ज्ञान-विज्ञान की केन्द्र हैं पांडुलिपियां, वैज्ञानिक तरीके से हो इनका संरक्षण पांच दिवसीय पांडुलिपि प्रशिक्षण कार्यशाला प्रारम्भ

विनय एक्सप्रेस समाचार, बीकानेर। राजस्थान संस्कृत अकादमी एवं विश्व हैरिटेज एंड पांडुलिपि शोध संस्थान जयपुर के तत्वावधान् में पांच दिवसीय पांडुलिपि प्रशिक्षण कार्यशाला मंगलवार को आसाणियों के चौक स्थित सूरज भवन में प्रारम्भ हुई।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कला एवं संस्कृति मंत्री डाॅ. बी. डी. कल्ला थे। उन्होंने कहा कि हमारे वेद, पुराण, जैन एवं बौद्ध शास्त्र एवं ग्रन्थ संस्कृत भाषा में रचे गए हैं। यदि संस्कृत का ज्ञान नहीं हुआ तो यह भाषा और इससे जुड़ा गूढ़ ज्ञान खत्म हो जाएगा। उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा में जैसी संप्रेषण की ताकत है, वह दूसरी किसी भाषा में नहीं है।
डाॅ. कल्ला ने कहा कि राजस्थान संस्कृत अकादमी द्वारा संस्कृत भाषा के प्रसार, संरक्षण एवं उन्नयन की दिशा में उल्लेखनीय कार्य किया जा रहा है। युवा पीढ़ी को पांडुलिपि से जुड़ा प्रशिक्षण देना इसी श्रृंखला की कड़ी है। उन्होंने कहा कि यह पांडुलिपियां ज्ञान-विज्ञान की केन्द्र हैं। इन पांडुलिपियों को हजारों वर्षों तक संरक्षित रखने और आवश्यक केमिकल ट्रीटमेंट का कार्य भी किया जाए।
कला एवं संस्कृति मंत्री ने कहा कि अकादमी द्वारा उपयोगी पांडुलिपियों का अनुवाद और प्रकाशन भी किया जाए। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षणार्थियों को भारतीय प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान का अवलोकन करवाएं, जिससे इन्हें पांडुलिपियों की जानकारी मिल सके। इससे पहले उन्होंने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की विधिवत शुरूआत की। विभिन्न लिपियों के चार्ट तथा राष्ट्रीय गान एवं राष्ट्रीय गीत के संस्कृत अनुवाद का विमोचन किया।
इस अवसर पर राजस्थान संस्कृत अकादमी की अध्यक्ष डाॅ. सरोज जैन ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने सैकड़ों वर्षों के शोध को इन पांडुलिपियों में संकलित किया है। अकादमी इनके संरक्षण की ओर कार्य कर रही है। उन्होंने सुझाव दिया कि स्कूली विद्यार्थियों को लिपि लेखन के लिए तैयार किया जाए। इससे अनुसंधान कार्यों में मदद मिलेगी। उन्होंने पांडुलिपि अनुसंधान करने वालों को छात्रवृत्ति प्रदान करने और पांडुलिपि प्रशिक्षण केन्द्र स्थापित करने का सुझाव भी दिया।
अकादमी निदेशक डाॅ. राज कुमार जोशी ने कहा कि संस्थान के पास विभिन्न विषयों एवं विधाओं की एक लाख से अधिक पांडुलिपियां संरक्षित हैं। संस्थान द्वारा राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन से जुड़ने का प्रयास भी किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि प्रशिक्षण में 40 प्रशिक्षणार्थी भाग लेंगे। कार्यक्रम में प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान के अनुसंधान अधिकारी डाॅ. नितिन गोयल बतौर अतिथि मौजूद रहे।
कार्यक्रम में विजय कोचर, बनवारी शर्मा, गायत्री प्रसाद शर्मा, ऋषभ नाहटा, प्रीतम बरड़िया, संभागीय संस्कृत शिक्षा अधिकारी बीकानेर डॉ. किशन लाल उपाध्याय, संस्कृत शिक्षा विभाग के वरिष्ठ उप निरीक्षक पवन कुमार शर्मा सुनील खत्री, सुरेन्द्र शर्मा तथा सुमित कोचर सहित अनेक लोगों ने शिरकत की।