क़ासिम बीकानेरी के हिंदी कहानी संग्रह दादाजी की साइकल का लोकार्पण समारोह संपन्न : संस्कारों एवं संवेदना का सच्चा दस्तावेज दादाजी की साइकल : मधु आचार्य

विनय एक्सप्रेस समाचार, बीकानेर। नागरी भण्डार पाठक मंच एवं प्रज्ञालय संस्थान द्वारा नगर के युवा शायर कहानीकार क़ासिम बीकानेरी के राष्ट्रीय कवि चौपाल प्रकाशन द्वारा प्रकाशित नये हिंदी कहानी संग्रह दादाजी की साइकल का लोकार्पण समारोह स्थानीय महाराजा नरेंद्र सिंह ऑडिटोरियम नागरी भण्डार स्टेशन रोड बीकानेर में हुए भव्य समारोह के रूप में आयोजित किया गया।
नागरी भण्डार पाठक मंच के नंदकिशोर सोलंकी ने बताया कि दादाजी की साइकल कहानी संग्रह का लोकार्पण समारोह हिंदी एवं राजस्थानी भाषा के कीर्तिशेष साहित्यकार स्वर्गीय लक्ष्मीनारायण रंगा साहब को समर्पित किया गया।
प्रज्ञालय संस्थान के राजेश रंगा ने बताया कि लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार भवानी शंकर व्यास ‘विनोद’ ने की। विनोद ने अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए कहा कि दादाजी की साइकल की अधिकांश कहानियां मार्मिकता एवं संवेदना के चरम बिंदु को स्पर्श किए हुए हैं। यह कहानियां रोचक एवं ज्ञानवर्धक तो हैं ही साथ ही शिल्प के दृष्टिकोण से भी कहानियां बहुत शानदार है। यह कहानियां मान्यता प्राप्त 24 भारतीय भाषाओं की कहानियों से किसी भी दृष्टि से कम नहीं है।
समारोह के मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार पत्रकार मधु आचार्य ‘आशावादी’ ने कहा कि दादाजी की साइकल संग्रह की कहानियां संस्कारों एवं संवेदना का सच्चा दस्तावेज है। कहानियों का अंत पूरी कहानी को अमर बना देता है और क़ासिम बीकानेरी की कहानियों का अंत बहुत शानदार है। कहानियां हमारे समाज का दर्पण होती है। इस कहानी संग्रह को हिंदी कहानी जगत में वह मुक़ाम मिलेगा जिसकी यह कहानियां हक़दार हैं।
विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ राजस्थानी कवि कथाकार कमल रंगा ने कहा कि दादाजी की साइकल संग्रह की कहानियां सामाजिक बदलाव की आहट के साथ जीवन के हर कोने को छूने वाली सृजन से जीवन की जागती तस्वीर पाठक के सामने रखती है। रंगा ने संग्रह में शामिल नव रस की 9 कहानियों को क्रमशः कविता के रूप में पेश करके एक बेहतरीन नवाचार करके पाठकों को चमत्कृत करते हुए शानदार नजराना पेश किया।
समारोह के मुख्य वक्ता हिंदी भाषा के प्रोफ़ेसर एवं वरिष्ठ आलोचक डॉ. उमाकांत गुप्त ने अपना उद्बोधन ऑनलाइन प्रस्तुत किया। गुप्त ने कहा कि आज मानवता चूर चूर हो रही है; ऐसे वक़्त में दादाजी की साइकल मशाल बनकर संस्कारों की,मूल्यों की और मानवीयता की तरफ़दारी करती दिखाई देती है। संग्रह की कहानियां नफ़रतों के बीच प्यार ढूंढती, टूटते मूल्यों की दरारों में फंसी ज़िंदगी को तलाशती, मेहनत, मज़बूरी और मंसूबों के बीच पिसते किरदारों में हमको खोजती कहानियां और कथा रस से भरपूर कहानियां सावधान करती हैं एवं रोशनी एवं अंधेरे का फ़र्क़ बताती है। इन कहानियों का हिंदी साहित्य जगत में भरपूर स्वागत किया जाएगा।
समारोह के स्वागताध्यक्ष शबनम ज्योति पत्रिका के संपादक सोजत (पाली) के वरिष्ठ बाल साहित्यकार अब्दुल समद ‘राही’ ने कहा कि क़ासिम बीकानेरी शायरी के क्षेत्र में एक जाना पहचाना नाम है। पद्य सृजन में उनकी राष्ट्रीय स्तर पर एक अलग पहचान बनी हुई है और आज दादाजी की साइकल कहानी संग्रह के लोकार्पण के बाद गद्य सृजन के क्षेत्र में भी क़ासिम बीकानेरी का नाम राष्ट्रीय फ़लक पर अदबो-अहतराम के साथ लिया जाएगा। मेरी नेक दुआएं हमेशा उनके साथ हैं और रहेंगी।
लोकार्पित पुस्तक पर पत्र वाचन करते हुए केंद्रीय साहित्य अकादमी अनुवाद पुरस्कार से पुरस्कृत युवा साहित्यकार संजय पुरोहित ने कहा कि दादाजी की साइकल संग्रह की कहानियां सहज,सरल एवं संप्रेषणीयत्ता से भरपूर कहानियां है । क़ासिम बीकानेरी ने आसान लफ़्ज़ों में आम जनजीवन से जुड़ी हुई कहानियों का सृजन करके साहित्य प्रेमियों एवं प्रबुद्ध पाठकों को एक बेशक़ीमती तोहफ़ा दिया है, जिसकी देशभर के प्रबुद्ध पाठकों द्वारा भरपूर सराहना की जाएगी।
संग्रह पर प्रथम पाठकीय टिप्पणी बांसवाड़ा से ऑनलाइन प्रस्तुत करते हुए वरिष्ठ कवि कथाकार प्रमोद कुमार शर्मा ने कहा कि दादाजी की साइकल कहानी संग्रह बीकानेर की कहानी परंपरा को और ज़ियादा समृद्ध एवं मज़बूत करेगा। संग्रह हमें प्रोग्रेसिव बनाएगा। दादाजी की साइकल संग्रह की कहानियां आम से आम और ख़ास से खास कहानियां हैं।
कहानीकार क़ासिम बीकानेरी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर विस्तृत पत्र वाचन करते हुए वरिष्ठ संस्कृतिकर्मी डॉ. मोहम्मद फ़ारूक़ चौहान ने उनके जीवन एवं साहित्य के क्षेत्र में दिए गए योगदान के विभिन्न पहलू श्रोताओं के सामने प्रस्तुत किए।
क़ासिम बीकानेरी ने अपना उद्बोधन देते हुए तमाम अतिथियों एवं आगंतुकों का शुक्रिया अदा करते हुए नागरी भण्डार पाठक मंच एवं प्रज्ञालय संस्थान की इस गरिमामय एवं भव्य लोकार्पण समारोह के लिए सराहना की। इस अवसर पर क़ासिम बीकानेरी ने अपनी साहित्यक यात्रा के विभिन्न पहलू भी साझा किए।
इस अवसर पर संग्रह के कहानीकार क़ासिम बीकानेरी का नागरी भण्डार पाठक मंच और प्रज्ञालय संस्थान द्वारा शॉल, साफा, अभिनंदन पत्र, श्रीफल, माल्यार्पण एवं स्मृति चिन्ह अर्पित करके हार्दिक अभिनंदन किया गया। अभिनंदन पत्र का वाचन शायर इरशाद अज़ीज़ ने किया। समारोह में पधारे अनेक संस्थाओं के पदाधिकारियों द्वारा भी क़ासिम बीकानेरी का शॉल माल्यार्पण एवं उपहार भेंट करके स्वागत सम्मान किया गया।
समारोह के प्रारंभ में सभी अतिथियों द्वारा स्वर्गीय लक्ष्मीनारायण रंगा के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की गई।
सभी अतिथियों, पत्रवाचको एवं संचालक तथा कार्यक्रम के सहयोगियों को दोनों संस्थाओं द्वारा माल्यार्पण एवं स्मृति चिन्ह भेंट करके स्वागत सम्मान किया गया।
लोकार्पण उपरांत आशु कवि रतन लाल व्यास स्मृति संस्थान के श्री गोपाल व्यास द्वारा क़ासिम बीकानेरी को दादाजी की साइकल कहानी संग्रह के लिए इस साल का आशु कवि रतन लाल व्यास स्मृति साहित्य पुरस्कार प्रदान करने की घोषणा की गई। जिसके तहत संस्थान द्वारा सितंबर में फलौदी में होने वाले समारोह में क़ासिम बीकानेरी को पुरस्कृत किया जाएगा।
कार्यक्रम में अनेक प्रबुद्धजन मौजूद थे। जिनमें साहित्यानुरागी,नंदकिशोर सोलंकी, राजेश रंगा, श्री गोपाल व्यास एडवोकेट फलौदी, घीसुलाल चोरड़िया फलौदी,संजय सांखला, गिरिराज पारीक, पुनीत कुमार रंगा, हरीनारायण आचार्य, शायर बुनियाद ज़हीन, गंगा विशन बिश्नोई ‘ब्रह्मा’, शायर वली मोहम्मद ग़ौरी रज़वी,’इरशाद’ अज़ीज़, कवि कथाकार राजेंद्र जोशी, युवा साहित्यकार हरीश बी.शर्मा, इंजी. आशा शर्मा, वरिष्ठ रंगकर्मी बी.एल. नवीन, शेख़ लियाकत अली, प्रेम नारायण व्यास, जुगल किशोर पुरोहित, एडवोकेट भगवती प्रसाद पारीक, लीलाधर सोनी,कपिला पालीवाल,महावीर जांगिड़, नरेंद्र सोलंकी, मोहम्मद इस्हाक़ ग़ौरी, माजिद ख़ान ग़ौरी, साजिद हुसैन ग़ौरी, इमरोज ग़ौरी, असद अली असद, एम.रफ़ीक़ क़ादरी,जे.पी. व्यास, मोतीलाल हर्ष,नंदकिशोर आचार्य, उमेश तंवर, सैयद अब्दुल सत्तार, सैयद अनवर अली, सैयद साबिर अली, नौशाद अली,गोपाल महाराज, छगनसिंह, रमेश शर्मा, नेमचंद गहलोत, सरदार अली पड़िहार, किशन नाथ खरपतवार, शमीम अहमद शमीम, सैयद अख़्तर अली, एडवोकेट सैयद इशाक़ अली, सैयद अब्दुल सत्तार, ख़ातून बानो, मोहम्मद इस्माइल टेलर, कृष्णा वर्मा, व्यास योगेश राजस्थानी, गोपाल पुरोहित, आनंद मस्ताना, साबिर अली सैयद गोल्डी, सैयद मुस्ताक अली, धर्मेंद्र सिंह,साबिर अली आर्टिस्ट, अरुण व्यास, धर्मेंद्र राठौड़, सैयद इशान अली, श्री गोपाल स्वर्णकार, अज़ीज़ पेंटर, मोहम्मद इसहाक़ खोखर, अख़्तर अली, अब्बास अली, मोहम्मद अली, सैयद इमरान अली, सैयद मोहम्मद समीर, सय्यद मोहम्मद आफ़ताब, ज़िया मोहम्मद, सलमा बानो, इक़रा बानो, अक्शा बानो, सानिया बानो सहित अनेक लोग मौजूद थे।
सभी आगंतुकों का आभार ज्ञापन साहित्यानुरागी संजय सांखला ने किया एवं
लोकार्पण समारोह का सरस संचालन वरिष्ठ कवयित्री मोनिका गौड़ ने किया।