राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन कार्यक्रम : रीड़ी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हुआ एनक्वास सर्टिफाइड अस्पताल, मिलेंगे 9 लाख रुपए इंसेंटिव

विनय एक्सप्रेस समाचार, बीकानेर। राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन कार्यक्रम के अंतर्गत यूपीएचसी नंबर 7 व पीएचसी काकड़ा के बाद श्रीडूंगरगढ़ तहसील का प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र रीड़ी भी एनक्यूएएस सर्टिफाइड अस्पताल बन गया है। इसके लिए पीएचसी को 3 साल तक 3-3 लाख रुपए इंसेंटिव प्राप्त होगा। जिला कलेक्टर भगवती प्रसाद कलाल ने मात्र 2 माह में तीन अस्पतालों को सर्टिफाई करवाने पर टीम बीकानेर को बधाई दी और जिले की अधिकाधिक अस्पतालों को एंक्वास सर्टिफाई करवाने की कार्यवाही के लिए निर्देशित किया।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मोहम्मद अबरार पंवार ने बताया कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के संयुक्त सचिव द्वारा इस आशय का पत्र राज्य के स्वास्थ्य सचिव डॉ. पृथ्वीराज को भेजकर बधाई प्रेषित की गई है। गुणवत्ता आश्वासन कार्यक्रम के जिला नोडल अधिकारी एवं डिप्टी सीएमएचओ परिवार कल्याण डॉ योगेंद्र तनेजा ने बताया कि रीड़ी पीएचसी ने राष्ट्रीय मूल्यांकन टीम द्वारा मूल्यांकन में 79.73% अंक प्राप्त कर यह कीर्तिमान बनाया है। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन कार्यक्रम के अंतर्गत प्रत्येक पीएचसी को 6 चेक लिस्ट अनुसार मानदंडों से गुजरना होता है और कम से कम 70% अंक प्राप्त करने होते हैं। प्रत्येक पीएचसी का स्वयं के स्तर, जिला, राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर मूल्यांकन करवाया जाता है।
रीड़ी पीएचसी की चिकित्सा अधिकारी प्रभारी डॉ जागृति सियाग ने बताया कि जीएनएम भरत सिंह सहित पूरे स्टाफ ने कड़ी मेहनत कर इंफ्रास्ट्रक्चर, हाइजीन, सेवा गुणवत्ता, संसाधनों की उपलब्धता, मरीजों के अधिकार, रिपोर्टिंग व डाटा संधारण जैसे महत्वपूर्ण मानदंडों पर बेहतरीन अंक प्राप्त किए हैं।
कायाकल्प अवार्ड व एनक़्वास सर्टिफिकेशन के पीछे है यह टीम
डॉ अबरार ने बताया कि वित्तीय वर्ष के 2 माह से भी कम समय में तीन अस्पताल एनक्वास सर्टिफाई हो चुके है और 63 अस्पतालों को कायाकल्प अवार्ड मिला है। इसके पीछे संबंधित डॉ योगेंद्र तनेजा के निर्देशन में अस्पताल के प्रभारी व स्टाफ के साथ-साथ पूरे काम, मूल्यांकन व प्रक्रिया को देखने वाली जिला स्तरीय टीम का बड़ा योगदान रहा है। दल में शामिल नर्सिंग अधिकारी महिपाल सिंह, आयुष चिकित्सक डॉ गजेंद्र सिंह तंवर व पीएचएम रितेश गहलोत द्वारा पूरे जिले में एक-एक अस्पताल जाकर सभी मापदंडों अनुसार प्रशिक्षण, मूल्यांकन व संवर्धन कार्य करवाए गए।