विनय एक्सप्रेस समाचार, बीकानेर। सृजन सेवा संस्थान, श्रीगंगानगर की ओर से दिये जाने वाले राष्ट्रीय स्तर के साहित्य सम्मानों की घोषणा कर दी गई है। सृजन सेवा संस्थान के सचिव डा. कृष्ण कुमार ‘आशु‘ ने बताया कि इस वर्ष का बाल साहित्य सृजन सम्मान बीकानेर के कवि, कथाकार, अनुवादक, व्यंग्यकार, समीक्षक और मंच संचालक संजय पुरोहित को दिया जायेगा। डाॅ. आशु ने बताया कि संदीप-सचिव अनेजा के सौजन्य से शिक्षक सुभाष अनेजा बाल साहित्य सृजन सम्मान संजय पुरोहित के बाल कथा संग्रह ‘समझदारी, साहस और एकता‘ के लिये प्रदान किया जायेगा। पुरस्कार में सम्मान पत्र, शाॅल एवं 5,100/- राशि प्रदान की जायेगी।
पुरस्कारों हेतु पात्र साहित्यकारों की चयन प्रक्रिया के बारे में जानकारी देते हुए सचिव डाॅ.कृष्ण कुमार ‘आशु‘ ने बताया कि सृजन सम्मान के लिये आवेदन नहीं मांगे जाते। इसके लिये निर्णायक मंडल का गठन होता है, जो अपने विवेक, अध्ययन और अनुभव के आधार पर निष्पक्ष निर्णय करता है। इस बार निर्णायक मंडल में डाॅ. मंगत बादल, डाॅ. भरत ओला, डाॅ. अरूण शहैरिया ‘ताईर‘ और डाॅ. कृष्ण कुमार ‘आशु‘ शामिल थे। इस वर्ष सृजन सेवा संस्थान, श्रीगंगानगर द्वारा तेरह राष्ट्र स्तरीय पुरस्कारों की घोषणा की गई है। सम्मान समारोह आगामी मई में श्रीगंगानगर में आयोजित किया जायेगा। इससे पूर्व साहित्यकार संजय पुरोहित को केन्द्रीय साहित्य अकादमी की ओर से अनुवाद पुरस्कार, राजस्थान स्टेट अवार्ड, शंभू शेखर साहित्य विशिष्ट पुरस्कार, अखिल भारतीय सरला माहेश्वरी कहानी लेखन प्रतियोगिता का प्रथम पुरस्कार, मैथिलीशरण गुप्त पुरस्कार, प.विद्याधर शास्त्री अवार्ड, सहित अनेक पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं। केन्द्रीय साहित्य अकादमी की राजस्थानी भाषा परामर्श मंडल के सदस्य और जनकवि स्व. बुलाकीदास बावरा के पुत्र संजय पुरोहित को सृजन सेवा संस्थान, श्रीगंगानगर की ओर से बाल साहित्य सृजन सम्मान की घोषणा होने पर नंद किशोर सोलंकी, विद्यासागर आचार्य, आत्माराम भाटी, कासिम बीकानेरी, प्रहलाद सिंह मार्शल, गंगा बिशन बिश्नोई, आशीष पुरोहित, डाॅ. असित गोस्वामी, अमित गोस्वामी, डाॅ. मोहम्मद फारूख चैहान, नवल किशोर व्यास, गोपाल सिंह चैहान, मनीष कुमार जोशी सहित अनेक साहित्यकारों व गणमान्यजन ने प्रसन्नता व्यक्त की है। उल्लेखनीय है कि संजय पुरोहित की व्यंग्य, समीक्षा, हिंदी कहानी, हिंदी लघुकथा, राजस्थानी कविता, बाल कहानी विभिन्न विधाओं में अब तक 08 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।