय हर्ष, डॉ. पंकज जोषी, बी.एल. नवीन ने पुस्तक के विभिन्न आयामों पर अपने समीक्षात्मक विचार प्रस्तुत किए।