विनय एक्सप्रेस समाचार, बीकानेर। कला, साहित्य एवं संस्कृति मंत्री डाॅ. बी़. डी. कल्ला ने कहा कि साहित्यकार अपनी लेखनी के माध्यम से समाज को नई दिशा दिखाएं। उन्होंने कहा कि वरिष्ठ साहित्यकार शिवराज छंगाणी के गीत अत्यन्त मधुर हैं, उन्होंने अपनी कविताओं में जीवन के विविध पक्षों को उजागर किया है।
डाॅ. कल्ला शनिवार को परम्परा संस्था की ओर से मोहता चौक स्थित उधोदास जी की पिरोल में आयोजित समारोह में वरिष्ठ साहित्यकार शिवराज छंगाणी के राजस्थानी काव्य-संग्रह ‘फिरचर पुराण’ का लोकार्पण कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मनुष्य को अपनी विद्या, धन और शक्ति का उपयोग पीड़ित मानवता की सेवा में करना चाहिए। कहा गया है कि ‘सतसैया के दोहरे, ज्यों नावक के तीर, देखन में छोटे लगें घाव करें गंभीर’, उसी प्रकार शिवराज छंगाणी की कुंडलियां भी श्रोता के हृदय को छूती हंै। उन्होंने राजस्थानी साहित्य को सशक्त किया है।
कार्यक्रम अध्यक्ष डाॅ. श्रीलाल मोहता ने कहा कि कुंडलियां छंद अत्यन्त सरस होता है। शिवराज छंगाणी ने अपनी कविताओं के माध्यम से मानव जीवन का कोना-कोना टटोल लिया है। वरिष्ठ पत्रकार-साहित्यकार मधु आचार्य ‘आशावादी’ ने कहा कि छंगाणी ने साहित्यकारों की युवा पीढ़ी को साहित्य-सृजन हेतु प्रेरणा दी है। उन्होंने कथेतर साहित्य को सशक्त किया है, वे अपनी रचनाओं के माध्यम से सामाजिक विद्रूपताओं को सामने लाए हैं।
लेखक छंगाणी ने अपने काव्य संग्रह में से अनेक कुंडलियों का वाचन किया। उन्होंने सुनाया- ‘फिरचर काका कह रया, मिनख मानवी चेत, भलो जगत रो सोचतां, करलै सब सूं हेत’। इस अवसर पर डाॅ कृष्णा आचार्य ने पत्रवाचन किया। आभार सुशील छंगाणी ने व्यक्त किया व संचालन ज्योतिप्रकाश रंगा ने किया।
इस अवसर पर उपनिदेशक जनसम्पर्क विकास हर्ष, राजस्थानी भाषा अकादमी सचिव शरद केवलिया, डाॅ. गौरीशंकर प्रजापत, राजकुमार किराडू, डाॅ. ब्रजरतन जोशी, डाॅ. नमामीशंकर आचार्य, बिशन मतवाला, मुकेश व्यास, पुरूषोतम सेवग, अविनाश भार्गव, सुनील बोड़ा, बाबूलाल छंगाणी सहित बड़ी संख्या में साहित्यकार उपस्थित थे।