विनय एक्सप्रेस समाचार, जोधपुर। राजस्थान उच्च न्यायालय की एकलपीठ के न्यायाधीश अरूण भंसाली ने क्षेत्रिय वन अधिकारी प्रथम के पद पर कार्यरत चन्द्रजीत सिंह पंवार की रिट याचिका को अतंरिम रूप से स्वीकार करते हुए उसके स्थानान्तरण आदेश दिनांक 28 सितम्बर 2022 पर अंतरिम रोक लगायी है।
चन्द्रजीत सिंह वर्तमान में रेंज आतरी उप वन संरक्षक डूंगरपुर में क्षेत्रिय वन अधिकारी प्रथम के पद पर कार्यरत है। प्रार्थी का स्थानान्तरण रेंज अजमेर से रेंज आतरी, उप वन संरक्षक डूंगरपुर 25 जून, 2022 को हुआ। प्रार्थी ने 12 जुलाई 2022 को रेंज आतरी उप वन सरंक्षक के कार्यालय में कार्यग्रहण कर लिया था।
विभाग के आदेश दिनांक 18 जुलाई 2022 से प्रार्थी को रेंज अजमेर से रेंज आतरी डूंगरपुर के लिये ‘‘स्थानान्तरणधीन’’ बताते हुए रेंज रावतभाटा, उप वन संरक्षक परियोजना बैंगू स्थानान्तरण कर दिया गया। विभाग के इस कृत्य से व्यथित होकर प्रार्थी ने अपने स्थानान्तरण आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी। उच्च न्यायालय ने प्रार्थी के स्थानान्तरण आदेश पर दिनांक 28 जुलाई 2022 को स्थगन आदेश पारित करते हुये विभाग से जवाब तलब किया।
विभाग द्वारा प्रार्थी के पूर्व स्थानान्तरण आदेश दिनांक 18 जुलाई 2022 पर स्थगन के बावजुद भी दिनांक 28 सितम्बर 2022 को पूनः रेंज आतरी उप वन संरक्षक डूंगरपुर से रेंज रावतभाटा उप वन संरक्षक चितौडगढ स्थानान्तरण कर दिया गया। विभाग के इस कृत्य से व्यथित होकर प्रार्थी ने अपने अधिवक्ता प्रमेन्द्र बोहरा के माध्यम से पूनः स्थानान्तरण आदेश को चुनौती दी।
प्रार्थी के अधिवक्ता का उच्च न्यायालय के समक्ष यह तर्क था कि प्रार्थी का पूर्व में दिनांक 18 जुलाई 2022 को स्थानान्तरण किया गया था उस पर उच्च न्यायालय ने दिनांक 28 जुलाई 2022 को रेक लगा दी थी तथा वह रिट याचिका वर्तमान में उच्च न्यायालय में लम्बित है व विभाग को इसकी जानकारी पूर्ण रूप से थी इसके बावजुद भी विभाग द्वारा बिना किसी मस्तिष्क का प्रयोग किये विवादास्प्रद आदेश से पुनः दिनांक 28 सितम्बर 2022 को प्रार्थी का स्थानान्तरण कर दिया गया है। जो विधि विरूद्व व उच्च न्यायालय के स्थगन आदेश 28 जुलाई 2022 के विरूद्व है।
माननीय उच्च न्यायालय ने प्रार्थी के अधिवक्ता के तर्को से सहमत होते हुए सचिव, वन विभाग, प्रधान मुख्य वन सरंक्षक, डूंगरपुर को नोटिस जारी करते हुए चार सप्ताह में जवाब तलब किया व साथ ही प्रार्थी के स्थानान्तरण आदेश दिनांक 28 सितम्बर 2022 पर रोक लगायी।