विनय एक्सप्रेस समाचार,बीकानेर। दालों की कीमतों में हो रही वृद्धि को ध्यान रखते हुए राजस्थान व्यापारिक वस्तु (अनुज्ञापन तथा नियंत्रण) आदेश, 1980 की अनुसूची-ाा में क्रम संख्या 8 पर साबुत या दली हुई दालों (उड़द, मूंग, अरहर, मसूर, मोठ, लोबिआ, राजमा, चना, मटर आदि) के समस्त व्यावहारियों, आयातकों और भण्डार गृहों के संबंध में खाद्य सचिव नवीन जैन द्वारा दिशा- निर्देश जारी किए गए हैं।
जिला रसद अधिकारी यशवंत भाकर ने बताया कि इसके अनुसार प्रत्येक व्यवहारी द्वारा अनुज्ञापन अधिकारी से प्रमाणिशुदा स्टाॅक रजिस्टर प्रतिदिन निर्धारित प्रपत्र में संधारण किया जाएगा। प्रत्येक व्यवहारी द्वारा अपने गोदाम का पता एवं विवरण अपने स्टाॅक रजिस्टर में दर्ज किया जाएगा। दर्ज स्थान के अतिरिक्त किसी अन्य स्थान पर स्टाॅक का भंडारण नहीं किया जाएगा। इसी प्रकार प्रत्येक माह में साप्ताहिक विवरणी (रिटर्न) निर्धारित प्रपत्र में संबंधित अनुज्ञापन अधिकारी को सप्ताह समाप्ति के तीन दिवस में प्रस्तुत करनी होगी।
उन्होंने बताया कि इसके अनुसार 20 मई को व्यवहारी के पास उपलब्ध दाल के स्टाॅक की घोषणा 21 मई तक करनी होगी। भाकर ने बताया कि सभी प्रकार की दालों को मिलाकर 5 क्विंटल की मात्रा तक स्टाॅक रखने वाले खुदरा विक्रेताओं को इन निर्देशों से मुक्त रखा गया है। संबंधित व्यवहारी द्वारा कोविड संक्रमण के मध्यनजर स्टाॅक घोषणा तथा साप्ताहिक विवरणी जिला रसद कार्यालय के ईमेल पर प्रेषित जा सकती है।
जिला रसद अधिकारी द्वितीय भागूराम महला ने बताया कि राजस्थान व्यापारिक वस्तु (अनुज्ञापन तथा नियंत्रण)आदेश, 1980 के खण्ड 30 द्वारा प्रवेश, तलाशी एवं जब्ती की शक्तियां अनुज्ञापन प्राधिकारी, जिला रसद अधिकारी, उपखण्ड अधिकारी, तहसीलदार या कार्यपालक मजिस्ट्रेट या पुलिस अधिकारी, खाद्य विभाग का अधिकारी अपनी अपनी अधिकारिता के क्षेत्र के लिए दी गई हैं। रसद विभाग के प्रवर्तन अधिकारी एवं प्रवर्तन निरीक्षक औचक निरीक्षण करेंगे तथा व्यवहारी के स्टाॅक रजिस्टर में दर्ज दाल की मात्रा और भौतिक रूप से उपलब्ध मात्रा में अन्तर भिन्नता पाए जाने पर दोषियों के विरूद्ध आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 में कार्यवाही की जाएगी।