भारत की स्वतंत्रता के 75 साल के उपलक्ष में जिला प्रशासन एवं महात्मा गांधी जीवन दर्शन समिति की ओर से स्वतंत्रता सेनानी पं. चंदनमल बहड़़ की जयंती पर सूचना केंद्र में हुई संगोष्ठी
विनय एक्सप्रेस समाचार, चूरू। जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रामनिवास जाट ने कहा है कि अंग्रेजी राज में जब आम आदमी दोहरी गुलामी के अत्याचारों से पीड़ित था, ऎसे समय में सामंतशाही और राजशाही के खिलाफ आवाज उठाने वाले और लड़ने वाले लोेगों का साहस हमेशा प्रेरणा देता रहेगा।
सीईओ जाट रविवार को जिला मुख्यालय स्थित सूचना केंद्र में जिला प्रशासन एवं महात्मा गांधी जीवन दर्शन समिति की ओर से प्रख्यात स्वाधीनता सेनानी पं. चंदन मल बहड़ की जयंती पर आयोजित आयोजित संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। सूचना एवं जनसंपर्क विभाग एवं अहिंसा प्रकोष्ठ के सहयोग से आयोजित इस संगोष्ठी को संबोधित करते हुए सीईओ रामनिवास जाट ने कहा कि अंग्रेजी राज में सामंतशाही और राजाशाही के खिलाफ लड़ने वाले लोगों ने उस समय अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाई, जब तत्कालीन सत्ता के खिलाफ बोलना असंभव जैसा था। पं. चंदनमल बहड़ जैसे लोग जानते थे कि उनकी अभिव्यक्ति स्वयं उनके लिए बहुत मुश्किलें पैदा करेंगी लेकिन फिर भी उनकी संवेदनशीलता ओर दृढ़ता ने घुटने नहीं टेके। ऎसे जुझारू और स्वतंत्रता प्रिय महापुरुष हमेशा याद किए जाएंगे और हमें प्रेरणा देते रहेंगे।
मुख्य वक्ता शिक्षाविद डॉ एलएन आर्य ने कहा कि वह समय जुल्म की पराकाष्ठा का दौर था, ऎसे में पं. चंदनमल बहड़ जैसे लोगों ने आजादी की लड़ाई लड़ने के साथ-साथ रचनात्मक काम किया। पं. बहड़ ने अपने साथियों के साथ मिलकर विपरीत परिस्थितियों में साहसिक कार्य करते हुए तिरंगा फहराया। उनके व्यक्तित्व से सीखने की जरूरत है कि हम अनुचित के खिलाफ बोलें, उचित के लिए बोलें। पं. बहड़ और अन्य साथियों द्वारा किए गए छोटे-छोटे दिखने वाले रचनात्मक कार्य हमें सिखाते हैं कि ऎसे छोटे प्रयत्न ही हमें ऊंचाइयों की ओर ले जाते हैं। पं. बहड़ ने लगातार अत्याचारों के खिलाफ लिखा और इंटेलेक्चुअल मूवमेंट का नेतृत्व किया। डॉ आर्य ने चूरू शहर में अहिंसा सर्किल बनाने का सुझाव भी दिया।
अध्यक्षता करते हुए स्वाधीनता सेनानी बहड़ के पुत्र एवं पूर्व सभापति रामगोपाल बहड़ ने कहा कि आज की युवा पीढ़ी के लिए उस समय के जागीरदारी अत्याचारों की कल्पना करना भी मुश्किल है। उस जमाने में गांव-गांव में ऎसे सेनानी हुए, जिन्हें सामंती अत्याचारों के खिलाफ बोलने पर जुल्मों का सामना करना पड़ा। उस समय अभिव्यक्ति की आजादी नहीं थी और जुल्म के खिलाफ बोलने पर बुरा हश्र होता था। उन्होंने कहा कि हमें अपने आजादी के लड़ाकों को श्रद्धा के साथ याद करना चाहिए।
स्वागत उद्बोधन में महात्मा गांधी जीवन दर्शन समिति के चूरू संयोजक रियाजत खान ने आयोजकीय रूपरेखा की जानकारी देते हुए कहा कि पं. चंदनमल बहड़ ने अपने साथियों के साथ जिस साहस के साथ धर्मस्तूप पर तिरंगा फहराने की अपनी योजना को अंजाम दिया, वह अपने आप में उल्लेखनीय और अद्भुत है।
सहायक निदेशक (जनसंपर्क) कुमार अजय ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि युवा पीढ़ी में नफरत भरने वाले इतिहास की बजाय हमें इतिहास के उन स्वर्णिम पन्नों और ऎसे गौरवान्वित करने वाले नायकों को पढ़ना चाहिए जो देश की एकता-अखंडता को मजबूत बनाए और विविधता का सम्मान करना सिखाए। संचालन अहिंसा प्रकोष्ठ प्रभारी उम्मेद सिंह गोठवाल ने किया।
इस दौरान पूर्व कोषाधिकारी भागीरथ शर्मा, पार्षद नरेंद्र सैनी, जमील चौहान, सुबोध मासूम, महेश मिश्रा, श्यामसुंदर शर्मा, काजी मोहम्मद अब्बास, आबिद खान मोयल, श्रीराम पीपलवा, दीपिका सोनी, हनीफ खां, सिराज खां जोइया, इकबाल खां रूकनखानी, कालूराम महर्षि, राजेंद्र सिंह शेखावत, किशन उपाध्याय, अमित तिवारी, विमल कुमार जोशी, राकेश ओझा, साबिर अली, अरविंद भांभू, अग्निकुमार, खींवाराम पाटवाल, इलियास खान, राजीव बहड़, दीपक सैनी, योगेश गौड़, रामचंद्र गोयल, जसवंत सिंह, संजय गोयल, विजय रक्षक, आदि मौजूद थे।