विनय एक्सप्रेस समाचार, जयपुर। राजस्थान साहित्य अकादमी के पूर्व अध्यक्ष एवं नामचीन साहित्यकार वेद व्यास ने कहा है कि व्यंग्य जब तक अपनी स्थूलता से निकलकर बारीकी के साथ विसंगतियों पर प्रहार नहीं करता, तब उसकी सार्थकता नहीं है। आज व्यंग्यकार मध्यमार्ग अपना कर अपने को सुरक्षित रखते हुए व्यंग्य लेखन कर रहा है।
व्यास, मंगलवार को मालवीय नगर स्थित अपने आवास पर व्यंग्यकार प्रभात गोस्वामी के तीसरे व्यंग्य संग्रह – ‘ऐसा भी क्या सेल्फियाना’, का विमोचन करते हुए विचार प्रकट कर रहे थे। उन्होंने कहा कि किसी भी लेखक को अपने लेखन के सरोकारों को स्पष्ट तरीके से रेखांकित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रभात गोस्वामी द्वारा समसामयिक विषयों पर लिखे जा रहे व्यंग्य, नई पीढ़ी के लिए उत्साह और विश्वास का रास्ता बनाते हैं। मुझे विश्वास है कि, ‘ऐसा भी क्या सेल्फियाना,’ व्यंग्य संग्रह पढ़कर नई पीढ़ी आत्ममुग्धता से बाहर आएगी और विभिन्न क्षेत्रों में व्याप्त विसंगतियों पर प्रहार करते हुए अपनी लेखनी को धार देगी।
करौली से वरिष्ठ कथाकार, ‘पटाखा’ और ‘कसाई’ जैसी चर्चित फिल्मों के लेखक चरण सिंह पथिक ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि,’ संग्रह में शामिल व्यंग्य रचनाएँ पाठकों को कचोटती हैं। रचनाओं का कथा शिल्प पाठक को अंत तक अंत तक बांधे रखता है।
किताबगंज प्रकाशन, गंगापुरसिटी से सद्यः प्रकाशित गोस्वामी के तीसरे व्यंग्य संग्रह ,’ऐसा भी क्या सेल्फियाना’ , में चालीस व्यंग्य संकलित किए गए हैं। इसमें साहित्य, समाज, राजनीति , सोशल मीडिया, खेल, प्रशासन सहित विभिन्न क्षेत्रों में व्याप्त विसंगतियों पर कटाक्ष किए गए हैं। व्यंग्य संग्रह पर देश के सुपरिचित व्यंग्यकारों ने प्रतिक्रियाएं दी हैं।
वरिष्ठ व्यंग्यकार पूरन सरमा ने कहा कि,’ प्रभात के व्यंग्यों के शीर्षक में नयापन है। उनके व्यंग्य नए मिज़ाज के हैं। वरिष्ठ पत्रकार और व्यंग्यकार डॉ यश गोयल ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा ,’ आज की विसंगतियों पर गोस्वामी के व्यंग्य सरल और सौम्य भाषा में पंच करते हैं। सवाई माधोपुर से वरिष्ठ व्यंग्यकार प्रभाशंकर उपाध्याय ने कहा कि,’ गोस्वामी के व्यंग्यों में विषय और शैलीगत वैविध्य है। यही वजह है कि बहुत कम समय में उन्होंने व्यंग्य जगत में अपना स्थान बना लिया है।
वरिष्ठ व्यंग्यकार फारूक आफरीदी ने कहा कि,’ इस व्यंग्य संग्रह में भाषा में जो विविधता है, यह व्यंग्य लेखों को ऊंचाईयां प्रदान करती है। वहीं बीकानेर के वरिष्ठ व्यंग्यकार बुलाकी शर्मा ने कहा कि,’ गोस्वामी नित नए विषयों को लेकर शिल्पगत प्रयोगों के साथ निरंतर विसंगतियों से मुठभेड़ करते हुए व्यंग्य लिख रहे हैं।
व्यंग्य संग्रह पर दिल्ली से डॉ प्रेम जनमेजय, डॉ हरीश नवल, सुभाष चंदर, डॉ लालित्य ललित, शिकोहाबाद से अरविन्द तिवारी, नोएडा से डॉ राजेश कुमार, , उज्जैन से डॉ पिलकेन्द्र अरोरा, रायपुर से डॉ स्नेहलता पाठक , भोपाल से विवेकरंजन श्रीवास्तव , सहित अनेक व्यंग्यकारों ने प्रतिक्रियाएं दी हैं।