बीकानेर के औद्योगिक विकास की माँग को लेकर उद्यमियों ने सौंपा सीएम गहलोत को ज्ञापन

विनय एक्सप्रेस समाचार, बीकानेर। बीकानेर जिला उद्योग संघ अध्यक्ष द्वारकाप्रसाद पचीसिया एवं करणी इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष महेश कोठारी ने बीकानेर के औद्योगिक विकास में आ रही समस्याओं के निस्तारण हेतु ज्ञापन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को सौंपा |

अध्यक्ष द्वारकाप्रसाद पचीसिया ने बताया कि बीकानेर में सिविल एयरपोर्ट के विस्तार एवं टर्मिनल निर्माण की नितांत आवश्यकता है क्योंकि इसके बिना बीकानेर से कोलकात्ता, मुंबई, गुवाहटी एवं अन्य लंबी दूरी की विमान सेवाओं का संचालन असंभव है |

अगर राज्य सरकार या जिला प्रशासन 23.83 हेक्टेयर भूमि भारतीय विमानपतन प्राधिकरण को एयरपोर्ट टर्मिनल विकसित हेतु निशुल्क भूमि उपलब्ध करवा दे तो केंद्र सरकार द्वारा एयरपोर्ट ऑथोरिटी से टर्मिनल का विस्तार करवा दिया जा सकता है | साथ ही मुख्यमंत्री चिरंजीवी बीमा योजना में राजस्थान सरकार को श्रमिक वर्ग चाहे वो किसी प्रदेश का हो उसको भी राजस्थान के श्रमिकों की भांति समानांतर योजना का लाभ देना चाहिए ताकि श्रमिक को किसी गंभीर बीमारी के समय किसी पर आश्रित रहने या आर्थिक नुकसान का सामना ना करना पड़े ।

बीकानेर जिले में रेल्वे द्वारा इन्लेंड कंटेनर डिपो की स्थापना की जाए ताकि बीकानेर जिला देश के मानचित्र में अपनी विशिष्ट पहचान बनाए और बेरोजगारों को रोजगार मुहेया हो सके तथा इससे निर्यात सुलभ होगा, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उत्पादों को मार्केट मिलेगा | पुराने उद्योगों को भी नए उद्योगों की भांति छूट प्रदान की जाए ताकि राजस्व और रोजगार दोनों में समानांतर वृद्धि संभव हो सके |

करणी इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष महेश कोठारी ने बताया कि रिको बीकानेर द्वारा राज्य सरकार की औद्योगिक विकास की भावनाओं को नजर अंदाज करते हुए अपनी मामूली प्रस्तावित राशि के बचाव में करणी औद्योगिक क्षेत्र में 551 उत्पादनरत उद्योगों को बंद करवाने की संदेहास्पद कार्यप्रणाली पर कार्य कर रही है |

रिको द्वारा करणी विस्तार की पर्यायवरण स्वीकृति में करणी औद्योगिक क्षेत्र में निकलने वाले पानी के लिए सीईटीपी निर्माण कराने की जिम्मेवारी स्वयं रिको द्वारा लिखित में स्वीकारी हुई है लेकिन फिर भी रिको द्वारा सीईटीपी निर्माण नहीं करवाया जा रहा है | रिको की इस हठधर्मिता के चलते इस पूरे औद्योगिक क्षेत्र में 551 उत्पादनरत उद्योग तो बंद होने के कगार पर है साथ साथ इन उद्योगों में कार्यरत 11 हजार श्रमिक अपनी रोजी रोटी से हाथ धो बैठेंगे |