मोटे अनाज के प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन पर सात दिवसीय प्रशिक्षण प्रारंभ
विनय एक्सप्रेस समाचार, बीकानेर। स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय में मोटे अनाज के प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन पर सात दिवसीय प्रशिक्षण बुधवार से प्रारम्भ हुआ। सामुदायिक विज्ञान महाविद्यालय द्वारा आयोजित इस प्रशिक्षण के शुभारंभ अवसर पर मुख्य अतिथि जिला कलेक्टर भगवती प्रसाद कलाल ने कहा कि स्थानीय अनाज पाचन की दृष्टि से बेहतर होते हैं । स्वास्थ्य के प्रति बढ़ती जागरूकता ने मोटे अनाजों के उपयोग को बढ़ावा दिया है।स्वस्थ रहने के लिए अब स्वाद से ज्यादा पौष्टिकता को महत्व दिया जा रहा है। उन्होंने मोटे अनाज के प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन पर एसकेआरएयू की पहल की सराहना की तथा कहा कि इसका लाभ सभी को मिलना चाहिये। इस अवसर पर कुलपति डॉ. अरुण कुमार ने उद्बोधन में कहा कि विश्वविद्यालय की मरूशक्ति इनोवेटिव फूड इकाई 2021 से बाजरे के विभिन्न मूल्य संवर्धित उत्पाद बना रही है और निरंतर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर मूल्य संवर्धन की तकनीक को देश के विभिन्न भागों में पहुंचा रही है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा एक जिला एक उत्पाद के तहत 3 जिलों- जैसलमेर, झुंझुनू तथा चूरू में ‘बाजरा’ का चयन किया गया है। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षणार्थियों को मूल्य संवर्धन के विभिन्न आयामों यथा संघटकों, मशीनरी, उत्पादन विधियों, पैकेजिंग तथा मार्केटिंग के बारे में विस्तार से बताया जाए ताकि वे स्वउद्यम स्थापित कर सके। प्रशिक्षण समन्वयक डॉ. विमला डूकवाल ने प्रशिक्षण की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए बताया कि प्रशिक्षण में राजस्थान के जैसलमेर और झुंझुनू के अलावा उत्तर प्रदेश तथा मध्य प्रदेश के किसान उत्पादक संगठनों के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि मोटे अनाजों का आटा जल्दी खराब होने के कारण इनका मूल्य संवर्धन करना लाभकारी कदम है। उन्होंने बताया कि मोटे अनाजों में ग्लूटेन की मात्रा बहुत कम होती है जिसके कारण रक्त दाब नियंत्रित रहता है और दिल का दौरा पङने की सम्भावना भी कम होती है। निदेशक मानव संसाधन विकास निदेशालय, डॉ. ए. के. शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इसके साथ ही सामुदायिक विज्ञान महाविद्यालय द्वारा नवोदय विद्यालय गजनेर के 40 विद्यार्थियों के लिए मोटे अनाज के प्रसंस्करण पर आयोजित सात दिवसीय प्रशिक्षण का समापन भी हुआ। जिला कलेक्टर भगवती प्रसाद ने छात्रों का उत्साहवर्धन करते हुए इसे अच्छी पहल बताया। इस अवसर पर डॉ. पी.एस. शेखावत, निदेशक अनुसंधान तथा डॉ. सुभाष चंद्र, निदेशक प्रसार शिक्षा सहित सभी निदेशक एवं विभागाध्यक्ष मौजूद रहे।