विनय एक्सप्रेस समाचार, बीकानेर। हिन्दी- राजस्थानी के कवि-कथाकार संजय आचार्य वरुण के बाल कथा संग्रह ‘ सुनो कहानी, पढ़ो कहानी’ का लोकार्पण रविवार को सुदर्शन कला दीर्घा, नागरी भंडार में किया गया। लोकार्पण के बाद वरिष्ठ कवि-कथाकार मालचंद तिवाड़ी ने अपने उद्बोधन में योग वशिष्ठ के हवाले से कहा कि ये संसार एक कहानी सुनने के बाद उत्पन्न हुए प्रभाव जैसा है। हमारे जीवन में हर तरफ कहानी ही कहानी है। उन्होंने कहा कि कहानी आज के अत्याधुनिक डिजिटल युग में भी सर्वाधिक पढ़ी जाने वाली विधा है। उन्होंने संजय आचार्य वरुण की बाल कहानियों को बाल पाठकों के लिए सहज, सरल और बोधगम्य बताया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जवाहरलाल नेहरू बाल साहित्य अकादमी के उपाध्यक्ष बुलाकी शर्मा ने कहा कि अकादमी के प्रयासों से वर्तमान में प्रदेश में उत्कृष्ट बाल साहित्य के रचाव को गति मिली है। उन्होंने कहा कि संजय आचार्य वरुण का अनुभवी बाल लेखन नए सृजनधर्मियों के लिए एक ऐसा रास्ता बनाता है जिसका अनुसरण किया जा सकता है।
गांधी चिंतन के अध्येता और विचारक डॉ. सुरेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि आधुनिक तकनीकों का सकारात्मक उपयोग करते हुए भी पढ़ने- पढ़ाने की प्रवृति को बचाए रखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि संजय आचार्य वरुण समाज पर साहित्य के प्रभावों को जानने वाले गम्भीर रचनाकार हैं, उनका ये सृजन निश्चित रूप से नई पीढ़ी को नवीन दिशा प्रदान करेगा।
कार्यक्रम के आरम्भ में संजय आचार्य वरुण ने अपने लेखकीय उद्बोधन में कहा कि पढ़ने की प्रवृति को येन केन प्रकारेण संरक्षित रखा जाना एक तरह से मानवीयता को संरक्षित करने जैसा होगा। उन्होंने कहा कि पुस्तक ही हमारे भीतर मनुष्यता के संस्कार आरोपित करती है। हमारे जीवन की सभी समस्याओं के समाधान पुस्तक के पृष्ठों पर सहजता से मिल जाते हैं।
वरुण ने लोकार्पित कृति में से ‘राजा के सिर पर राख’ कहानी का वाचन किया।
समारोह के सूत्रधार ज्योतिप्रकाश रंगा ने कहा कि मरु नगरी बीकानेर में श्रेष्ठ साहित्य सृजन की परम्परा दीर्घ काल से गतिमान रही है। संजय आचार्य वरुण उसी परम्परा की एक सशक्त कड़ी हैं।
कार्यक्रम में अतिथियों ने बाल साहित्य अकादमी की ओर से रचनाकार वरुण का सम्मान किया।
समारोह में राजाराम स्वर्णकार, राजेंद्र जोशी, वली मोहम्मद गौरी, गुलाम मोहियुद्दीन माहिर, जाकिर अदीब, जुगलकिशोर पुरोहित, विशन मतवाला, इरशाद अज़ीज, राजेश के. ओझा, सुनील गज्जाणी, जगदीश अमन, डॉ. अजय जोशी, डॉ. कृष्णा आचार्य, डॉ. सुनीता विश्नोई, मीनक्षी स्वर्णकार, अंशुभारती शर्मा, डॉ. फारूक चौहान, कमल रंगा, बुनियाद हुसैन ‘जहीन’, गिरीश पुरोहित, डॉ. कृष्णलाल विश्नोई, शिव दाधीच, गिरीराज पारीक, ललित आचार्य, मोहम्मद रफीक पठान, आत्माराम भाटी, डॉ. नमामीशंकर आचार्य, नरेन्द्र आचार्य, गोपाल कुंठित, अजीत राज, कैलाश टाक, शिवप्रकाश शर्मा, अब्दुल शकूर सिसोदिया, इसरार हसन कादरी, ईशाक गौरी ‘उफक’, एवं पीयूष आचार्य सहित अनेक साहित्य अनुरागी उपस्थित रहे। युवा पत्रकार शैलेश आचार्य ने आगंतुकों के प्रति आभार ज्ञापित करते हुए कहा कि बीकानेर एक समृद्ध बौद्धिक परम्परा वाला शहर है और भौगोलिक रूप से छोटे माने जाने वाले शहर में बड़े व्यक्तित्व- कृतित्व वाले लोग रहते हैं।