विनय एक्सप्रैस समाचार, जयपुर। डेल्फिक काउंसिल ऑफ राजस्थान की डेल्फिक डायलॉग श्रृंखला में शनिवार को राजस्थान की प्राकृतिक विरासत का खजाना दिखाया गया। सत्र के दौरान आईएफएस श्री गोविंद सागर भारद्वाज और टूरिज्म डायरेक्टर श्री निशांत जैन ने शिरकत की।राजस्थान डेल्फिक काउंसिल ऑफ राजस्थान की अध्यक्ष और वन एवं पर्यावरण विभाग की प्रमुख शासन सचिव श्रीमती श्रेया गुहा ने बताया कि डेल्फिक डायलॉग श्रृंखला के तहत आज 12वीं कड़ी आयोजित की गई। आज का विषय ‘राजस्थान: प्राकृतिक विरासत का खजाना’ के तहत वन विभाग के अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक (आईएफएस) श्री गोविंद सागर भारद्वाज ने महत्वपूर्ण जानकारी दी। टूरिज्म डायरेक्टर श्री जैन ने श्री भारद्वाज से सवाल-जवाब किए।
राजस्थान की प्राकृतिक विरासत को बेहद महत्वपूर्ण और यूनिक बताते हुए श्री भारद्वाज ने कहा कि यहां की बायोलॉजिकल डायवर्सिटी की तुलना किसी से करना सम्भव नहीं है। राजस्थान के हर क्षेत्र में अलग-अलग प्राकृतिक विरासत मौजूद है। चाहे वह अरावली पर्वत श्रृंखला हो या थार का रेगिस्तान। माउंट आबू का पहाड़ी क्षेत्र हो या मैदानी क्षेत्र। हर जगह की परिस्थितियां और इको सिस्टम अलग-अलग हैं। इसके बावजूद राजस्थान पारंपरिक रूप से बेहद समृद्ध रहा है। उन्होंने कहा कि इतनी भिन्नता होने की वजह से ही राजस्थान को देखने के लिए देश-विदेश से पर्यटक आते हैं।
श्री जैन द्वारा पूछे गए एक सवाल के जवाब में श्री भारद्वाज ने बताया कि टाइगर की फोटोग्राफी और फिल्मिंग की शुरुआत सबसे पहले राजस्थान के रणथंभौर में हुई। विश्व प्रसिद्ध टाइगर्स मछली का जिक्र करते हुए श्री भारद्वाज ने बताया कि दुनिया भर में सर्वाधिक फोटोग्राफी की जाने वाली टाइगर्स मछली ही रही है।
थार के डेजर्ट नेशनल पार्क में गोंडावण सहित अन्य वन्यजीवों का जिक्र करते हुए श्री भारद्वाज ने अपने फोटोग्राफी के खजाने को भी प्रदर्शित किया। इस दौरान उन्होंने अपने कैमरे में कैद किए गए थार में पाए जाने वाले पशु, पक्षियों और ग्रामीण क्षेत्रों के चित्र दिखाए। एक सवाल के जवाब में श्री भारद्वाज ने बताया कि विभिन्न क्षेत्रों के साथ-साथ राजस्थान टूरिज्म को जयपुर के झालाना लेपर्ड सफारी से भी बहुत सहयोग मिला है।कई वर्षों से जयपुर में आने वाले पर्यटक झालाना लेपर्ड सफारी को अवश्य देखने आते हैं। उन्होंने कहा कि शहरी क्षेत्र में ऐसी लेपर्ड सफारी कहीं और देखने को नहीं मिलती है। अंत मे श्री जैन ने धन्यवाद ज्ञापित किया जबकि सत्र के आरंभ में श्रीमती मोहिता दीक्षित ने अतिथियों का परिचय दिया।