स्व. नरपतसिंह सांखला का साहित्य कालजयी है-डॉ. केवलिया
विनय एक्सप्रेस समाचार, बीकानेर.राजस्थानी एवं हिन्दी के ख्यातनाम साहित्यकार स्व. नरपतसिंह सांखला कि तीसरी पुण्यतिथि के अवसर पर गत वर्ष की भांति ही राज्य स्तरीय राजस्थानी कहानी पुरस्कार अर्पण समारोह का आगाज उनके तेलचित्र पर अतिथियों द्वारा मार्ल्यापण के साथ नागरी भण्डार स्थित नरेन्द्रसिहं ऑडिटोरियम में आयोजित हुआ।
संस्था के समन्वयक संजय सांखला ने बताया कि समारोह की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार आलोचक डॉ मदन केवलिया ने कहा कि सांखला का साहित्य कालजयी था, उन्होंने हमेशा मानवीय चेतना, वेदना और संवेदना को केन्द्र में रखकर अपना सम्पूर्ण सृजन किया। डॉ. केवलिया ने कि स्व. सांखला के सृजन की भाषा-व्यवहार अनूठा था।
समारोह के मुख्य अतिथि ट्रोमा सेंटर के निदेशक डॉ. बी.एल. खजोटिया ने उन्हें स्मरण करते हुए कहा कि स्व. सांखला युवा पीढ़ी के प्रेरणापुंज है उनका सृजन समय के सच का पैरोकार रहा। उन्होंने हमेशा सामाजिक सरोकारों के लिए अपना दायित्व निभाया चाहे वो साहित्य हो या शिक्षा का क्षेत्र।
समारोह में अपना सानिध्य देते हुए वरिष्ठ नेत्र विशेषज्ञ डॉ. जगदीश सांखला ने स्व. नरपतसिंह सांखला से जुडे़ कई अनछुए प्रसंग सुनाते हुए उन्हें नेक इंसान बताया और कहा कि उन्हांेने अपने परिवारजनों के लिए खुब त्याग किए और परिवार को संबल बनाया उनके सृजन से पूरे देश में नई दिशा मिली। आपने कहा कि राजस्थानी भाषा को मान्यता ही उन्हें सच्ची श्रृंद्धाजलि है।
संस्था के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ साहित्यकार कमल रंगा ने कहा कि स्व. सांखला साहित्य शिक्षा एवं मानवता की त्रिमूर्ति थे, उन्होेंने समर्पित भाव से सृजनशील रहते हुए कई स्वस्थ आयाम स्थापित करते हुए समाज में हमेशा अपनी रचनात्मक भूमिका का निवर्हन किया है।
संस्था के सचिव वरिष्ठ शायर कासिम बीकानेरी ने बताया कि स्व. नरपतसिंह सांखला राज्य स्तरीय राजस्थानी कहानी पुरस्कार श्री डूंगरगढ़ राजस्थानी के वरिष्ठ साहित्यकार-आलोचक डॉ. मदन सैनी को उनकी चर्चित कृति ‘आस-औलाद’ पर अर्पित किया गया है तो वहीं जोधपुर की वरिष्ठतम महिला कहानीकार को इस वर्ष विशेष तौर से महिला सशक्तिकरण हेतु उन्हें भी उक्त पुरस्कार उनकी चर्चित कृति ‘हेत रौ मारग’ पर अर्पित किया गया।
इस अवसर पर स्व. सांखला के राजस्थानी साहित्य पर पत्रवाचन करते हुए वरिष्ठ आलोचक डॉ. गौरीशंकर प्रजापत ने कहा कि वे समृद्ध गद्यकार तो थे, उन्हांेने राजस्थानी निबंध विधा को भी समृद्ध किया। इसी क्रम में स्व. सांखला के हिन्दी साहित्य पर अपनी आलोचकीय टीप के साथ पत्रवाचन करते हुए वरिष्ठ कवयित्री मोनिका गौड़ ने कहा कि स्व. सांखला ने हिन्दी कविता में अपना एक अलग मुकाम बनाया तो वहीं उन्होंने अन्य भाषाओं भी अपनी कलम से साहित्य की अन्य विधाओं को भी तेज किया।
प्रारंभ में सभी का स्वागत वरिष्ठ शिक्षाविद् एवं कवि संजय सांखला ने कहा कि स्व. नरपतसिंह सांखला की स्मृति के माध्यम से हम उनके सृजन के साथ-साथ उनके मानवीय मूल्यों को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का एक सकारात्मक प्रयास कर रहे हैं।
इस अवसर पर विशेष तौर से आमंत्रित वरिष्ठ शिक्षाविद् एवं फोर्ट स्कूल की प्राचार्य उमराव कंवर ने स्व. सांखला को मानवीय चेतना का सजग प्रहरी बताया तो वहीं अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी सुनील बोड़ा, आनंद चौबदार एवं श्रीमती रेखा चौबदार ने उन्हें समर्पित शिक्षाविद् एवं बहुप्रतिभाशाली बताया।
युवा कवि गिरिराज पारीक ने संस्था परिचय देते हुए गत तीन वर्षो के साहित्यक और सृजनात्मक आयेाजनों के बारे मंे बताते हुए भावी योजना के बारे में जानकारी दी। संचालन करते हुए शायर कासिम बीकानेरी ने कहा कि स्व. सांखला ने अपने जीवन और सृजन में हमेशा उच्च आदर्शो की स्थापना की।
संस्था के अध्यक्ष कमल रंगा एवं समन्वयक संजय सांखला ने बताया कि राज्य स्तरीय इस पुरस्कार समारोह में पुरस्कृत दोनों ही विभूतियों को शॉल, श्रीफल, सम्मान-पत्र, माला, प्रतिक चिह्न, उपहार एवं नगद 11,000 रूपये की नगद राशि समारोह के अतिथि डॉ. केवलिया, डॉ. खजोटिया, डॉ. सांखला, नंदकिशोर सोलंकी, कमल रंगा, संजय सांखला, श्रीमती धीरज सैनी आदि ने ससम्मान प्रदत्त किए।
इस अवसर पर स्व. नरपतसिंह सांखला स्मृति संस्थान द्वारा नवाचार करते हुए प्रतिभावान संस्था द्वारा चयनित छात्र/छात्राओं का स्व नरपतसिंह सांखला प्रतिभा सम्मान किया गया। जिसमें वरूण खत्री, हर्षिता तंवर, एवं इमरान अली को विशेष आमत्रित अतिथि वरिष्ठ शिक्षाविद् एवं फोर्ट स्कूल की प्राचार्य उमराव कंवर, अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी सुनील बोडा संस्था के संजय सांखला द्वारा प्रशंसा पत्र आदि प्रदत कर सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर हिन्दी उर्दू और राजस्थानी के कवि शायरों ने अपनी प्रतिनिधि काव्य रचना की सस्वर प्रस्तुति दी, जिनमें गुलाम मोहिउद्दीन माहिर, सागर सिद्दकी, अविनाश व्यास, डॉ. कृष्णा आचार्य, आनन्द मस्ताना एवं गोपाल पुरोहित ने अपनी रचनाआंे से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। सम्मानित प्रतिभाओं डॉ. सैनी एवं डॉ. जोशी के परिचय का वाचन क्रमशः एड. इसरार हसन कादरी एवं डॉ. इतिहासविद फारूक चौहान ने किया।
इस राज्य स्तरीय समारोह में नगर के विभिन्न कलानुशासन के सैकड़ों गणमान्यों ने स्व. सांखला को अपनी भावांजलि अर्पित करते हुए उन्हंे नमन किया। नंदकिशोर सोलंकी, मधु आचार्य, राजेंद्र जोशी, हरीश बी शर्मा, जोधपुर की वरिष्ठ साहित्यकार बसंती पंवार, जाकिर अदीब, प्रेम नारायण व्यास, शरद केवलिया, गोपाल व्यास कुंठित, नमामीशंकर आचार्य, फोर्ट स्कूल प्राचार्य उमराव कंवर एवं रतिराम स्वामी, खेमचंद भाटी, अब्दुल शकूर बीकाणवी, वंदना शर्मा, आशा कंवर, पवन गहलोत, संजय भाटी, मिलन गहलोत, आनंद चौबदार, डॉ. सुरेन्द्र तंवर, श्रीमती रेखा चौबदार, सीमा भाटी, भवंानी श्ंाकर, प्रवीण उपाध्याय, दीनदयाल शर्मा, आत्माराम भाटी, डॉ. सीमा भाटी, डॉ. बसंती हर्ष, उर्दू व्याख्याता सईद अहमद, सुनील कुमार बोड़ा, शशि जलंधरा, एडवोकेट संजय गौतम, विपिन जैन, केसरी सिंह, सुरेंद्र तोमर, जियाराम सांखला, हरिशंकर शर्मा, संजय, मुनींद्र अग्निहोत्री, नत्थू गहलोत सत्यनारायण, नरेंद्र कटारिया, मोहन कच्छावा, खेमचंद भाटी, अरविंद पूनिया, रविंद्र पूनिया, सोहनलाल सैनी, भवानी शंकर, संदीप, राकेश, शमीम अहमद शमीम, पूर्णिमा मित्रा, मिलन गहलोत,अरुण अग्रवाल, जगदीश रतनू, तुलसीराम चौरड़िया, दीनदयाल शर्मा, यशपाल भाटी, कैलाश चंद्र रोड़ा, डॉ. अजय जोशी, राजाराम स्वर्णकार, बाबूलाल छंगाणी, धीरज सांखला, लक्ष्मी, कुसुम, मुकेश सैनी, मनीष सैनी, डॉ. सोहन लाल तंवर, मुकेश पोपली, प्रमोद कुमार शर्मा, जुगल किशोर पुरोहित, बद्रीराम निठारवाल, हरिकृष्ण व्यास, सुशील पारीक, केदारनाथ एवं पुष्पा देवी उपस्थित थे।
कार्यक्रम का संचालन जयपुर से आई हुई श्रीमती प्रोफेसर धीरज सैनी एवं शायर कासिम बीकानेरी ने साझा रूप से किया और अंत में सभी का आभार डॉ. जे. सांखला ने ज्ञापित किया।