झंडा सत्याग्रह में नौ माह मिली जेल, 34 दिन काल कोठरी में भूखे रह झुकाया सरकार को
विनय एक्सप्रेस समाचार, बीकानेर। आजादी नहीं होती है इतनी आसान, इस आजादी के लिए न जाने कितने महानायकों ने कुर्बान कर दी अपनी जान…। यह बात युवा नेता विजयमोहन जोशी ने रविवार को स्वतंत्रता सेनानी किशनगोपाल सेवग ‘गुटड़ महाराज’ की 45वीं पुण्यतिथि के दौरान कही। स्वतंत्रता सेनानी किशनगोपाल सेवग के पड़पौत्र जितेन्द्र शर्मा ने बताया कि भुजिया बाजार स्थित श्रीकिशन गोपाल सेवग गुटड़ महाराज मार्ग पर श्रद्धांजलि सभा आयोजित कर स्वतंत्रता हेतु दिए गए बलिदान का स्मरण किया गया।
श्रद्धांजलि सभा को सम्बोधित करते हुए शिक्षा अधिकारी सुनील बोड़ा ने कहा कि स्वतंत्रता सेनानियों ने अनेक यातनाएं सहीं, बलिदान दिया तभी हम आज स्वतंत्र जीवन जी रहे हैं। श्रद्धांजलि सभा में कांग्रेस नेता राजेश भोजक, माणकचंद सोनी, भगवतीप्रसाद पारीक, युवा उद्यमी पवन अग्रवाल, डॉ. बीडी शर्मा, महेन्द्र शर्मा, राजेश शर्मा, भवानी शर्मा, अरविन्द सेवग, हरिनारायण आचार्य, कमल शर्मा, मनमोहन शर्मा, मुकेश आचार्य, नवीन अग्रवाल, गोपाल सेवग, राजेन्द्र शर्मा राजा, भवानी तंवर, घनश्याम अग्रवाल, विनोद तंवर, सुनील भोजक, चंद्र शर्मा, पप्पू बीकानेरी, कैलाश शर्मा, पवन शर्मा, ऋषिराज भोजक, मनु सेवग, खुशाल भोजक, विनय सेवग, प्रथम शर्मा, सत्येन्द्र शर्मा, प्रेडी खरखोदिया ने पुष्पांजलि अर्पित की।
क्रांतिकारी थे.. इसलिए पुलिस से रहता 36 का आंकड़ा, देशभक्ति की थी जिद्द
कांग्रेस नेता राजेश भोजक ने पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि सभा को सम्बोधित करते हुए बताया कि श्री किसन गोपाल गुट्टड़ महाराज राष्ट्र सेवग व स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी थे। इनका राजनैतिक जीवन 1921 में शुरू हो गया था। बीकानेर के तत्कालीन नेता मुक्ताप्रसाद वकील के साथ कार्य शुरू किया और प्रजा मंडल से जुड़ गए।
गुटड़ महाराज बीकानेर राज्य प्रजा परिषद के संस्थापकों में से एक थे। राजा सेवग ने बताया कि इतिहास में उल्लेखित व पारिवारिक सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार 1942 के दिसम्बर माह में झंडा सत्याग्रह के दौरान गुटड़ महाराज को गिरफ्तार किया गया तथा उन्हें नौ माह की सजा दी गई। इस दौरान राजबंदियों के साथ अपमानजनक व्यवहार के चलते उन्होंने अनिश्चित काल के लिए भूख हड़ताल प्रारंभ कर दी।
इस पर गुटड़ महाराज को काल कोठरी में बंद कर दिया गया जहां 34 दिन तक भूखे रहे और अंत में सरकार ने हार मानी तथा गुटड़ महाराज की सभी शर्तों को स्वीकारा। बीकानेर के खादी मंदिर में गुटड़ महाराज शुरू से ही संचालक मंडल के सदस्य और बिना किसी पारिश्रमिक के खादी उत्पादन और खादी प्रचार का कार्य निरन्तर निस्वार्थ भाव से करते आए। खादी को बढ़ावा देने में भी गुटड़ महाराज हमेशा अग्रणी रहे। गुटड़ महाराज का पुलिस के साथ 36 का आंकड़ा रहता था। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान अनेकों बार पुलिस द्वारा अनर्गल कारणों से गुटड़ महाराज को गिरफ्तार कर बुरी तरह से पिटाई की जाती थी। खासतौर पर दूधवाखारा के आंदोलन के समय उन्हें वैद्य मघाराम के साथ गिरफ्तार किया गया। गंगाशहर थाने में गुटड़ महाराज को अत्यन्त बेरहमी से पीटा गया था, लेकिन उनकी देशभक्ति की जिद को कोई रोक नहीं सका।