भेड़ निष्क्रमण से सम्बंधित समस्त दायित्वों का समय पर हो निर्वहन : मुख्य सचिव – 19 ज़िलों में एक जुलाई से 31 अक्टूबर तक रहेगा स्थायी भेड़ निष्क्रमण

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विनय एक्सप्रेस समाचार, जयपुर। मुख्य सचिव श्रीमती उषा शर्मा ने  निर्देश  देते हुए कहा कि राज्य में प्रति वर्ष भेड़ निष्क्रमण होता है, जिसको मध्यनजर रखते हुए सम्बंधित समस्त विभागों द्वारा दायित्वों का निर्वहन किया जाये। उन्होंने कहा कि  भेड़पालकों के लिए निष्क्रमण को सुविधाजनक बनाया जाये ताकि भेड़  निष्क्रमण के दौरान किसी भी प्रकार की कोई भी हानि नहीं हो।
श्रीमती शर्मा  मंगलवार को यहाँ शासन सचिवालय में भेड़ निष्क्रमण से सम्बंधित वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की अध्यक्षता कर रही थी। इस अवसर  पर  वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से समस्त ज़िलों के जिला कलेक्टर एवं जिला पुलिस अधीक्षक को निर्देशित करते हुए कहा कि आवश्यक दिशा निर्देशों की समय पर पालना सुनिश्चित की जाये। उन्होंने कहा कि प्रशासन एवं पुलिस की सतर्कता के साथ स्थानीय जनप्रतिनिधियों के सहयोग से राज्य में भेड़ निष्क्रमण को सफल बनाया जाये साथ ही भेड़ पालकों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए आवश्यक प्रयास किये जाये।
भेड़पालन में राज्य देश में चौथे स्थान पर—
इस अवसर पर पशुपालन विभाग के निदेशक डॉ. भवानी सिंह राठौड़ ने पीपीटी प्रस्तुतीकरण के माध्यम से भेड़ निष्क्रमण की प्रक्रिया की विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि वर्ष 2019 की पशु गणना के आधार पर राज्य 79.03 लाख भेड़ों की संख्या के साथ देशभर में चतुर्थ स्थान पर है। राज्य में कुल 8 प्रकार की भेड़ों की नस्लें पायी जाती है एवं वर्ष 2022-2023 में 7.54 लाख भेड़ निष्क्रमण हुआ था। उन्होंने भेड़ निष्क्रमण के मुख्य कारण विस्तार से बताते हुए कहा कि परम्परागत प्रचलन के साथ अनिश्चित वर्षा, अकाल, सूखा एवं घटते चरागाह की वजह से भेड़पालक अपनी भेड़ों को लेकर अन्य ज़िलों एवं समीपवर्ती राज्यों में चारा एवं पानी की तलाश में निष्क्रमण पर रहते है।  वही राज्य में स्थायी एवं अस्थायी  दो प्रकार का निष्क्रमण होता है, जिसके अंतर्गत स्थायी निष्क्रमण 1 जुलाई से 31 अक्टूबर एवं अस्थायी निष्क्रमण 1 नवंबर  से 30 जून तक रहता है।
19 ज़िलों में 191 भेड़ निष्क्रमण चेक पोस्ट—
डॉ. राठौड़ ने बताया कि कोटा, बूंदी, चित्तौडग़ढ़,  करौली, भीलवाड़ा, अलवर,झालावाड़ सहित कुल 7 ज़िले भेड़ निष्क्रमण के सम्बन्ध में संवेदनशील है एवं बूंदी जिला पूर्णतया संवेदनशील जिला है, वही राज्य में कोटा, बूंदी, चित्तौडग़ढ़,  करौली, भीलवाड़ा, अलवर,झालावाड़,बारां,भीलवाड़ा,दौसा,,भरतपुर, उदयपुर,सीकर, बांसवाड़ा, डूंगरपुर, धौलपुर, सवाई माधोपुर, राजसमंद, प्रतापगढ़, विराट नगर जयपुर सहित  कुल 19 ज़िलों में भेड़ निष्क्रमण चेक पोस्ट बनाये गए है. साथ ही प्रत्येक ज़िले में जिला नियंत्रण कक्ष की स्थापना की जाएगी  एवं सभी चेक पोस्ट पर पर्याप्त दवाइयां एवं टीके उपलब्ध रहेंगे।
–  भेड़ पालकों का किया जायेगा पंजीकरण एवं जारी होंगे परिचय पत्र
डॉ. राठौड़ में बताया कि भेड़ निष्क्रमण के दौरान भेड़पालको का पंजीयन कर परिचय पत्र जारी किये जायेंगे, ताकि उन्हें आवश्यक सुविधाएं प्राप्त हो सकें एवं किसी भी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े। उन्होंने बताया की इस दौरान लम्पी रोग के दृष्टिगत दिशा निर्देशों की पालना भी की जाएगी। इस सम्पूर्ण प्रक्रिया में पशुपालन विभाग के साथ जिला  प्रशासन, पुलिस , स्वास्थ्य विभाग एवं वन विभाग को संयुक्त रूप से दयित्वो का निर्वाह कर भेड़ निष्क्रमण को सफल बनाया जायेगा।
इस अवसर पर पशुपालन विभाग के अतिरिक्त निदेशक डॉ. आनंद सेजरा एवं डॉ. नवीन मिश्रा मौजूद रहे।