विनय एक्सप्रेस समाचार, बीकानेर.भाजपा सरकार के आदेश के बाद शिक्षा विभाग में खलबली शुरू हो गई है। अब कांग्रेस राज में नियुक्ति पाने वाले करीब एक लाख टीचर्स के रिकॉर्ड की दोबारा जांच हो रही है। डिग्री की सत्यता जांचने जांच दल संबंधित विश्वविद्यालयों में भी जाएगा। इसके अलावा एग्जाम सेंटर पर किए गए हस्ताक्षर की भी चैकिंग होगी।
ये जांच ग्रेड थर्ड से प्रिंसिपल स्तर तक नियुक्ति पाने वाले टीचर्स की हो रही है। सभी की डिग्री, मार्कशीट और अन्य कागजात की चैकिंग शुरू हो गई है। ग्रेड थर्ड और सेकेंड के टीचर्स के रिकार्ड की जांच जिला शिक्षा अधिकारी और उप निदेशक स्तर पर की जा रही है। वहीं लेक्चरर और हेड मास्टर स्तर के कैंडिडेट का रिकॉर्ड शिक्षा निदेशालय जांच रहा है। हाल में SOG ने फर्जी डिग्री देने वाले दो यूनिवर्सिटी संचालकों को भी गिरफ्तार किया था।
टीचर्स के डॉक्यूमेंट का फिर से होगा वैरिफिकेशन
माध्यमिक शिक्षा निदेशक आशीष मोदी ने कहा कि कार्मिक विभाग के आदेश पर पिछले पांच साल में हुई नियुक्तियों के डॉक्यूमेंट का फिर से वैरिफिकेशन किया जा रहा है। खासकर जिनकी नियुक्तियों में गड़बड़ी के आरोप लग रहे हैं। जिसमें पीटीआई भर्ती सहित कुछ अन्य भर्तियां शामिल है।
दोनों निदेशालय कर रहे हैं जांच
प्रारम्भिक और माध्यमिक दोनों ही शिक्षा निदेशालय फर्जी तरीके से लगे टीचर्स का पता लगा रहे हैं। ग्रेड थर्ड टीचर्स की भर्ती प्रारम्भिक शिक्षा निदेशालय के माध्यम से हुई थी। वहीं ग्रेड सेकेंड व इससे ऊपर के टीचर्स की भर्ती माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने की। ऐसे में दोनों निदेशालय इस पर काम कर रहे हैं।
ऐसे होगी नियुक्ति की जांच
साल 2019 से 2024 तक नियुक्ति पाने वाले सभी टीचर्स के फॉर्म वापस निकाले जा रहे हैं। आवेदन में लगे सभी तरह के कागजों की नए सिरे से जांच की जाएगी। ये पता लगाया जाएगा कि रिकॉर्ड में लगी डिग्री सही है या नहीं? इसके लिए संबंधित यूनिवर्सिटी को पत्र लिखा जाएगा और पुष्टि की जाएगी।
जरूरत पड़ने पर निदेशालय से एक टीम उस यूनिवर्सिटी में जाएगी, जिसकी डिग्री रिकॉर्ड में लगाई गई है। इसके साथ ही बीएड और डीपीएड करने वाले टीचर्स की डिग्री भी संबंधित विभाग को भेजी जाएगी। डीएलएड करने वाले टीचर्स का रिकॉर्ड पहले से शिक्षा निदेशालय के पास है। इनसे मिलान किया जाएगा।
एग्जाम सेंटर से हस्ताक्षर की होगी जांच
राज्य सरकार ने आदेश दिया है कि भर्ती परीक्षा में संबंधित कैंडिडेट बैठा या नहीं? कहीं कोई डमी कैंडिडेट तो एग्जाम देकर नहीं चला गया, इसकी भी जांच की जाए। इसके लिए एग्जाम सेंटर पर किए गए हस्ताक्षर की जांच होगी। कैंडिडेट के हस्ताक्षर में अंतर होगा तो आगे कार्रवाई की जाएगी। वहीं सीसीटीवी कैमरे से जांच संभव नहीं है। इतने लंबे समय तक रिकार्ड उपलब्ध नहीं रहता।
प्रारम्भिक और माध्यमिक दोनों ही शिक्षा निदेशालय टीचर्स के डॉक्युमेंट की जांच कर रहे है।
राजस्थान यूनिवर्सिटी से डिग्री लेने वालों की नहीं होती जांच
राजस्थान से बाहर से डिग्री लेकर नियुक्ति पाने वाले टीचर्स की डिग्री की जांच होती है। इसके लिए एक टीम भी संबंधित यूनिवर्सिटी भेजी जाती है। राजस्थान यूनिवर्सिटी से डिग्री लेने वाले टीचर्स के रिकॉर्ड की जांच नहीं होती। अब इनकी भी जांच की जाएगी।
कांग्रेस राज में अन्य विभागों में हुई नियुक्तियां
पिछले 5 साल में नियुक्ति सिर्फ शिक्षा विभाग में ही नहीं हुई। अन्य विभागों में भी बड़ी संख्या में नौकरी दी गई। ऐसे में इनकी भी छानबीन की जा सकती है। कार्मिक विभाग ने जांच का आदेश दिया है, जो सभी विभागों पर समान रूप से लागू होता है। अन्य विभागों में हुई नियुक्ति.
SOG ने फर्जी डिग्री देने वाले यूनिवर्सिटी संचालकों को पकड़ा था
हाल में SOG ने फर्जी डिग्री मामले में दो यूनिवर्सिटी संचालकों को पकड़ा था। जिसमें ओपीजेएस यूनिवर्सिटी के संचालक जोगेन्द्र सिंह (55) पुत्र ओमप्रकाश दलाल निवासी रोहतक हरियाणा, और सनराइज एंड एमके यूनिवर्सिटी के संचालक जितेंद्र यादव (38) पुत्र जिले सिंह निवासी नारनौल, हरियाणा को गिरफ्तार किया गया था।