प्रदेश के विकास में कृषि क्षेत्र की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए ग्लोबल कृषि तकनीक अपनाएं, प्रतिबद्धता से कार्य करें – डा अरुण कुमार

राजस्थान दिवस पर एसकेआरएयू में परिचर्चा आयोजित

विनय एक्सप्रेस समाचार, बीकानेर। राजस्थान दिवस के अवसर पर रविवार को स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय में राजस्थान के विकास में कृषि का योगदान विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। मानव संसाधन विभाग सभागार में आयोजित इस परिचर्चा में मुख्य वक्ता के रूप में कुलपति डॉ अरुण कुमार ने कहा कि राजस्थान त्याग, बलिदान और वीरता की भूमि है। मीरा रैदास जैसे भक्त भी इस भूमि पर हुए हैं। उन्होंने कहा कि देश की आजादी के बाद से राजस्थान सतत् प्रगति के पथ पर अग्रसर है। आज कृषि उत्पादन की दृष्टि से राजस्थान देश के अग्रणी राज्यों में शुमार है। विश्वविद्यालय और यहां के कृषि वैज्ञानिकों के सहयोग से पश्चिमी राजस्थान की विषम जलवायुवीय परिस्थितियों के बावजूद क्षेत्र में किसान हर फल सब्जी का उत्पादन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आधुनिक कृषि नवाचारों में विश्वविद्यालय का अहम योगदान रहा है। इस विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने देश दुनिया में प्रदेश का नाम रोशन किया है। डॉ अरुण कुमार ने कहा कि राजस्थान दिवस आत्ममंथन करते हुए वर्तमान आवश्यकतानुसार कृषि की ग्लोबल तकनीकों को अपनाने व प्रत्येक किसान तक इन्हें पहुंचाने का संकल्प लेने का दिन है। उन्होंने कहा कि शोध के लिए नेटवकिंग और समन्वय से कृषि नवाचारों के नए आयाम विकसित करें। उन्होंने सभी अधिष्ठाताओं और अधिकारियों से अपने-अपने क्षेत्र में पूर्ण निष्ठा से काम करते हुए प्रदेश के कृषि क्षेत्र की प्रगति में योगदान देने का आह्वान किया।
कार्यक्रम में प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ नीना सरीन ने कहा कि अनुसंधान और नवाचारों को किसानों तक पहुंचाने के लिए विश्वविद्यालय की अलग पहचान रही है। प्रदेश के विकास में कृषि क्षेत्र का विकास समाहित है। इसी क्रम में विश्वविद्यालय द्वारा तकनीक हस्तांतरण के लिए प्रयास किया जा रहे हैं।
इससे पहले छात्र कल्याण निदेशक डॉ निर्मल सिंह दहिया ने स्वागत उद्बोधन दिया तथा राजस्थान दिवस के इतिहास पर संक्षिप्त परिचय देते हुए कहा कि प्रदेश के विकास में हर व्यक्ति की भागीदारी सुनिश्चित हो इसके लिए राज्य सरकार की इस पहल को अपनाते हुए विश्वविद्यालय में इस परिचर्चा का आयोजन किया गया है। इससे विश्वविद्यालय को आने वाले समय में कार्य करने के लिए नए सुझाव और मार्गदर्शिका मिल सकेगी।
आईएबीएम निदेशक डॉ आई पी सिंह ने प्रदेश के इतिहास और राजस्थान दिवस की महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों में प्रदेश के गौरवशाली अतीत के प्रति गर्व की भावना बने इसके लिए सभी निदेशालयों द्वारा नियमित रूप से कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कृषि उद्योग प्रबंधन एवं विपणन के क्षेत्र में नए शोध कार्य करते हुए विद्यार्थियों व किसानों की सक्रिय भागीदारी भी सुनिश्चित की जाएगी।
अनुसंधान निदेशक डॉ विजय प्रकाश ने विश्वविद्यालय में किया जा रहे विभिन्न अनुसंधानों की जानकारी दी। मानव संसाधन विभाग अधिष्ठाता डॉ दीपाली धवन ने कहा कि विकसित राजस्थान के संकल्प को साकार करने के लिए एसकेआरएयू में अध्यनरत विद्यार्थियों को उच्च गुणवत्तायुक्त शिक्षा शोध और अनुसंधानों से जोड़ा जा रहा है। आने वाले समय में शोध और अनुसंधान में वर्तमान आवश्यकताओं के अनुरूप नये क्षेत्रों को जोड़ा जाएगा। कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापित करते हुए सिमका के अधिष्ठाता डॉ सुजीत कुमार यादव ने कहा कि विश्वविद्यालय को अनुसंधान के पारंपरिक पाठ्यक्रम के साथ-साथ कृषि आधारित उद्योगों की आवश्यकता के अनुरूप नए अनुसंधान करने की आवश्यकता है। उन्होंने जलवायु परिवर्तन के नकारात्मक प्रभावों के बीच नए विषयों को सम्बोधित करते हुए नये क्षेत्रों में अनुसंधान की आवश्यकता भी जताई।
विद्यार्थियों ने प्रस्तुत की कृषि पर विस्तृत रिपोर्ट
इससे पहले विश्वविद्यालय के चार विद्यार्थियों द्वारा राजस्थान में कृषि की स्थिति पर व्यापक तथ्य और रिपोर्ट प्रस्तुत की गई। विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर , प्रोफेसर्स द्वारा चर्चा में सहभागिता करते हुए अपने सुझाव दिए गए। इस दौरान मंडावा कॉलेज के अधिष्ठाता डॉ पीसी गुप्ता, डॉ वाई के सिंह, डॉ राजेंद्र सिंह राठौड़ सहित अन्य अधिष्ठाता अधिकारी तथा विद्यार्थी उपस्थित रहे।