सुकून देने वाली विधा है साहित्य : जयपुर में ‘आखर’ में साहित्यकार बिजारणियां से चर्चा

विनय एक्सप्रेस समाचार, जयपुर : रिपोर्ट- भैराराम तर्ड। जयपुर. प्रभा खेतान फाउंडेशन और ग्रासरूट फाउंडेशन की ओर से रविवार को आखर का आयोजन किया गया। श्रीसीमेंट के सहयोग से हुए इस कार्यक्रम में साहित्यकार राजूराम बिजारणियां से छैलू चारण छैल ने उनकी रचनाओं और राजस्थानी साहित्य के बारे में बातचीत की। इससे बिजाररिणां ने कहा कि साहित्य सुकून देने वाली विधा है। कवि और साहित्यकार के मन में रचना का बीज अंकुरित होता है और कृतियों का सृजन होता है। अपनी साहित्यिक यात्रा के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि कक्षा 11 और 12 में पढ़ते समय ‘कुचमादी टाबर’ पुस्तक लिखी।

इस पुस्तक को राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी की ओर से पुरस्कार भी मिला। साहित्य के साथ ही रंगमंच, चित्रकारिता में भी सक्रिय होने के बारे में बताते हुए कहा कि कक्षा 4-5 में ही पढ़ते समय भगतसिंह के बनाए चित्र को तहसील स्तर पर पुरस्कार मिला। इसके बाद अब तक 100 पुस्तकों के आवरण भी बना चुका हूं। इसके साथ ही रंगमंच से भी जुड़ा रहा जो अभी तक कई वृत्तचित्रों के निर्माण में भाग लिया है। पत्रकारिता से लेकर साहित्य तक की यात्रा की चर्चा करते हुए बिजारणिया ने बताया कि वर्ष 2012 में ‘चाल भतूळिया रेत रमां’ महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में 34 गांवों का विस्थापन हुआ। उसमें मेरा गांव भी शामिल है।

इस विस्थापन का दर्द ही इस पुस्तक में है। यह विस्थापन कविताओं के रूप में अभिव्यक्त हुआ। छैलू चारण छैल के राजस्थानी भाषा के सवाल पर कहा कि राजस्थानी शिक्षा को अधिक से अधिक बढ़ावा देना चाहिए। कक्षा ग्यारह, बारह, बी.ए. और एम.ए. में छात्र-छात्राओं को राजस्थानी भाषा लेनी चाहिए। हिंदी बनाम राजस्थानी की बात पर अब राजस्थानी का विरोध ना के बराबर है। राजस्थानी को मान्यता भी अवश्य मिलनी चाहिए इसके लिए राजनीतिक इच्छा शक्ति की कमी है। अनुवाद और छंद मुक्त कविता पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि अनुवाद मूल रचना से भी कठिन है क्यों कि अनुवादक पर जिम्मेदारी रहती है कि मूल रचना के भाव अनुवाद में आए। असल में अनुवाद पुनर्लेखन है। इसी तरह कविता भले ही छंद मुक्त हो लेकिन उसमे लय रहनी चाहिए। साहित्यकार बिजारणियां ने अपनी रचनाएं भी सुनाई।
ग्रासरूट मीडिया के प्रमोद शर्मा ने कहा कि आखर राजस्थानी का सामूहिक मंच है। आखर की ओर से राजस्थानी साहित्यकारों की पुस्तकों का प्रकाशन किए जाने की भी योजना है।आगामी माह से यह कार्यक्रम पुनः होटल आईटीसी राजपुताना में आयोजित किया जाएगा।