विनय एक्सप्रेस समाचार, बीकानेर। खबर हमारी विश्वास आपका। चींटी में चींटी का दर्शन मिथ्या, लेकिन चींटी में आत्म का दर्शन सच्चा दर्शन होता है अर्थात अगर आप केवल चींटी मे एक निम्न स्तर का जीवन देखकर उसके अन्याय करते हो तो यह अपराध आप उसे निर्बल चींटी नही एक जीव आत्मा का अहसास होना चाहिए उसके प्रति प्रेम और दया का भाव होना चाहिए और ना केवल चींटीं आप कीसी भी जीवात्मा को ऐसे देखें तब तो आप परमात्मा का संदेश समझ सकते है मोक्ष प्राप्त करने का सोच सकते है अन्यथा धनबल – भुजबल बनकर दुर्गति के चक्र मे ही फंसे रहोगें, मोक्ष मुश्किल हैै, जबकि परमात्मा निर्धन, दुर्बल व्यक्ति को भी मोक्ष का अवसर देता है। उन्होने राजा, मंत्री, संस्था प्रमुख, दानवीर के बारे मे कहा कि ये सभी ऐसे जो आपको बहुत कुछ दे सकते है जो आपको चाहिए लेकिन कभी अपने बराबर का दर्जा नही दे सकते है, लेकिन परमात्मा जो सर्वोच्च ताकतवर है, सबसे बड़ा सेठ है, प्रकृति का मालिक है वो आपको अपने बराबर बिठा सकता है आपको परमात्मा बना सकता है बस आपको ऐसी भावना और सद्कर्म करने की मनसा, वाचा कर्मणा चाहिए – यद प्रवचन आज जैनाचार्च लक्ष्मीविजयजी द्वारा लिखित पुस्तक से रांगड़ी चैक स्थित पौषधशाला में चल रहे चातुर्मास आयोजन में श्राृतानंद म.सा. द्वारा विशेष प्रवचन सत्र मे दिये गये।
आत्मानन्द जैन सभा चातुर्मास कमेटी के संयोजक सुरेन्द्र बद्धानी ने बताया कि जैन महापर्व पर्युषण के शुभारंभ पर तपागच्छीय जैनाचार्यश्राी वल्लभ सूरीश्वर के शिष्यरत्न मुनि पुष्पेन्द्र म. सा. तथा श्राृतानंद म. सा. का विशेष प्रवचन सत्र आयोजित हुआ जिसमे जैन मुनि श्राृतानंद ने जैन ग्रंथों के अनुसार पर्युषण पर्व के दौरान आहार व्यवहार और जीवनचर्या पर ज्ञाान देते हुए पाॅंच दैनिक कत्र्तव्य पर प्रवचन देते हुए बताया कि हर जैनधर्मी को पर्युषण के दौरान पांच दैनिक कत्र्तव्य निभाना चाहिए जिनमे मिच्छामि दुकड़्ड़म, परस्पर क्षमापना, स्वधर्मी भाईयों की भक्ति, अठठम की तपस्या, चैत्य परिपाटी शामिल है।
जैन मुनियों ने 18 देशों के राजा कुमारपाल द्वारा गुरु हेमचंद्र द्वारा प्राप्त ज्ञाान के आधार पर पर्युषण के दौरान एक मकोड़े द्वारा जंघा काट काट कर विक्षिप्त करने के बावजूद नही मारने का उदाहरण रखते हुए कहा कि पर्युषण पर्व के दौरान अहिंसा का स्तर ऐसा होना चाहिए कि किसी भी जीव को बचाने के लिए अगर कुछ भी त्याग करना पड़े तो किंचित भी नही सोचना, सब कुछ न्यौछावर करके उस जीव को बचा लेना, जेन धर्म बच जायेगा। महावीर का सन्देश बच जायेगा, जैन गुरुओं का समर्पण बच जायेगा। बच्चो में हिंसा पनपने, गलत बातो साझा करके पाप मे भागीदारी निभाने, सारे युग में नास्तिकता की ओर बढ़ने पर पर चिंता जताते हुए कहा कि सच्चे जैन धर्म अनुयायि को ऐसा पापकर्म से बचना चाहिए। पर्युषण पर्व पर पाप कर्म मुक्त जीवन, अट्टम तप, जीव हिंसा ना हो, 8 दिन किसी से कोइ मनमुटाव ना हो, गलतीयों पर मिच्छामि दुक्कड्ड़म भाव हो, कड़वे वचन ना हो , किसी की मानसिक बुराई ना करें। पर्युषण पर्व के दौरान अष्टकारी पूजा, प्रतिक्रमण, कर्तव्य पूजा, ज्यादा से ज्यादा जीव दया के कर्म करने चाहिए ।
मंदिर श्रीपदम प्रभुजी ट्रस्ट के अजय बैद ने बताया कि स्वप्न दर्शन चढ़ावे का दर्शन जो हर वर्ष संध्या का होता है उसकी जगह समय संध्या की जगह सुबह का समय कर दिया गया। मंदिर प्रभु श्री पदम प्रभुजी ट्रस्ट द्वारा साधर्मिक स्वामी वात्सल्य का आयोजन 4 सितम्बर को सूरज भवन मे होगा।
आज की प्रभावना माणिकचंद शांतिलाल सेठिया और ओसवाल सॉप परिवार जयपुर द्वारा की गई तथा शांतियालाल सेठिया के सान्निध्य में श्रीसंघ की पूजा की गई तथा चातुर्मास में प्रतिक्रमण कर रहे श्रावकों का बहुमान किया गया। कल के प्रवचन मे 11 वार्षिकी कर्तव्यों पर प्रवचन श्रृंखला आयोजित होगी ।
आत्मानंद जैन सभा चातुर्मास कमिटी के शांतिलाल कोचर, सुरेंद्र बधानी, शांति लाल भंसाली, शांति लाल सेठिया, विनोद देवी कोचर ने प्रबंधकीय व्यवस्था देखी।
आज की प्रभावना माणिकचंद शांतिलाल सेठिया और ओसवाल सॉप परिवार जयपुर द्वारा की गई।
शांतियालाल सेठिया के सान्निध्य में श्रीसंघ की पूजा की गई