जियोफिजिकल, पेट्रोलोजी एवं रिमोट सेंसिंग गतिविधियां होंगी सुदृढ : अतिरिक्त मुख्य सचिव, माइंस

विनय एक्सप्रेस समाचार, जयपुर। अतिरिक्त मुख्य सचिव माइंस, पेट्रोलियम व जलदाय डॉ. सुबोध अग्रवाल ने बताया है कि राज्य में करीब दो करोड़ 65 लाख रु. की लागत से जियोफिजिकल, पेट्रोलोजी एवं रिमोट सेंसिंग गतिविधियों को और अधिक प्रभावी और सुदृढ बनाया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस पर होने वाले व्यय को राजस्थान स्टेट मिनरल एक्सप्लोरेशन ट्रस्ट सेकिया जाएगा।
एसीएस माइंस डॉ. सुबोध अग्रवाल बुधवार को सचिवालय में राजस्थान राज्य खनिज अन्वेषण ट्रस्ट आरएसएमईटी की कार्यकारी समिति की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने बताया कि जियोफिजिकल के सुदृढीकरण से अधिक गहराई में उपलब्ध मिनरल्स की संभावित क्वांटिटी, क्वालिटी आदि का वैज्ञानिक तरीके से विश्लेषण किया जा सकेगा वहीं पेट्रोलोजी के सुदृढ़ीकरण से मिनरल रॉक्स के चिन्हीकरण का कार्य और अधिक प्रभावी तरीके से हो सकेगा। उन्होंने बताया कि इसी तरह से रिमोट सेंंिसग के सुदृढ़ीकरण से ड्रोन आदि अत्याधुनिक साधनों के उपयोग के माध्यम से किस क्षेत्र में कौन-कौन से संभावित मिनरल्स है इसका विश्लेषण किया जा सकेगा। उन्होंने बताया कि इसके लिए आवश्यक तैयारियां पूरी कर ली गई है।
डॉ. अग्रवाल ने बताया कि में राजस्थान राज्य खनिज अन्वेषण ट्रस्ट आरएसएमईटी का गठन राज्य में खनिज पूर्वेक्षण एवं अन्वेषण, विभागीय सुदृढीकरण और तकनीकी नवाचार, तकनीकी परामर्श, लाजिस्टिक सपोर्ट और बिजनेस डवलपमेंट के उद्देश्य से किया गया है। उन्होंने बताया कि राज्य में विभिन्न स्थानों से लिए गए खनिजों के नमूनों का विश्लेषण कराने के लिए हैदराबाद की एनएबीएल प्रयोगशाला को 2366 नमूनों का विश्लेषण करवाया गया है जिसमें से 1990 नमूनोें की विश्लेषण रिपोर्ट प्राप्त हो गई है। इसी तरह से इसी कोष से शाहबाद के लाईमस्टोन के 44 सैंपल्स का विश्लेषण करवाया गया है।
एसीएस डॉ. सुबोध अग्रवाल ने कहा कि राज्य में खनिज खोज अन्वेषण कार्य को और अधिक गति देने के लिए में राजस्थान राज्य खनिज अन्वेषण ट्रस्ट आरएसएमईटी के वित्तीय सहयोग से कार्ययोजना तैयार की जा रही है। उन्होंने बताया कि इससे राज्य सरकार के वित्तीय सहयोग की निर्भरता कम होगी वहीं नेशनल मिनरल एक्सप्लोरेशन ट्रस्ट का वित्तीय सहयोग भी राज्य में खनिज खोज गतिविधियों को विस्तारित करने के लिए प्राप्त किया जा सकेगा।
निदेशक माइंस श्री प्रदीप गवांडे ने बताया कि आरएसएमईटी के माध्यम से नए खनिज क्षेत्रों के खोज और ऑक्शन के लिए तैयारी का कार्य किया जा रहा है। वहीं खान व भूविज्ञान विभाग को तकनीकी दृष्टि से सक्षम बनाने के लिए आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं।
आरएसएमईटी के सीईओ श्री एनपी सिंह ने पीपीटी के माध्यम से विस्तार से गतिविधियों, निर्णयों के क्रियान्वयन और भावी कार्ययोजना की जानकारी दी।
कार्यकारी समिति की बैठक में उपसचिव नीतू बारुपाल, रीजनल कंट्रोलर आईबीएम, उपमहानिदेशक राज्य इकाई जियोलोजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, एसजी श्री संजय दुबे, अतिरिक्त निदेशक भूविज्ञान जयपुर श्री आलोक जैन, एचओडी एमईसीएल के साथ ही अतिरिक्त निदेशक माइंस उदयपुर, जोधपुर, कोटा, अतिरिक्त निदेशक भू विज्ञान उदयपुर,जयपुर, जोधपुर, बीकानेर, कोटा आदि ने हिस्सा लिया।