एनआरसीसी एवं मूफी कैफे कम्पनी के मध्य दो नूतन प्रौद्योगिकी को लेकर हुआ एमओयू
विनय एक्सप्रेस समाचार, बीकानेर। भाकृअनुप-राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसन्धान केन्द्र (एनआरसीसी) द्वारा ऊँटनी के दूध से निर्मित आइसक्रीम व बाजारा बिस्किट (मिलेट) उत्पाद बनाने की नूतन प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण से अब देश भर में ऊँटनी के दूध से बने ये उत्पाद आमजन को सुलभ हो सकेंगे और वे इन स्वादिष्ट व्यंजनों का स्वाद ले सकेंगे । इस प्रयोजन हेतु एनआरसीसी एवं मूफी कैफे कंपनी के मध्य आज दिनांक को एक महत्वपूर्ण एमओयू किया गया जिसमें केन्द्र के निदेशक डॉ. आर.के.सावल एवं इस कंपनी के मालिक श्री सृष्टिपाल सिंह द्वारा हस्ताक्षर किए गए तथा इसके साथ ही नूतन प्रौद्योगिकी हस्तांतरण का शुभारंभ भी किया गया।
केन्द्र के निदेशक डॉ. आर.के.सावल ने इस अवसर पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि एनआरसीसी के वैज्ञानिकों ने उष्ट्र प्रजाति के संरक्षण एवं विकास के तहत यह साबित किया है कि इसका दूध मधुमेह, क्षय रोग, ऑटिज्म आदि मानवीय रोगों के प्रबंधन में कारगर है । साथ ही ऊँटनी के दूध की लोकप्रियता व इसकी सामाजिक स्वीकार्यता बढ़ाने हेतु इसे एक अभियान के रूप में लेते हुए केन्द्र गत लगभग 2 दशकों में 25 से अधिक स्वादिष्ट दुग्ध उत्पाद तैयार कर चुका है तथा केन्द्र के पॉर्लर के माध्यम से इनकी बिक्री भी की जाती हैं । उष्ट्र दुग्ध उद्यमिता में व्यावसायिक संभावनाओं को उजागर करने हेतु केन्द्र द्वारा तैयार उष्ट्र दुग्ध उत्पादों के तकनीकी हस्तांतरण का कार्य अनवरत जारी है । अत: अब ऊँट पालक, उष्ट्र दुग्ध व्यवसाय की सोच को पूरी तहर से अपनाते हुए इस दिशा में आगे बढ़ें ।
डॉ.सावल ने उत्पादों के महत्व पर बातचीत में बताया कि ‘आइसक्रीम’ एक ऐसा उत्पाद है जिसे हर उम्र का व्यक्ति पसंद करता है खासकर समारोह आदि में इसकी अत्यधिक डिमांड देखी जाती है वहीं ‘बाजरा’ पश्चिमी राजस्थान की एक मरुक्षेत्रीय फसल है जिसमें बहुत सारे पौष्टिक गुण पाए जाते हैं, इस दृष्टिकोण से केन्द्र द्वारा ऊँटनी के किण्वित दूध के साथ बाजरे को मिलाकर इसका स्वादिष्ट उत्पाद तैयार किया गया ताकि मानव पोषण एवं मानव स्वास्थ्य के उपयोग में इन (मोटे) अनाजों की महत्ता सिद्ध करते हुए इन्हें उपयोग में लाया जा सके। वहीं इससे क्षेत्र विशेष अनाज (बाजरे) की महत्ता भी बढ़ेगी ।
एमओयू के अवसर पर मूफी कैफे, जयपुर के मालिक श्री सृष्टि पाल सिंह ने उत्साहित होते हुए बताया कि जयपुर के वैशाली नगर में स्थित इस कैफे कंपनी पर ऊँटनी का दूध पीने के लिए लोग आते हैं, यहां सऊदी अरब के खजूर के साथ ऊँटनी का दूध मिलता है तथा ऊँटनी के दूध के स्वास्थ्यवर्धक संबंधित गुण भी बताए जाते हैं । अब एनआरसीसी से ऊँटनी के दूध से आइसक्रीम व बाजरा बिस्किट बनाने की प्रौद्योगिकी का लाइसेंस प्राप्त होने पर हम, देश के अलग-2 शहरों में उष्ट्र दुग्ध उत्पादों की लोकप्रियता व उपभोक्ता बढ़ाने हेतु उपयुक्त माध्यमों से इन्हें उपलब्ध करवाएंगे ।
एनआरसीसी की उष्ट्र डेयरी प्रौद्योगिकी एवं प्रसंस्करण इकाई के प्रभारी डॉ.योगेश कुमार, वरिष्ठ वैज्ञानिक ने बताया कि केन्द्र द्वारा ऊँटनी के दूध से नवीन तकनीक द्वारा उष्ट्र दुग्ध निर्मित आइसक्रीम व बाजारा बिस्किट बनाने की विधि तथा अन्य महत्वपूर्ण तकनीकी पहलू, कम्पनी को हस्तांतरित किए गए हैं व केन्द्र द्वारा संबंधित तकनीकी प्रशिक्षण भी प्रदान किया गया जिससे कंपनी कैमल मिल्क आइसक्रीम व बाजारा बिस्किट का उत्पादन कर सकेगी । डॉ.योगेश ने कहा कि ऊँटनी के दूध से इन उत्पादों को तैयार करने हेतु प्रसंस्करण आदि के दौरान ऊँटनी के दूध में मौजूद औषधीय गुण भी बरकरार रहते हैं। अत: इच्छुक उद्यमी, किसान, उत्पादक संगठन, एनजीओ, डेयरी उद्यमी,एजेंसीज तथा बेरोजगार व्यक्ति आदि केन्द्र के तकनीक प्रबंधन इकाई से सम्पर्क कर तकनीकी हस्तांतरण के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकते हैं तथा उभरने वाली इन प्रौद्योगिकियों का उद्यम के रूप में लाभ उठा सकते हैं ।
एमओयू के इस अवसर पर केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ.मितुल बुमडि़या तथा मूफी कैफे कम्पनी के प्रतिनिधि श्री विशाल सिंह व श्री पुष्पेन्द्र सिंह भी मौजूद थे ।