विनय एक्सप्रेस समाचार, भरतपुर। जिले में शीत लहर के प्रकोप को मद्देनजर रखते हुए पड़ने वाले पाले के दौरान कृषक फसलों की सिंचाई करें जिससे पाले का असर एवं गलावट कम हो सके।
संयुक्त निदेशक कृषि ने किसानों को सलाह दी है कि मौसम विभाग के अनुसार शीत लहर अगले सप्ताह तक जारी रह सकती है ऐसी स्थिति लगातार बनी रहने के कारण फसलों में पाला पड़ने की सम्भावना है। ऐसे में किसानों को पाला पड़ने से पूर्व की जानकारी भी होना चाहिए जैसे यदि सांयकाल आसमान साफ हो, हवा शान्त हो एवं तापमान में कमी के साथ गलावट बढ़ रही हो तो यह मान लें कि उस रात पाला पड़ने वाला है। उन्होंने कहा कि पाले से बचाव हेतु फसलों की सिचाई करें जिससे भूमि एवं पौधों का तापमान 2° सेंटीग्रेड तक बढ़ जाता है। रात 10 बजे के पश्चात् खेत के उत्तर एवं पश्चिम दिशा की मेड़ों पर धुंआ करें। साथ ही सल्फर डस्ट 08 से 10 किग्रा प्रति हैक्टर की दर से खेत में भुरकाव करें एवं थायोयूरिया 15 ग्राम प्रति टंकी (15 लीटर पानी) अथवा 150 ग्राम 150 लीटर पानी के साथ प्रति हैक्टर की दर से खड़ी फसल पर छिडकाव भी करें म्यूरेट ऑफ पोटाश 150 ग्राम प्रति टंकी (15 लीटर पानी) या 1.5 किग्रा प्रति एकड़ की दर से 150 लीटर पानी के साथ छिड़काव करें। फसलो पर गंधक के तेजाब का 0.1 प्रतिशत (1 मिली लीटर प्रति लीटर) के दर से छिड़काव करें।
पाले से बचाव हेतु ग्लूकोज का उपयोग अत्यन्त प्रभावी उपाय है। खड़ी फसल पर 25 ग्राम ग्लूकोज प्रति टंकी (15 लीटर पानी) की दर से छिड़काव करें। यदि फसल पाले की चपेट में आ गयी हो तो तुरन्त 25 से 30 ग्राम ग्लूकोज प्रति टंकी (15 लीटर पानी) की दर से प्रभावित फसल पर छिडकाव कर दें।
एन.पी.के. (18ः18ः18 अथवा 19ः19ः19 अथवा 20ः20ः20) 100 ग्राम $ 25 ग्राम एग्रोमिन प्रति टंकी (15 लीटर पानी) की दर से पाले से प्रभावित फसल पर छिड़काव करके उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। स्थायी समाधान के लिए खेत के उत्तर पश्चिम दिशा में वायुरोधक वृक्षों की बाड तैयार कर पाले के प्रभाव को कम किया जा सकता है। विपरीत परिस्थतियों में नुकसान की भरपाई हेतु फसलों का बीमा कराये। तापमान में गिरावट से पशुओं को भी सर्दी से नुकसान पहुँच सकता है। पशुओं को रात्रि के समय छायादार जगह पर रखें तथा सुबह जल्दी बाहर नहीं निकालें।