काव्य रंगत-शब्द संगत की चौथी कड़ी पेड़ पर केन्द्रित आयोजित हुई
विनय एक्सप्रेस समाचार, बीकानेर। खबर हमारी विश्वास आपका। प्रज्ञालय संस्थान एवं राजस्थानी युवा लेखक संघ की ओर से अपनी मासिक साहित्यिक श्रृंखला ‘काव्य रंगत-शब्द संगत’ की चौथी कड़ी का भव्य आयोजन नत्थूसर गेट बाहर स्थित लक्ष्मीनारायण रंगा सृजन सदन में राजस्थानी के वरिष्ठ साहित्यकार कमल रंगा की अध्यक्षता में हुआ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार कमल रंगा ने कहा कि आज का यर्थाथ प्रकृति और मानव-राग दोनों से उदासीन होकर अपने आप मंे बहुत जटिल और क्रूर हो गया है। वह प्रकृति से न केवल दूर होता जा रहा है, बल्कि उसके रस को भी नकारता जा रहा है। जिससे उसका अपना जीवन समृद्ध होता रहा है। ऐसी विकट स्थितियों में प्रकृति पर केन्द्रित हिन्दी, उर्दू और राजस्थानी की नव काव्य रचनाओं का आयोजन महत्वपूर्ण ही नहीं आज कविता और साहित्य की मांग भी है।
मुख्य अतिथि वरिष्ठ कवियत्री डॉ. कृष्णा आचार्य ने कहा कि ऐसे आयोजन मानव को प्रकृति से रूबरू तो कराते ही है साथ ही ऐसे आयोजन के माध्यम से आज पेड़ पर केन्द्रित रचनाओं से प्रकृति की विविध भंगिमाओं और क्रियाकलापों और उसके सौन्दर्य से हम साक्षात्कार करते हैं। ऐसे आयोजन के लिए आयोजक संस्था साधुवाद की पात्र है।
प्रारंभ में सभी का स्वागत करते हुए वरिष्ठ शिक्षाविद् राजेश रंगा ने कार्यक्रम के महत्व बताते हुए अगली पांचवी कड़ी प्रकृति के महत्वपूर्ण अंग समुद्र पर केन्द्रित रहेगी।
काव्य रंगत में पेड़ की सौरम और उसकी विभिन्न व्याख्या करते हुए कविता, गीत, हाइकू और गजल के माध्यम से शब्द की संगत में पेड़ की सौरम महकी। अपनी काव्य रचना की प्रस्तुति देते हुए वरिष्ठ कवि कमल रंगा ने अपनी पेड़ पर केन्द्रित कविता में सासंा री साची सरगम है दरखत/जीवण जथारथ राग है दरखत…. प्रस्तुत की। वहीं वरिष्ठ शायर जाकिर अदीब ने अपनी ताजा गजल के शेर- आखिर तुम ही बताओ अदीब/किसको पुकारे प्यासे पेड़…… इसी क्रम में वरिष्ठ शायर वली गौरी ने अपनी गजल-जो लगाए गए चाहतों के शजर….. पेश की तो शायर कासिम बीकानेरी ने अपनी ताजा गजल के शेर हमको जो जीवन देते थे/क्यूं हमने काटे पेड़ इन तीनों शायरों ने उर्दू के मिठास के साथ पेड़ की पीड़ा और महत्व को रेखंाकित किया।
परवान चढ़ी काव्य रंगत में वरिष्ठ कवयित्री इन्द्रा व्यास ने अपनी ताजा रचना रूंख-रूखाळा इ धरती रा-पेश कर जीवन में पेड़ के महत्व को उकेरा तो वरिष्ठ कवि जुगल किशोर पुरेाहित ने अपनी कविता पेड़ तो पेड़ हूं/मैं इंसा नहीं की प्रस्तुति दी। कवि संजय सांखला ने अपनी रचना के माध्यम से पेड़ के वैज्ञानिक पहलूओं को सामने रखते हुए कहा कि-वृक्ष प्रकाश संश्लेषण करते है-वहीं कवि विप्लव व्यास ने पेड़ पर केन्द्रित रचना कर पेड़ की व्यथा को इस तरह रखा सुखो-सुखो लागै जिकौ रूखड़ौ….वहीं कवि कैलाश टाक ने पेड़ की पीड़ा को साझा करते हुए कहा-कट-कट कर इतना कटा/घट घट कर इतना घटा रचना रखी वहीं हास्य कवि बाबूलाल छंगाणी ने पेड़ की महिमा को रखते हुए-अकल का ताला खोल दे लाठी पर केन्द्रित कविता रखी। इसी क्रम में कवि प्रो. नृसिंह बिन्नाणी ने अपने नवीन हाइकू के माध्यम से पेड के विभिन्न रंग की रंगत रखी।
कवि गिरीराज पारीक ने पेड़ का जीवन में महत्व क्या है बताते हुए -पेड़ हमारा सच्चा मित्र है/हमें जीवन देता है……कविता पेश की। इसी कड़ी में कवि अब्दुल शकूर सिसोदिया ने पेड़ के विभिन्न आयामों को सामने रखते हुए धरती आभौ टसकै पेश की। युवा कवि यशस्वी हर्ष ने अपनी पेड़ पर केन्द्रित ताजा रचना रखी। इसी क्रम में कवि ऋषिकुमार तंवर, शिव प्रसाद शर्मा एवं हरिकिशन व्यास ने भी पेड़ पर केन्द्रित नई रचनाओं के माध्यम से प्रकृति के महत्वूपर्ण अंग पेड़ की अनेक विशेषताओं को रेखांकित किया।
कार्यक्रम में कवि गंगाबिशन बिश्नोई, भवानी सिंह, अशोक शर्मा, भैरूरतन रंगा, हरिनारायण आचार्य, पुनीत कुमार रंगा, घनश्याम ओझा, अरूण व्यास, तोलाराम सारण, कार्तिक मोदी, अख्तर, सुनील व्यास सहित अनेक श्रोताओं ने पेड़ पर केन्द्रित रचनाओं का भरपूर आनंद लिया।
प्रारंभ में सरस्वती वंदना डॉ. कृष्णा आचार्य ने की। कार्यक्रम का सफल संचालन कवि गिरीराज पारीक ने किया एवं आभार संस्कृतिकर्मी आशीष रंगा ने ज्ञापित किया।