घर-घर में औषधीय पौधों को उगाने में सहयोगी बनें बच्चे और अभिभावक -विद्यार्थियों और अभिभावकों के लिए आयोजित जागरूकता सत्र में बोले वक्ता

विनय एक्सप्रेस समाचार, जयपुर। घर-घर औषधि योजना के व्यापक प्रचार के उद्देश्य से राजस्थान की समृद्ध जैव विविधता और परंपरागत आयुर्वेदिक ज्ञान से विद्यार्थियों व अभिभावकों को जागरूक करने के लिए रविवार को जयश्री पेड़ीवाल ग्लोबल स्कूल की ओर से जागरूकता सत्र आयोजित किया गया। इसमें वन विभाग, राजस्थान के अधिकारियों ने राजस्थान सरकार द्वारा शुरू की जा रही घर-घर औषधि योजना के बारे में जानकारी देते हुए आह्वान किया कि घर-घर में औषधीय पौधों को उगाने और स्वयं को स्वस्थ रखने में बच्चे और अभिभावक मिलकर सहयोगी बनें।

मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए वन विभाग के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (विकास) डॉ. दीप नारायण पाण्डेय ने कहा कि विभिन्न शोधपत्रों से यह प्रमाणित है कि घर-घर औषधि योजना के तहत वितरित किए जाने वाले चारों औषधीय पौधे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में कारगर हैं। इसलिए इन औषधीय पौधों को उत्साहपूर्वक उगाते हुये वैद्यों की सलाह से उपयोग करना कल्याणकारी रहेगा । उन्होंने आगे कहा कि यह कोई कोरा ज्ञान नहीं है बल्कि घर-घर औषधि योजना के माध्यम से स्वास्थ्य की मुस्कान लाने का ठोस विचार है।

डॉ. दीप नारायण पाण्डेय ने कहा कि योजना को अमलीजामा पहनाने में बहुत से लोगों ने शोध किया है, कइयों ने मेहनत की है और विशेषज्ञों के अनुभव के बाद तुलसी, गिलोय, अश्वगंधा और कालमेघ के रूप में 4 औषधीय पौधे तैयार किए गए हैं। डॉ. पाण्डेय ने किसानों का जिक्र करते हुए बताया कि अगर किसान अपने बच्चों को खेती करना ना सिखाए तो हमें बाजार में खाने के लिये खाद्यान्न नहीं मिले। इसलिए बच्चों तक इन औषधीय पौधों को उगाने और रखरखाव की जानकारी और दादी-नानी के घरेलू उपचार के नुस्खे की जानकारी पहुंचाई जानी आवश्यक है। उन्होंने बच्चों से भी आह्वान किया कि वे इन पौधों के साथ बड़े हों। उनका ध्यान रखें। उन्हें जीवित रखें, समय-समय पर उनमें पानी देते रहें और उनका संरक्षण करें। धरती के चेहरे पर हरियाली की मुस्कान लाने के लिए पर्यावरण संरक्षण आवश्यक बताते हुये डॉ. पाण्डेय ने उम्मीद जताई कि घर-घर औषधि योजना के माध्यम से आमजन इसमें अपना सक्रिय सहयोग देंगे।

राजस्थान फॉरेस्ट्री एंड वाइल्ड लाइफ ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट की अतिरिक्त निदेशक श्रीमती शैलजा देवल ने पहला सुख निरोगी काया की महत्ता और प्रजेंटेशन के जरिए घर-घर औषधि योजना की रूपरेखा बताते हुए स्कूल, विद्यार्थियों और बच्चों के साथ-साथ अभिभावकों की योजना में भूमिका बतलाई। श्रीमती देवल ने चित्रों के जरिए औषधीय पौधों की जानकारी देते हुए बताया कि इन पौधों को घरों में उगाने से पर्यावरण संरक्षण तो होगा ही, बच्चों तक भी परंपरागत ज्ञान पहुंचेगा और उनमें पर्यावरण संरक्षण को लेकर समझ विकसित होगी। श्रीमती देवल ने कहा कि मौसमी बीमारियों की रोकथाम में भी इन पौधों की उपयोगिता प्राचीन काल से बनी हुई है। इन औषधीय पौधों के माध्यम से आयुर्वेद और परंपरागत ज्ञान को आम जन तक पहुंचाने के लिए राजस्थान सरकार ने घर-घर औषधि योजना शुरु की है।

इससे पहले, स्कूल प्रबंधन की ओर से श्रीमती कोमल किशनानी ने स्वागत उद्बोधन देते हुए अतिथियों का परिचय दिया। प्राचार्य श्रीमती मंजू खोसला ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम में मेघा शर्मा, शिखा जैन सहित पूर्व-प्राथमिक स्तर से लेकर 12वीं कक्षा तक के विद्यार्थी और उनके अभिभावक ऑनलाइन शामिल हुए।