विनय एक्सप्रेस समाचार, नई दिल्ली : भारत की सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और कलात्मक विरासत को एक नई दृष्टि से पेश करने की पहल अब डिजिटल स्वरूप में साकार हो गई है। तुली रिसर्च सेंटर फाेर इंडिया स्टडीज (टीआरआईएस) ने बीटा वर्जन को लॉन्च करते हुए भारतीय अध्ययन के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। यह डिजिटल प्लेटफॉर्म टीआरआईएस की ‘सेल्फ डिस्कवरी वाया रेडिस्कवरिंग इंडिया सीरिज का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य है भारतीय ज्ञान को वैश्विक स्तर पर न केवल सुलभ बनाना, बल्कि एक नई समझ भी विकसित करना।
वेबसाइट डबल्यू डबल्यू डाॅट तुलीरिसर्चसेंटर डाॅट ओआरजी (टीआरआईएस) के संस्थापक नेविल तुली और उनकी टीम द्वारा तीन दशकों में एकत्रित शोध, दुर्लभ चित्रों, दस्तावेजों और अन्य सामग्री का समग्र रूप है। इस प्लेटफॉर्म में 16 अंतर्विषयक श्रेणियों में समाहित सामग्री भारतीय सिनेमा, ललित कला, वास्तुकला, साहित्य, सांस्कृतिक इतिहास, पशु कल्याण और सामाजिक विज्ञान जैसे क्षेत्रों को एकसाथ जोड़ती है। टीआरआईएस की इस पहल का मुख्य उद्देश्य है – ज्ञान को सभी के लिए निःशुल्क और सरल बनाना, चाहे वह छात्र हो, शिक्षक, शोधकर्ता या आम जन। नेविल तुली कहते हैं, “भारत की सांस्कृतिक और कलात्मक ऊर्जा तक सबकी पहुंच होनी चाहिए। यह प्लेटफॉर्म उसी दिशा में एक प्रयास है।”
दिल्ली के इंडिया हैबिटैट सेंटर के विजुअल आर्ट्स गैलरी में आयोजित प्रदर्शनी में टीआरआईएस के इस प्रयास की झलक देखने को मिल रही है। सिनेमा को शैक्षणिक संसाधन के रूप में पेश करना – शाेले, दीवार, पाकीज़ा जैसी फिल्मों के दुर्लभ पोस्टर, स्लाइड्स और फैन मेल के माध्यम से भारतीय सिनेमा की विरासत को एक नई दृष्टि से प्रस्तुत किया गया है।
डबल्यू डबल्यू डाॅट तुलीरिसर्चसेंटर डाॅट ओआरजी न केवल एक वेबसाइट है, बल्कि यह भारत के बौद्धिक और सांस्कृतिक इतिहास को वैश्विक स्तर पर प्रस्तुत करने का माध्यम है। शोधकर्ताओं, विद्यार्थियों और कला प्रेमियों के लिए यह एक अमूल्य संसाधन है जो आने वाले वर्षों में और भी समृद्ध और व्यापक होता जाएगा। टीआरआईएस का यह बीटा वर्जन एक नई क्रांति की शुरुआत है। आने वाले समय में डिजिटल और शैक्षणिक साझेदारियों के साथ यह मंच और भी विकसित होगा और भारत के ज्ञान को वैश्विक संदर्भ में मजबूती देगा। जो भी भारत की सांस्कृतिक आत्मा को समझना चाहता है, उसके लिए यह पोर्टल एक अमूल्य खजाना है।