विनय एक्सप्रेस समाचार, चूरू। राज. राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, जयपुर एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष बलजीत सिंह के निर्देशानुसार मंगलवार को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव प्रमोद बंसल द्वारा सखी सेन्टर (वन स्टॉप सेन्टर) का निरीक्षण किया गया।
सचिव ने सेन्टर में कार्यरत स्टाफ से जानकारी लेते हुये पीड़ित महिलाओं को दी जाने वाली आवश्यक सुविधाओं के बारे में विचार किया तथा पीड़ित महिलाओं को सेन्टर पर दी जाने वाली सुविधाओं को ध्यान में रखकर पीड़ित महिलाओं की सहायता के निर्देश प्रदान किये। इस अवसर पर पीड़ित महिलाओं को पुलिस सहायता, पैनल अधिवक्ता, पीएलवी इत्यादि सुविधाएं उपलब्ध करवाने के संबंध में जानकारी ली गई। सचिव द्वारा बाल विवाह अधिनियम की जानकारी देते हुये बाल विवाह के दुष्परिणामों पर प्रकाश डाला गया तथा बाल विवाह के लिये बने कानूनी दण्ड के प्रावधानों के बारे में विस्तार से बताया गया। बाल विवाह से बालक-बालिका की प्रगति रुक जाती है। इससे स्वयं, परिवार एवं समाज पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। इस अवसर पर बाल विवाह के दुष्प्रभावों की जानकारी देते हुये बताया गया कि बाल विवाह से बालक का बचपन छिन जाता है तथा कई बार विवाहोपरांत बालक शिक्षा से वंचित हो जाता है। बाल विवाह से व्यक्ति का समुचित विकास नहीं हो पाता है। बालक पर आर्थिक भार एवं भविष्य की चिंताएं विकसित हो जाती हैं।
138 एनआई एक्ट, धन वसूली एवं प्री-लिटिगेशन प्रकरणों में की गई प्री-काउंसलिंग
राज. राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, जयपुर के तत्वावधान में मंगलवार को सचिव प्रमोद बंसल द्वारा 14 मई को आयोजित होने वाली राष्ट्रीय लोक अदालत में 02 लाख तक के 138 एन. आई. एक्ट, धन वसूली एवं प्री-लिटिगेशन प्रकरणों में ऑनलाईन प्री-काउंसलिंग की जाकर पक्षकारों को लोक अदालत के महत्व के बारे में समझाते हुये अपने प्रकरणों में राजीनामा हेतु प्रेरित किया गया। यह भी बताया गया कि लोक अदालत में प्रकरण के निस्तारण से उनका समय एवं धन की बचत होगी तथा सरकार का राजस्व वसूल होगा। इस अवसर पर पीएनबी बैंक के अधिकारीगण व अधिवक्ता उपस्थित रहे जिन्होंने ऑनलाईन पक्षकारों के साथ वार्ता कर प्रकरणों को निस्तारित करने के प्रयास किये। सचिव द्वारा न्यायालयों में लंबित 138 एनआई एक्ट, धन वसूली संबंधी प्रकरणों में प्री-काउंसलिंग करवाई जाकर प्रकरण का निस्तारण करवाया गया।
सचिव प्रमोद बंसल द्वारा बालिका आश्रय गृह का निरीक्षण कर आवश्यक जानकारी प्राप्त करते हुये निर्देश प्रदान किये गये। गृह परिसर में कोई भी बालिका प्रवेशित होना नहीं पाई गई। गृह में दी जाने वाली सुविधाओं एवं सुरक्षा व्यवस्था को भी देखा गया।