विनय एक्सप्रेस समाचार, बीकानेर। संयुक्त निदेशक कृषि विस्तार कैलाश चौधरी ने बताया कि इस समय मौसम में उतार चढाव के कारण व कम तापमान अधिक वातावरणीय नमी की अनुकूलता के कारण सरसों फसल में चैंपा/माहू / काला तेला जिसे तकनीकी भाषा में एफिड कहा जाता है के प्रकोप की सम्भावना हो सकती है। फरवरी माह में सरसों में चैंपा के प्रकोप की सम्भावना अधिक रहती है। यह पीले हरे रंग का कीट पौधे की पत्ती, फूल, तना एवं फलियों का रस चूसकर पौधे को कमजोर करता है इस कीट का प्रसार तेजी से होता है फलियां कम लगती है दाने छोटे रह जाते हैं यह खेत के बाहरी पौधो पर पहले आता है यह कीट सरसों तने की ऊपरी शाखा के 10 सेंटीमीटर में लगभग 25 चेंपा मिलने का आर्थिक हानि स्तर है।
कृषि विभाग द्वारा जिलें में सरसों फसल पर चैंपा का प्रकोप आर्थिक हानि स्तर से नीचे है। आर्थिक हानि स्तर से अधिक प्रकोप होने पर फसल उत्पादन में नुकसान की सम्भावना रहती है। कृषि अधिकारी मुकेश गहलोत ने बताया कि उपचार के लिए नीमयुक्त कीटनाशी छिड़काव करना प्रभावी उपचार है। ईटीएल स्तर से अधिक आक्रमण होने पर किसान भाई डाइमथोएट 30%EC या मिथायल डेमोटॉन 25%EC की एक एमएल प्रति लीटर पानी या एक लीटर दवा प्रति हैक्टेयर 400-500 लीटर पानी की मात्रा में घोल बनाकर दर से छिड़काव कर नियंत्रण करें।