पर्यावरण संरक्षण दान नहीं अपितु भावी पीढ़ी हेतु निवेश है- एडीजे संदीप कौर 

विनय एक्सप्रेस समाचार, हनुमानगढ़। राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, जयपुर के निर्देशानुसार सम्पूर्ण प्रदेश में विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जा रहा है जो की पूरे महीने एक अभियान के रूप में संचालित किया जाएगा। विश्व पर्यावरण दिवस को लेकर राजस्थान पत्रिका तथा प्राधिकरण के संयुक्त तत्वाधान में एसकेडी यूनिवर्सिटी हनुमानगढ़ में शिविर का आयोजन किया गया। जिसमें सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश) की सचिव श्रीमती संदीप कौर द्वारा बताया गया कि हर साल 5 जून विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य लोगों को पर्यावरण के प्रति सचेत करना है। माननीय राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जयपुर द्वारा विश्व पर्यावरण दिवस 2022 का विषय ‘‘केवल एक पृथ्वी’’ है और ‘‘प्रकृति के साथ सद्भाव में रहना’’ पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
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श्रीमती कौर ने बताया कि पर्यावरण संरक्षण में मुख्य रूप से ट्रीपल ‘‘आर’’ शामिल किये गये है जो कि रिडयूस, रिसाईकल एवं रियूज है। रिडयूस अर्थात स्थिर और अस्थिर प्राकृतिक संसाधनों के मध्यम उपयोग की आवश्यकता है। विशेष रूप से सामूहिक सभा में भोजन की बर्बादी पर भी अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। साथ ही जल, बिजली, जंगल, पेड़, नदी, समुद्र और वन्य जीवन के संरक्षण पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है क्योंकि यह चार प्रमुख घटकों जैसे स्थलमंडल, जलमंडल, वायुमंडल और जीवमंडल से संबंधित है। रिसाईल किया जाना जिसके तहत इसमें विशेष रूप से प्लास्टिक, कागज, कांच और अन्य धातुओं से बनी वस्तुओं का पुनः निर्माण शामिल है। जब तक अत्यधिक आवश्यकता न हो और विश्लेषणात्मक विचार के आधार पर विवेकपूर्ण निर्णय न लिया जाए। तब तक उससे बनी वस्तुओं का नए सिरे से उत्पादन नहीं किया जाना चाहिए। रियूज अर्थात पुनः उपयोग में लिया जाना है पुनर्चक्रण की तुलना में पुनः उपयोग पर्यावरण संरक्षण का एक बेहतर तरीका है क्योंकि पुनर्चक्रण के लिए कुछ हद तक ऊर्जा खर्च करने की आवश्यकता होती है, जबकि पुनः उपयोग में ऐसा नहीं होता है। कुछ चीजें जिन्हें हम सभी जानते हैं, का उपयोग कई बार किया जा सकता है जैसे कागज से बने लिफाफे, कार्टन प्लास्टिक और कांच से बनी बोतलें यदि इनका उपयोग करने उचित प्रकार से किया जावे तथा देखभाल की जावे तो इस प्रकार की वस्तुओं का पुनः उपयोग किया जा सकता है।
 वृक्षारोपण, जल संचयन और सौर ऊर्जा का उत्पादन और उपयोग पर्यावरण संरक्षण के सबसे महत्वपूर्ण तरीके हैं। यदि पर्यावरण पर तत्काल ध्यान नहीं दिया गया, तो निकट भविष्य में इसका दुष्परिणाम हमारी अधिकांश आबादी को स्वच्छ और सुरक्षित पानी, हवा और खाद्य पदार्थों से वंचित रहकर भुगतान होगा। सचिव श्रीमती संदीप कौर द्वारा अवगत करवाया कि भारत के प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य होगा कि वह वनों, झीलों, नदियों और वन्यजीवों सहित प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा और सुधार करे और जीवित प्राणियों के प्रति दया रखे।मानव जाति सहित सभी जीवित प्राणियों के स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव दुनिया भर में पर्यावरणीय गिरावट का परिणाम हैं। स्थाई ऊर्जा स्रोतों की खपत को कम करने के लिए, स्थाई ऊर्जा खपत पर विशेष ध्यान केंद्रित करना समय की मांग है। परिवहन में ईंधन और गैसों की खपत को हम सार्वजनिक परिवहन अथवा पूल परिवहन का अधिकतम उपयोग करके कर सकते है। आमजन को भी सार्वजनिक/पूल परिवहन का उपयोग करने हेतु प्रेरित करने के साथ-साथ टिकाऊ प्राकृतिक संसाधनों के सीमित भंडार के उपयोग के बजाय सौर ऊर्जा और वायु ऊर्जा जैसे ऊर्जा के स्थायी प्राकृतिक संसाधनों के बारे में जागरूक किया जावे तो सतत ऊर्जा स्त्रोतों की खपत को कम किया जा सकता है तथा भविष्य हेतु पर्यावरण को संरक्षित किया जा सकता है। अंत में प्राधिकरण सचिव द्वारा पर्यावरण संरक्षण हेतु उपस्थितजन को शपथ भी दिलाइ गई।