विनय एक्सप्रेस, आलेख। कार्तिक शुक्ला एकादशी को देवोत्थान एकादशी आती है। इस सम्बंध में कथा यह है कि भाद्रप्रद की एकादशी को ही भगवान विष्णु ने शंखासुर नामक राक्षस को मार कर भारी थकावट से शयन कर कार्तिक शुक्ला एकादशी को नयनोंमिलित किये थे।पंडित नितेश व्यास बताते है कि इस दिन स्नान दान और उपवास का विशेष महात्म्य है, इस दिन सभी को विधिपूर्वक व्रत करना चाइये। सम्पूर्ण तीर्थो के स्नान तथा सभी व्रतों के करने से अधिक पुण्य इस व्रत को करने से प्राप्त होता है । व्रती को चाइये इस दिन स्नान दान जप,तप, हवन,अवश्य करे।
इस दिन व्रत करना और विष्णु के देव निद्रा से जागने का उत्सव करना। भगवान की षोडशोपचार से पूजा करना और देव मांड कर देव की पूजा करना ।
जल से जमीन धोकर चुने ओर गेंहू से देव मांडना उसके उपर कठुआ रखना, दीपक जलाना। जल कुमकुम चावल, पुष्प, रुई, गुड़, 4 सुहाली, , 4 केला, सवा किलो चावल साबुत, गवार की फली, मुली ओर नकदी रुपया फ़िर देव उठाने के गीत और बधावे गाना। इस दिन तुलसी विवाह करना। मंदिर के तुलसी विवाह में गन्ना भेजना। इस दिन पंढरपुर म् श्री विट्ठल रुक्माई का दर्शन करना और चंद्रभागा नदी में स्नान करना।
इस तिथि के बाद से शादी विवाह आदि शुभ कार्य होने शुरू हो जाते है ।तुलसी विवाह।कार्तिक शुक्ला देव उठनी एकादशी को प्रातः 4 बजे उठकर स्नानादि नित्यकर्म से निवृत होकर एकादशी का व्रत करना तुलसी विवाह करना, ओर शक्तिनुसार दान धर्म करना।
गोधूलि वेला मे स्नान करके शुद्ध जरी के वस्त्र आभूषण पहनकर गठजोड़े, से बैठकर भक्तिभाव से तुलसी जी का विवाह शालिग्राम भगवान के साथ करना। तुलसी विवाह स्वयं करना या पण्डित को बुलाना। स्त्री पुरुष बालक सब मिलकर पूजा करना।
आंगन में तुलसी पूजा की जगह धो पूछकर गोबर से लीपकर रंगोली मांडना । उस पर चौकी रखनकर चारो ओर गन्ने खड़े करके मोली से बांध कर मंडप बनाना। मंडप के नीचे चौकी पर तुलसी जी की कुंडी रखना। पूजा की कुंडी हर वर्ष नई बनाना। कुंडी को खड़िया मिट्टी से रंगकर , गेरू से चारो ओर राम राम या श्री कृष्ण लिखना। इसका विशेष महात्म्य है मंडप सजाना शालग्राम या कृष्ण जी का विग्रह या फ़ोटो रखना और तुलसी जी से विधि पूर्वक विवाह करवाना जिसमे प्रथम कलश पूजन , दीपक, घण्टी आदि संकल्प लेकर गणेश जी की पूजा करना।
नवग्रह रुद्र कलश आदि की पूजा के बाद भगवान प्रधान की पूजा करना मोली आदि से तुलसी जी का गठजोड़ना फेरे करना। भोग आरती करना।नारियल आदि लागना ओर फटाके भी फोड़ना। तुलसी जी के विवाह गीत गाना परिक्रमा करनी रात्रि जागरण करना और अगले दिन द्वादशी के दिन ब्राह्मण भोजन कराना ओर तुलसी विवाह का सामान दे देना।
पंडित नितेश व्यास (ऐस्ट्रो भा) भागवत नानी बाई मायरा वाचक, अधिष्ठाता महागणपति साधना पीठ,अध्यक्ष ज्योतिष ग्लोबल पुंज, महासचिव विश्व सनातन वाहिनी
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