विनय एक्सप्रेस समाचार, बीकानेर। । बीकानेर नागर स्थापना दिवस कार्यक्रमों की शंखला में बुधवार को राजस्थान राज्य अभिलेखागार द्वारा ‘परंपरा, नगर बोध एवं संस्कृति’ विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया।
अभिलेखागार परिसर में आयोजित परिचर्चा का आयोजन जिला प्रशासन, नगर विकास न्यास और सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के सहयोग से किया गया।
परिचर्चा में डॉ. मदन सैनी, डॉ. उमाकांत गुप्त, डॉ. राजेन्द्र जोशी, गिरधरदान रतनू एवं संस्कृति कर्मी गोपाल सिंह विशिष्ट वक्ता के रूप में मौजूद रहे। अभिलेखागार निदेशक डॉ. नितिन गोयल ने स्वागत भाषण देते हुए कार्यक्रम की शुरूआत की। मंच संचालक मनीषा आर्य सोनी ने किया।
डॉ मदन सैनी ने बताया कि 17वीं शताब्दी की गजलों में शहर की संस्कृति झलकती है। उन्होंने जैन मंदिर, सुजानसिंह के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि विजयदान देथा की फिल्म परिणीति में बीकानेर के गहनों का उपयोग हुआ था।
डॉ. उमाकांत गुप्त ने बीकानेर के नगरबोध और संस्कृति के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि हवेली की परंपरा में सभी में सांझापन दिखाई देता है। बीकानेर शहर मानव मूल्यों की अवधारणा को सिद्ध करता है। डॉ राजेन्द्र जोशी ने बीकानेर के पाटों की महत्ता के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि यहां का पाटा लकडी का एक टुकडा नहीं है। इसके साथ पूर्वजों के अनुभव और सुनहरी यादें जुड़ी हैं। गिरधरदान रतनू ने आधार, स्तंभ, उदारता, साहस आदि से राजस्थान की संस्कृति सुशोभित है। गोपाल सिंह ने पीपीटी के माध्यम से बीकानेर की हवेलियों की ऐतिहासिकता बताते हुए हवेलियों के संरक्षण की आवश्यकता जताई।
अभिलेखागार निदेशक डॉ. नितिन गोयल व सहायक निदेशक रामेश्वर बैरवा ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम में भारत भूषण गुप्ता, पन्नालाल मेघवाल, प्रो एस के भनोत, डॉ. नमामी शंकर आचार्य, राजाराम स्वर्णकार, डॉ फारूक, विमल शर्मा, भगवान सिंह, अमर सिंह, महेन्द्र निम्हल, विनोद जोशी, डॉ. बसंती हर्ष, डॉ एस एन हर्ष तथा सहायक निदेशक हरिमोहन मीना, जगदीश तिवाडी आदि उपस्थित रहे। परिचर्चा में पौलेंड के वैज्ञानिक एवं बीकानेर मूल के प्रो. चन्द्रशेखर पारीक ने भी भाग लिया।
नगर स्थापना दिवस पर श्री भारत भूषण द्वारा संकलित बीकानेर रियासत से संबंधी सिक्के, नोट, तलबाना टिकट पर दो दिवसीय प्रदर्शनी आज दिनांक तक जारी रही। इस प्रदर्शनी को विद्यार्थियों और आमजन ने सराहा।