जैसलमेर के राष्ट्रीय मरु अभयारण्य में बसे गांवों के विस्थापन का प्रस्ताव विचाराधीन नहीं – वन राज्य मंत्री सुखराम विश्नोई

विनय एक्सप्रेस समाचार,जयपुर। वन राज्य मंत्री श्री सुखराम विश्नोई ने बुधवार को विधानसभा में स्पष्ट किया कि जैसलमेर के राष्ट्रीय मरु अभयारण्य में बसे किसी भी गांव के विस्थापन का वर्तमान मे कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। उन्होंने कहा कि डेजर्ट पार्क में कुल 53 गांव बसे हुए हैं।

वन राज्य मंत्री ने प्रश्नकाल में विधायक श्री अमीन खान के पूरक प्रश्न के उत्तर में बताया कि भारत सरकार के नियमानुसार राष्ट्रीय पार्क में 11 केवी से ऊपर की बिजली लाइन के लिए राष्ट्रीय वन्य जीव बोर्ड से अनुमति प्राप्त करना आवश्यक है। घरेलू कनेक्शन या एलटीए लाइन के लिए राजस्थान वन्य जीव बोर्ड की अनुमति प्राप्त करनी होती है। इसी तरह पेयजल कनेक्शन के लिए 4 इंच से कम की पाइप लाइन के लिए राज्य वन्य जीव बोर्ड से जबकि इससे बड़ी पाइपलाइन के लिए राष्ट्रीय वन्य जीव बोर्ड से अनुमति आवश्यक है। उन्होंने कहा कि ग्रेवल सड़क के नवीनीकरण पर राज्य वन्य जीव बोर्ड और सड़क की चौड़ाई बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय वन्य जीव बोर्ड ही अनुमति प्रदान करता है।

इससे पहले, वन राज्य मंत्री ने विधायक श्री खान के मूल प्रश्न के लिखित जवाब में बताया कि राष्ट्रीय मरु अभयारण्य में पूर्व तहसील शिव और वर्तमान तहसील गडरा रोड में बहुत से गावों में मूलभूत सुविधाएं जैसे बिजली, पेयजल और सड़क पहले से ही उपलब्ध हैं। जिन गांवों में ये सुविधाएं नहीं हैं, वहां के लिए संबंधित कार्यकारी विभाग नियमानुसार सक्षम स्तर से अनुमति प्राप्त कर कार्यवाही कर सकता है।

श्री विश्नोई ने बताया कि राज्य सरकार ने एक नोटिफिकेशन के जरिए 4 अगस्त, 1980 को राष्ट्रीय मरु अभयारण्य घोषित किया था। जिला बाड़मेर और जोधपुर की शेरगढ़ से गडरा रोड वाया शिव सड़क वर्ष 1985 में बनी है। हरसानी से गडरा रोड सड़क डेजर्ट नेशनल पार्क की सीमा पर है।

उन्होंने बताया कि वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की धारा 26(ए)(3) के अनुसार राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की अनुशंषा के बिना पार्क की सीमा कम नहीं की जा सकती है। सीमा कम करने से अभयारण्य में वन्यजीव और वनस्पति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका रहती है।