राखी के संदेश को पर्व के आदेश को मन में रमाओ रे’- विदुषी महासती महिमा श्री जी जैन धर्म में राखी पर्व का बताया महत्व

विनय एक्सप्रेस समाचार ,बीकानेर। जैन धर्म के अनुसार आठ दया महत्वपूर्ण है और इनमें दो दया अतिमहत्वपूर्ण है, एक स्व दया और दूसरी पर दया है। दूसरों को कष्ट नहीं देना, उनकी रक्षा करना पर दया है और स्व रक्षा से अभिप्राय शरीर की रक्षा से नहीं, आत्मा की रक्षा से है। आत्मा की रक्षा करने के लिए धर्म ध्यान करना चाहिए, सामायिक और स्वाध्याय करना चाहिए। यह सद्ज्ञान विदुषी महासती महिमा श्री जी म.सा. ने श्रावक- श्राविकाओं को दिया। राजेश गोयल ने बताया कि श्री अरिहन्त मार्गी जैन महासंघ के आचार्य श्री ज्ञान चंद जी म.सा. की आज्ञानुवर्ती विदुषी महासती आदि ठाणा-४ का चातुर्मास गंगाशहर नई लाइन स्थित अरिहंत भवन में चल रहा है। जहां बुधवार को रक्षा बंधन के अवसर पर उन्होंने श्रावक-श्राविकाओं को जैन धर्म में रक्षा बंधन के पर्व का महत्व बताते हुए अंकपनाचार्य मुनि और उनके सात सौ शिष्यों को हस्तीनापुर नगरी के मंत्री बलि नमुचि के कोप से मुनि विष्णुकुमार द्वारा बचाने का वृतांत सुनाया। साथ ही बताया कि जीव पर दया करना ही रक्षा करना है और इसे ही बंधन कहा जाता है। इससे पूर्व विदुषी महासती स्वर्ण रेखा जी ने श्रावक-श्राविकाओं को जीवन में क्षमा को अपनाने, प्रेम का सूत्र बांधने का पाठ पढ़ाते हुए गीतिका ‘प्रेम सूत्र दीजिए, कोट दूर कीजिए, दिल को मिलाओ रे, ज्योतियां जगाओ रे, राखी के संदेश को पर्व के आदेश को मन में रमाओ रे’ सुनाकर इसे जीवन में धारण करने की बात कही। ढ़ढ्ढा कोटड़ी में बताया राखी पर्व का महत्व
बीकानेर। रक्षा बंधन केवल बहन को ही नहीं बांधती, रक्षा सूत्र उसके लिए है, जो हर किसी के प्रति दया का भाव, जीव रक्षा का भाव रखता है। जैन धर्म में रक्षा बंधन का बड़ा ही महत्व है। इस दिन एक मुनि ने विहार कर नगर में रह रहे सात सौ मुनियों की जान बचाई थी। इसलिए इस दिन का महत्व जैन समाज में और बढ़ जाता है। आप सभी जानते हैं, जैन समाज में दया का बड़ा महत्व है। जीव पर दया करने से बड़ा कोई धर्म नहीं है। आज के दिन रक्षा बंधन हमें यही बात सिखाता है। यह सद्ज्ञान श्री शान्त क्रान्ति जैन श्रावक संघ आदि ठाणा-४ की महासती पुष्पावती जी म.सा. की आज्ञानुवर्ती साधना श्री जी म.सा. ने बुधवार को रक्षा बंधन पर्व की महत्ता बताते हुए श्रावक-श्राविकाओं को यह बात कही। वे बागड़ी मोहल्ला स्थित ढ़ढ्ढा कोटड़ी में धर्मसभा में श्रावक-श्राविकाओं को रक्षा बंधन का महत्व बता रही थी। संघ के महामंत्री विनोद सेठिया ने बताया कि इससे पूर्व सुबह णमोत्थुणम का सहजोड़ों के साथ पाठ हुआ। जिसमें बड़ी संख्या में धर्मप्रेमियों ने जाप का लाभ लिया।