विनय एक्सप्रेस समाचार, बीकानेर। परमार्थ साधक सेवा समिति की ओर से पारीक चौक में चल रही शिव महापुराण कथा के दौरान व्यास पीठासीन ब्रह्मचारी शिवेंद्र स्वरूप जी महाराज ने श्री शिव महापुराण कथा के आज नवम सोपान की कथा में कहा कि गृहस्थ में रहकर भी योग साधना कर सकते है। भगवान शिव भी योग करते है। मनुष्य के जीवन मे 16 संस्कार गर्भाधान, पुंसवन, सीमन्तोन्नयन, जातकर्म, नामकरण, निष्क्रमण, अन्नप्राशन, चूड़ाकर्म, विद्यारंभ, कर्णवेध, यज्ञोपवीत, वेदारम्भ, केशान्त, समावर्तन, विवाह तथा अन्त्येष्टि संस्कार है। जब पुत्री को विदा किया जाता तब माँ मैना देवी ने माता उमा को कहा कि ससुराल में पीहर का मान बढ़ाना, सदैव पति का सम्मान करना। गृहस्थ में पत्नी का धर्म क्या है जो ब्राह्मण पत्नी ने पार्वती को सदशिक्षा दी भगवान् शंकर की सदा सेवा करनी चाहिये। पातिव्रत्य-धर्म में तत्पर रहने वाली स्त्री अपने प्रिय पति के भोजन कर लेने पर ही भोजन करे। जब पति खड़ा हो, तब साध्वी स्त्री को भी खड़ी ही रहनी चाहिये। शुद्धबुद्धि वाली साध्वी स्त्री प्रतिदिन अपने पति के सो जाने पर सोये और उसके जागने से पहले ही जग जाय। वह छल-कपट छोड़ कर सदा उसके लिये हितकर कार्य ही करें। पति के कटु वचन कहने पर भी वह बदले में कड़ी बात न कहे। पति के बुलाने पर वह घर के सारे कार्य छोडक़र तुरंत उसके पास चली जाय। कोई गोपनीय बात जानकर हर एक के सामने उसे प्रकाशित न करे। पति की आज्ञा लिये बिना कहीं तीर्थयात्रा के लिये भी न जाय। धीरज, धैर्य, धर्म, मित्र की परीक्षा आपत्ति काल में ही होती है।
इससे पहले सुबह आचार्य सुधांशु पारीक, पं. कन्हैयालाल पारीक के आचार्यत्व में यजमान चांदरतन व्यास, ईश्वरचन्द, जयप्रकाश के परिवार द्वारा रुद्राभिषेक व व्यास पूजन किया गया। कथा में महावीर रांका पूर्व अध्यक्ष यूआईटी, देवकिशन चांडक, बालसंत छैलबिहारी महाराज, महंत विर्मशानन्द जी महाराज ने भी अपने विचार रखें। कथा में आज के कार्यकर्ता रूपशंकर, मनमोहन व्यास, तुलसीदास व्यास, महिला मंडल में उषा पारीक, रेणु पांडिया, सुमन पारीक, यशोदा आदि अनेक कार्यकर्ताओं ने सेवाएं प्रदान की।