परिवर्तन स्वीकारें और बनें विजेता: डॉ. गौरव बिस्सा

Dr Gaurav Bissa

दिल्ली विश्वविद्यालय के व्याख्याताओं को वेबिनार में “मार्केटिंग और मोटिवेशन” विषय पर डॉ. गौरव बिस्सा का बतौर मुख्य वक्ता संबोधन

विनयएक्सप्रेस सामचार, बीकानेर। मानसिक पक्षाघात हो जाने पर परिवर्तन स्वीकार्य नहीं होता. दुनिया में परिवर्तन ही स्थायी है और जो परिवर्तन को नहीं स्वीकारता वह नष्ट हो जाता है. ये विचार मैनेजमेंट ट्रेनर डॉ. गौरव बिस्सा ने दिल्ली विश्वविद्यालय, स्वामी श्रद्धानंद कॉलेज द्वारा आयोजित फैकल्टी डेवलपमेंट वेबिनार में व्यक्त किये. दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा “इंट्रीन्सिक मोटिवेशन ड्यूरिंग कोविड” विषय पर आयोजित इस वेबिनार में बतौर मुख्य वक्ता डॉ. बिस्सा नि कहा कि अज्ञात का भय, असफल होने का भय और भीषण आलस्य मानसिक पक्षाघात को जन्म देता है. बिस्सा ने कहा कि कोरना काल में यदि हमने अपनी आदतों को चेंज नहीं किया डायनासोर की भाँति विलुप्त हो जायेंगे.

डॉ बिस्सा ने द इकनोमिस्ट के रेफरेंस से बताया कि कोरोना के कारण यूरोपीय देशों में सैर, मनोरंजन, ट्रेवल आदि क्षेत्रों में खर्च अस्सी फीसदी कम होने, भारत में अकस्मात मानसिक रोगियों की संख्या बढ़ने और बच्चों के मोबाइल स्क्रीन पर बिताये जाने वाले समय की बढ़ोतरी अत्यंत चिंताजनक है. उन्होंने कहा कि इस चिंता के काल में भी हमें अपने राष्ट्र पर गर्व होना चाहिये क्योंकि आईआईटी दिल्ली ने ऐसे संकट काल में सस्ती टेस्टिंग किट बनाई, आईआईटी चेन्नई ने कपड़ों पर कोरोना को नष्ट करने वाली कोटिंग तथा आईआईटी कानपुर ने कोरोना डिसइन्फेक्टेंट बॉक्स बनाया है. उन्होंने कहा कि पोजिटिव सोच के साथ ही पोजिटिव विजुअलाइजेशन करना भी महत्त्वपूर्ण है.

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डॉ. बिस्सा ने नई विश्व व्यवस्था में भारत की शक्ति को आंकड़ों के साथ प्रस्तुत करते हुए कहा कि भारत द्वारा पिचहत्तर करोड़ रुपये देकर सार्क कोविड इमरजेंसी फंड बनाना, पश्चिम एशिया के देशों को मेडिकल मदद देना और पच्चीस देशों का समूह बना कोरोना से लड़ने की सोच प्रत्येक भारतीय के लिये गर्व का विषय होना चाहिये. डॉ. बिस्सा ने शिक्षक के कर्तव्यों को समझाते हुए कहा कि शिक्षक का आचरण उदाहरण स्वरुप होना चाहिये क्योंकि शिक्षक आचार्य होता है. जीवन में खुशी को समझाते हुए डॉ. बिस्सा ने कहा कि कार्यस्थल का दास बनकर अपने दफ्तर को ही जीवन समझ लेने से अशांति ही मिलती है क्योंकि हमारा जीवन हमारे दफ्तर, पद, पे स्केल, पैसों और सत्ता से कहीं ज्यादा मूल्यवान है. उन्होंने जीवन को आनंद से जीने, अपने शौक को जीने और प्रतिभा के सम्पूर्ण इस्तेमाल पर बल दिया. डॉ. बिस्सा ने ऑनलाइन शिक्षा और उसके सदुपयोग को भी आंकड़ों के साथ समझाया.

इस अवसर पर कार्यक्रम समन्वयक डॉ. लक्ष्मण पालीवाल ने कहा कि महामारी के संकट काल में सेवा प्रदाताओं को इस बात पर गर्व होना चाहिये कि ईश्वर ने उन्हें ऐसा सुअवसर दिया है. पालीवाल ने कहा कि ऐसे काल में सर्वोच्च सेवा देना ही प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है. कार्यक्रम में प्राचार्य डॉ. प्रवीन गर्ग ने कहा कि कठिन परिस्थितियों में उत्कृष्ट सृजन होता है. संसार के सर्वोत्कृष्ट कार्य कष्टप्रद परिस्थितियों में ही हुए प्रतीत होते हैं अतः कष्ट को अवसर मानना चाहिये. कार्यक्रम की सह समन्वयक डॉ. रेखा गुप्ता ने डॉ. बिस्सा का स्वागत किया और कॉलेज गतिविधियों पर प्रस्तुतीकरण दिया. डॉ. डूंगर राम जल्वानी ने आभार जताया.

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