विनय एक्सप्रेस समाचार, बीकानेर। 535 वर्षों पूर्व राव बीका द्वारा स्थापित किए गए शहर बीकानेर आज विश्व में नए नए कीर्तिमान छूता जा रहा है | जहां एक और बीकानेर के लोग विश्व के मानस पटल पर अपनी व्यापारिक छाप छोड़ रहे हैं तो वहीं दूसरी और कला, खेल और अपनी विशिष्ट संस्कृति की बदौलत बीकानेर अपनी अमिट छाप छोडता जा रहा है| परंतु इसका दूसरा पक्ष देखा जाये तो आज भी बीकानेर का एक वर्ग अपनी इस महान शहर की कहानी और संस्कृति से अछूता नज़र आता है | बीकानेर के इसी महान इतिहास और अपनी परोपकारी संस्कृति को बनाए रखने के लिए बीकानेर की प्रसिद्ध मूर्तिकार रुचिका जोशी ने बेड़ा उठाया है |
रुचिका जोशी जो बीकानेर के आधुनिक सौंदर्यीकरण में एक विशिष्ट भूमिका अदा कर रही है और कला के नए नए आयाम प्रस्तुत कर रही है ने देखा की बीकानेर मे अब भी गरीबी का आलम ये हैं की लोगों के पास तन ढकने के लिए छत तो दूर की बात है भोजन तक के लिए धन जुटाना उनके लिए बहुत ही मुश्किल होता जा रहा है | वहीं दूसरी ओर आखातीज़ का त्यौंहार जो खुशियाँ बिखेरना का त्यौंहार है जिसे पतंग उड़ाकर हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है परंतु महंगाई के इस वातावरण में गरीब बच्चों के लिए पतंग खरीदना भी मुश्किल है |
उध्यमिता के साथ साथ संस्कारों का भी ध्यान रखने वाली रुचिका जोशी ने झुग्गी झोंपड़ी मे रहने वाले परीवारों के गरीब बच्चों को चरखी और पतंगे बांटे साथ ही उन्हें खिचड़ा, इमली एवं मिट्टी की हांडी भी भेंट की ताकि बच्चे पूरे हर्षोल्लास के साथ आखातीज मना सके |
कार्यक्रम मे राजस्थान के मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत के मुख्य सचिव श्री लोकेश शर्मा ने शिरकत की और रुचिका जोशी के इस कदम की सराहना करते हुए समाज से आह्वान किया की सभी को इससे प्रेरणा लेकर समय समय पर अभावग्रस्त लोगों के लिए कुछ ना कुछ करते रहना चाहिए जिससे समाज मे आपसी सहयोग की भावना बढ़ेगी और आर्थिक संतुलन भी बने रहने मे मदद मिलेगी |
भारतीय सेना मे जवान रहे और पाकिस्तान के खिलाफ़ युद्ध मे एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके श्री हेम सिंह जी ने बताया की बीकानेर हमेशा से ही दानदाताओं का शहर रहा है और यहाँ पर हमेशा से लोगों ने अपनी सामर्थ्य अनुसार एक दूसरे की सहायता कर मानवता को जिंदा रखा है | श्री हेम सिंह जी ने रुचिका के इस कदम की सराहना की और कहा कि रुचिका जैसे लोग ही बीकानेर कि संस्कृति को बचाए हुए हैं |
समाज सेवी लक्ष्मण मोदी, जो पिछले कई सालों से गरीब बच्चों के उत्थान मे लगे हुए हैं ने कहा कि गरीबों के बारे मे सोचना बहुत जरूरी है अन्यथा समझ का ये अर्थव्यवस्था कि दौड़ में ये वर्ग बहुत पीछे रह जाएगा |