पर्यावरण के प्रति जागरूकता एवं आमजन में नैतिक दाईत्वो के जागरण के चेतना सन्देश के साथ यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नलॉजी के राष्ट्रिय उत्सव का हुआ समापन
पर्यावरण संरक्षण हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी : प्रो. अम्बरीष शरण विद्यार्थी, कुलपति
विनय एक्सप्रेस समाचार,बीकानेर। बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित चार दिवसीय “राष्ट्रिय पर्यावरण उत्सव” का आज समापन हुआ। विश्वविद्यालय के सहायक जनसंपर्क अधिकारी विक्रम राठौड़ ने जानकारी प्रदान करते हुए बताया की समापन सत्र के मुख्य अतिथि प्रो. अमेरिका सिंह एवं विशिष्ठ अतिथि महाराज गंगासिंह विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.विनोद कुमार सिंह थे । कार्यक्रम की संयोजिका डॉ ममता शर्मा ने चार दिन तक आयोजत विभिन्न प्रतियोगिताओं के परिणामो की घोषणा की जिसमें पर्यावरण क्विज प्रितियोगता में प्रथम वेस्ट बंगाल के देबेश पॉल, दिव्तीय साक्षी गोपलिया, तृतीय प्रतीक चेनानी रहे। निबन्ध प्रतियोगित में प्रथम एकता बोथरा, दिव्तीय संयुक्त रूप से सलोनी शर्मा और अधिराज सिंह राठौड़, तृतीय संयुक्त रूप से चंचल एस विजयन एवं स्नेहा एम रहे। पोस्टर मेकिंग प्रतियोगित में प्रथम नीतू कुमावत, दिव्तीय तुषार खंडेलवाल व चंचल गुप्ता, तृतीय संयुक्त रूप से मेघा एवं सलोनी शर्मा विजेता रहे। सम्पूर्ण देश से 600 प्रतिभागियो ने इस आयोजन में हिस्सा लिया। इस दौरान कार्यकारिणी समिति के सदस्य डॉ प्रीति पारीक, डॉ गायत्री शर्मा ,राजेश सुथार, करनजीत कौर, अमित कुमार सुधांशु, डॉ भूमिकाचोपड़ा, ऋषभ बांठिया अदि उपस्थित रहे।
मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर के कुलपति एवं मुख्य अथिति प्रो. अमेरिका सिंह ने अपने सन्देश में कहा की हम सब तभी तक सुरक्षित है, जब तक हमारा पर्यावरण सुरक्षित है, हमें प्रकृति और पर्यावरण के बीच में समन्वय बनाकर रखना होगा, यह हमारा नैतिक दायित्व भी है। पर्यावरण है तो प्रकृति है, प्रकृति है तो जीव सृष्टि भी है, इसलिए जीव सृष्टि की सुरक्षा के लिए आवश्यक है कि सभी लोग पर्यावरण के प्रति जागरूक हों। भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए पर्यावरण को सुरक्षित रखना जरूरी है। यह हम सभी का कर्त्तव्य है कि पानी की एक-एक बूंद बचाएं, नदियां स्वच्छ करें और हम प्रकृति का दोहन करें शोषण नहीं। दोहन का अर्थ है प्रकृति जितना सहन कर सके उतना संसाधनों का उपयोग करें। धरती सिर्फ मनुष्य मात्र के लिए नहीं है, यह जीव जंतु और पशु पक्षियों के लिए भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। आने वाली पीढ़ियों के लिए वृक्षारोपण पृथ्वी बचाने का सबसे अहम संदेश है। हाल ही में दो-ढाई माह में प्रकृति का एक नया रंग खिला है। इस अवधि में वाहनों के न चलने से आबोहवा शुद्ध हो गई है। पक्षियों का कलरव देखते ही बनता है ,मानो उन्हें बड़ी राहत मिली हो। प्रत्येक व्यक्ति को पौधारोपण के लिए आगे आना चाहिए एवं प्रत्येक व्यक्ति को वर्ष में कम से कम एक पेड़ अवश्य लगाना चाहिए। धरती को यदि बचाना है तो हमें पर्यावरण बचाना पड़ेगा, पेड़ लगाने पड़ेंगे। यह संपूर्ण मानव समाज के हित में है अन्यथा हमें अनेकों प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ सकता है।
विशिष्ठ अतिथि एवं वक्ता महाराज गंगासिंह विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.विनोद कुमार सिंह ने अपने संबोधन में कहा की पिछले 250 वर्षों में मानवीय क्रियाकलापों से वायुमंडल अत्यधिक प्रदूषित हुआ हैं, फलस्वरूप सूरज की अधिकाधिक ऊर्जा, निचले वायुमंडल में रुक रही है और यह पृथ्वी की सतह को गर्म कर रही है। जलवायु परिवर्तन का प्रभाव भारत के लिए विशेष चिंता बन रहा है। हमारी विशाल जनसंख्या का एक बड़ा भाग आजीविका के लिए औधोगिकीकरण जैसे संवेदनशील क्षेत्रों पर निर्भर करता है। इन क्षेत्रों के अनियंत्रित क्रियाकलापों ने पर्यावरण को प्रतिकूल रूप से प्रभावित किया हैं । इसलिए हमें जिम्मेदारियों और अपनी-अपनी क्षमताओं के अनुसार, तत्काल उपाय किए जाने की आवश्यकता है और औद्योगिक देशों को वैश्विक प्रदुषण को कम करने के लिए पहल करनी चाहिए जिसके लिए वे जिम्मेदार हैं। जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का मुकाबला करने के लिए स्वयं को, अपने परिवार को और अपने समुदाय को तैयार करने के हमें धरातलीय उपाय करने होंगे, अधिक वृक्ष उगाकर और वृक्षारोपण करके, पर्यावरण की सुरक्षा करके, ऊर्जा संरक्षण, अपशिष्ट में कमी लाकर और असंपोषणीय जीवनचर्या से बचना कुछ ऐसे उपाय हैं जिसे हम कर सकते हैं । भारत पर्यावरण संरक्षण के मामले में न्यायपूर्ण व्यवस्था का प्रबल समर्थक है, हम सब को मिलकर पर्यावरण हनन के कारण हुए परिवर्तन से पैदा हुई चुनौतियों का सामना करते हुए इसके कायाकल्प के लिए भरसक प्रयास करने होंगे। भारत विश्व के लिए यह उदाहरण पेश कर रहा है कि पर्यावरण की रक्षा के लिए विकास को रोकना आवश्यक नहीं है। संतुलित सामंजस्य के साथ अर्थव्यवस्था और पारिस्थितिकी दोनों एक साथ चल सकते हैं और आगे बढ़ सकते हैं। स्वच्छ और ऊर्जा दक्षता प्रणाली, सशक्त शहरी बुनियादी ढांचा और नियोजित पारिस्थितिकी-पुनर्स्थापन आत्मनिर्भर भारत अभियान का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा है। जलवायु की रक्षा के लिए पर्यावरण रक्षा के अपने प्रयासों को संगठित करना बहुत जरूरी है। उन्होंने आग्रह किया कि हम अप की आने वाली पीढ़ियों को एक सुरक्षित वातावरण तभी दे पाएंगे जब देश का प्रत्येक नागरिक जल,वायु और भूमि के संतुलन को बनाए रखने के लिए ईमानदारी से सांझा प्रयास करेगा।
मुख्य संरक्षक एवं बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.अम्बरीश शरण विद्यार्थी ने अपने संबोधन में कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए “ थिंक ग्लोबल” सिद्धांत को बेहद प्रभावी माना जाता है। हमारे संविधान के निर्देशक सिद्धांत विशेष रूप से पर्यावरण और वनों तथा वन्यजीवन के संरक्षण के मुद्दों का उल्लेख करते हैं। हमारे पर्यावरण की सुरक्षा और एक बेहतर पर्यावरण बनाने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराने के लिए विश्व पर्यावरण दिवस एकदम सही समय है, हम उन सभी लोगों को दृढ़ इच्छाशक्ति एवं प्रतिबद्धता के साथ पर्यावरण के संरक्षण की दिशा में सामूहिक प्रयास करने होंगे। वर्तमान पीढ़ी को भावी पीढ़ियों से एक स्वच्छ एवं स्वस्थ पृथ्वी पर रहने का अधिकार नहीं छीनना चाहिए। पर्यावरण मानव के जीवन से जुड़ा महत्वपूर्ण विषय है और इसका संरक्षण हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है। हम प्रकृति का हिस्सा हैं और हम प्रकृति से अलग नहीं हैं । हम सभी को प्रकृति से सामंजस्य अवश्य बैठाना चाहिए, अन्यथा इसके दुष्परिणामो का सामना हमें करना पड़ेगा। पर्यावरण को मनुष्य केवल स्वयं के अस्तित्व से जोड़ कर ना देखें, बल्कि मानवता की स्थिति के साथ सभी पेड़-पौधे और जीव-जंतु को भी धरती पर रहने का अधिकार है, यही सह अस्तित्व हमारे वैदिक ग्रंथों और वैदिक संस्कृति का सार है। उन्होंने त्रिवेणी के महत्व को समझाते हुए कहा की नीम, पीपल और बरगद इन तीनों को समान गुणी होने के कारण त्रिवेणी कहा जाता है।
नीम, पीपल और बड़ पर्यावरण को सबसे अधिक शुद्ध बनाते हैं। यह सर्व रोग निवारिणी कही जाने वाली यह त्रिवेणी बड़ी होकर वटवृक्ष का रूप धारण करती है तो यह मानव के लिए संजीवनी बूटी से कम नहीं मानी जाती। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में त्रिवेणी अवश्य लगानी चाहिए। आज पर्यावरण एवं जैव विविधता की वैश्विक असंतुलन की स्थिति हम सभी के लिए चिंतनीय विषय बना हुआ इसलिए वर्तमान समय में पर्यावरण की अनियंत्रित गतिविधियों को नियंत्रित करने की आवश्यकता है जिससे पर्यावरण संरक्षण के साथ स्थानीय स्तर पर सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक विकास हो सकें। पर्यावरण और स्थानीय समुदाय की भलाई सुनिश्चित करते हुए सभी हितधारकों को लाभान्वित करने के प्रति समग्र दृष्टिकोण अपनाने की आज विशेष आवश्यकता हैं। युवा यह विचार करे कि किस प्रकार से पर्यावरण का दोहन हो रहा है । हम दैनिक जीवन में कई संतुलित आदतें अपनाकर पर्यावरण के विभिन्न स्त्रोतों को संरक्षित कर सकते हैं ।
बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय के निदेशक, अकादमिक डॉ यदुनाथ सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि विश्व पर्यावरण दिवस अभियान संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम द्वारा चलाया जाता है, वर्ष 1973 में पहली बार “विश्व पर्यावरण दिवस” मनाया गया था। यह एक प्रमुख साधन है जिसके माध्यम से संयुक्त राष्ट्र, पर्यावरण के प्रति विश्वव्यापी जागरुकता को प्रोत्साहन देता है और पर्यावरण संरक्षण के क्रियाकलाप में आमजन की जागरूकता सुनिश्चित करता है। मानव पर्यावरण संबंधी स्टॉकहोम सम्मेलन के शुभारंभ के अवसर पर सन् 1972 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा इस दिवस की स्थापना की गई थी । विश्व पर्यावरण दिवस एक अभियान है जो हर साल 5 जून को पर्यावरण के मुद्दों को सुलझाने के लिए नई और प्रभावी योजनाओं को लागू करने के लिए मनाया जाता है ताकि पर्यावरण को बेहतर, सुरक्षित और स्वस्थ बनाया जा सके। यह संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 1972 में “मानव पर्यावरण पर स्टॉकहोम सम्मेलन” नाम के पर्यावरण के लिए एक विशेष सम्मेलन के उद्घाटन के दौरान घोषित किया गया था। यह दुनिया भर में लोगों में पर्यावरण के बारे में जागरूकता फैलाने के साथ-साथ पृथ्वी पर स्वच्छ और सुंदर वातावरण के बारे में सकारात्मक कार्यों को प्रोत्साहित करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए प्रतिवर्ष मनाया जाने वाला सबसे महत्वपूर्ण दिन है। आमजन का पर्यावरणीय समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करने और लोगों में पर्यावरणीय का जागरूकता का प्रसार करने के दृष्टिकोण ने “विश्व पर्यावरण दिवस” ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई भारत की राष्ट्रीय पर्यावरण नीति, स्वच्छ पर्यावरण के प्रति हमारी राष्ट्रीय प्रतिबद्धता की परिचायक हैं। पिछले कई वर्षों में पर्यावरण से जुडी संबंधित समस्याओं के समाधान के लिए केंद्र एवं राज्य सरकारों दुवारा महत्वपूर्ण कार्यक्रम चलाए हैं । ध्यान रहे कि पर्यावरण का संरक्षण और प्रबंधन केवल सरकार की ही जिम्मेदारी नहीं है । यह पर्यावरण उत्सव हमें अपने स्वस्थ जीवन के लिए स्वस्थ पर्यावरण के महत्व को समझने के साथ-साथ दुनिया भर में सतत और पर्यावरण के अनुकूल विकास के सक्रिय एजेंट होने के लिए जनता को सशक्त बनाने में मदद करता है। यह लोगों के ब वैश्विक समझ को विकसीत करता है कि सभी देशों और लोगों के लिए एक सुरक्षित और अधिक समृद्ध भविष्य की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए पर्यावरणीय मुद्दों के प्रति उनके दृष्टिकोण को बदलना होगा।