यूसीईटी में योग प्रशिक्षण कार्यशाला का शुभारम्भ

योग विश्व और प्रकृति के साथ एकत्व खोजने का भाव : कुलपति डॉ अम्बरीष शरण विद्यार्थी

विनय एक्सप्रेस समाचार, बीकानेरlबीकानेर  तकनीकी विश्विद्यालय  के  यूनीवर्सिटी कॉलेज ऑफ़  इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलोजी  में सात दिवसीय योग कार्यशाला का आज शुभारम्भ हुआ। सहायक जनसम्पर्क अधिकारी विक्रम राठौड़ ने जानकारी देते हुए बताया की यूसीईटी दुवारा आयोजित इस कार्यशाला में योग प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। शुभारम्भ सत्र में कुलपति प्रो. अम्बरीष शरण विद्यार्थी ने कहा की योग हमारी कार्य क्षमता को बढ़ाता है तथा प्रकृति के साथ हमारा सामंजस्य बनाता है। योग प्राचीन भारतीय परम्परा एवं संस्कृति की अमूल्य देन है। भारतीय संस्कृति में योग विद्या का महत्वपूर्ण स्थान है। योग अभ्यास स्वास्थ्य एवं कल्याण का पूर्णतावादी दृष्टिकोण है। योग केवल व्यायाम नहीं है, बल्कि स्वयं के साथ, विश्व और प्रकृति के साथ एकत्व खोजने का भाव है। योग हमारी जीवन शैली में परिवर्तन लाकर हमारे अन्दर जागरूकता उत्पन्न करता है  हमारे जीवन में योग व ध्यान का विशेष महत्व है। शरीर एवं मन दोनों स्वस्थ होने पर व्यक्ति की कार्य की क्षमता में आशातीत वृद्धि होती है। योग के माध्यम से हम खुद को प्रकृति से जोड़ते है, जिससे हमारा शरीर स्वस्थ रहे आज हमें शरीर के साथ-साथ मन को भी स्वस्थ रखने की आवश्यकता है। मन को स्वस्थ बनाने के लिए अपने अंदर सकारात्मक सोच की जरूरत है, योग और आयुर्वेद ऋषि-मुनियों का दिया वरदान है जिसका लाभ प्रत्येक व्यक्ति ले सकता है। निदेशक अकादमिक डॉ यदुनाथ सिंह ने कहा कि विद्यार्थी जीवन में योग विचारों में संयम सिखाता है जिससे वह अपने समय प्रबंधन को सुनियोजित कर सकते हैं, प्रत्येक व्यक्ति को नियमित योगाभ्यास करते रहना चाहिए। आज मानव समाज में योग विज्ञान विभाग द्वारा समाज में अभूतपूर्व कार्य किए जा रहे हैं। योग भारतीय सभ्यता और संस्कृति की विश्व को एक अमूल्य देन है। कोविड महामारी में यदि हमें शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहना है तो योग को अपनी दिनचर्या में शामिल करना बहुत आवश्यक है। योग एक आध्यात्मिक अभ्यास है,जो शरीर और मस्तिष्क को संतुलित करते हुए हमें प्रकृति के नज़दीक लाता है।

कार्यक्रम प्रभारी डॉ. अनु शर्मा ने कहा कि योग को अपनाकर हम अपने शरीर, मन आदि में एकाग्रता विकसित कर सकते हैं। योग एक ऐसी सुलभ एवं प्राकृतिक पद्धति है जिससे स्वस्थ मन एवं शरीर के साथ अनेक आध्यात्मिक लाभ प्राप्त किये जा सकते हैं। सह प्रभारी डॉ. प्रीति पारीक और सुरेंद्र जांगु ने योग गुरु का परिचय देते हुए अभ्यास सत्र में सक्रिय रूप से विद्यार्थियों को जीवन में योग को अपनाने के लिए प्रेरित किया। योग शिक्षक श्री केसरी चंद पुरोहित ने प्रथम सत्र में योग के विभिन्न आसनों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यह एक आध्यात्मिक प्रक्रिया है इससे शरीर, आत्मा को एक साथ लाने का काम होता है। उन्होंने बताया कि सूर्य नमस्कार कैसे हमारा बहुमुखी विकास कर सकता है। ऊँ मंत्र हमारी सभी विकारों को दूर करने में कैसे सहायक होता है। आज के परिवेश में हम अपनी संस्कृति से दूर होते जा रहे हैं। योग पुनः अपनी जड़ों को पहचानने में सहायक होता है। अंत में डॉ. प्रीति पारीक ने सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया तथा प्रतिभागी विधार्थियों को जीवन में योग को अपनाने के लिए प्रेरित किया।