कुलपति समन्वय समिति की बैठक आयोजित- वित्तीय रूप से आत्मनिर्भर बनने के लिए विश्वविद्यालयों में संसाधन सृजन पर रहा जोर

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नई शिक्षा नीति के सुधारों को शीघ्र लागू करना सुनिश्चित करें विश्वविद्यालय – राज्यपाल

विनय एक्सप्रेस समाचार,जयपुर।  कुलाधिपति एवं राज्यपाल श्री कलराज मिश्र ने कहा है कि विश्वविद्यालय नई शिक्षा नीति के सभी सुधारों को शीघ्र लागू किया जाना सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि यह नीति रोजगारोन्मुखी और कौशल संवर्धन से आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने वाली तो है ही, भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों पर आधारित भी है।राज्यपाल श्री मिश्र सोमवार को राजभवन में कुलपति समन्वय समिति की बैठक के समापन सत्र में सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय वित्तीय रूप से आत्मनिर्भर बनने के लिए संसाधन सृजन करने के उपाय खोजने के लिए विशेष प्रयास करें। उन्होंने कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत आजादी आंदोलन में स्थानीय स्तर पर अहम योगदान देने वाली विभूतियों के बारे में प्रदर्शनी और गोष्ठियां आयोजित कर जागरुकता फैलाने का कार्य विश्वविद्यालयों को करना चाहिए।श्री मिश्र ने सभी विश्वविद्यालयों को अपने यहां  ’सेंटर ऑफ एक्सीलेंस’ स्थापित करने और इनके जरिए अधुनातन शिक्षण पद्धतियों से उत्कृष्ठ शिक्षा प्रदान किए जाने के भी निर्देश दिए। उन्होंने सामाजिक सहभागिता के तहत गाँव गोद लेकर  वहां विभिन्न स्तरों पर राज्य सरकार के विभागों के सहयोग से सुविधाओं का विकास कर उन्हें स्मार्ट विलेज के रूप में विकसित करने का भी सुझाव दिया।कुलाधिपति श्री मिश्र ने निर्देश दिए कि प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों में विशेष योग्य विद्यार्थियों को निशुल्क शिक्षा प्रदान करने के  लिए भी एकीकृत नीति अपनाई जाए। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों में कुलसचिव पद का कार्यकाल न्यूनतम दो वर्ष की कार्यावधि का होना चाहिए। उन्होंने खेलों और सांस्कृतिक दृष्टि से विश्वविद्यालयों को अग्रणी किए जाने और छात्राओं के लिए विशेष खेल प्रक्षिण सुविधाओं का विकास किए जाने की आवश्यकता जताई। इसके लिए स्कूल, उच्च शिक्षा और स्पोट्र्स कौंसिल के प्रभावी समन्वय से इस दिशा में निरन्तर कार्य किया जाए।
राज्यपाल ने नई शिक्षा नीति में चॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम के तहत विश्वविद्यालयों में अंतर विद्यार्थी स्थानान्तरण की प्रणाली विकसित किए जाने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि संविधान पार्क बनाने में एकरूपता रखी जाए तथा शेष विश्वविद्यालय भी प्राथमिकता से यह कार्य पूर्ण करें।स्कूल शिक्षा एवं संस्कृत शिक्षा मंत्री डॉ. बी.डी. कल्ला ने सभी विश्वविद्यालयों को 25 वर्ष का क्रमबद्ध मास्टर प्लान तैयार करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि कृषि विश्वविद्यालय अपने पास उपलब्ध विस्तृत भूमि पर कृषि नवाचार कर अपनी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ कर सकते हैं। उन्होंने नैतिक शिक्षा, रोजगारोन्मुखी शिक्षा तथा व्यवसायपरक शिक्षा का विश्वविद्यालयी शिक्षा में समावेश किए जाने की बात कही। उन्होंने आश्वासन दिया कि विश्वविद्यालयों की समस्याओं का निराकरण करने के लिए राज्य सरकार प्रतिबद्ध है।चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री श्री परसादी लाल मीणा ने कहा कि राज्य पोषित विश्वविद्यालय प्रदेश की धरोहर हैं। इनके सुदृढ़ीकरण और गुणवत्ता सुधारने के लिए राज्य सरकार के स्तर पर पूरा सहयोग उपलब्ध कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि चिकित्सा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण पहल करते हुए सरकार सभी जिलों में मेडिकल कॉलेज खोलने जा रही है।उच्च शिक्षा राज्य मंत्री श्री राजेन्द्र सिंह यादव ने कहा कि विश्वविद्यालय में कुलपति एवं कुलसचिव आपसी समन्वय से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता मानते हुए कार्य करें। उन्होंने कुलपतियों को सुझाव दिया कि वे विश्वविद्यालयों की कार्य योजनाओं के संबंध में उन्हें अवगत कराएं ताकि आगामी बजट में इनके लिए उचित प्रावधान किया जा सके। कौशल, रोजगार एवं उद्यमिता राज्य मंत्री श्री अशोक चांदना ने अपने सम्बोधन में खेलों को विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए जरूरी बताते हुए कहा कि विश्वविद्यालयों और सम्बद्ध महाविद्यालयों में खेलों के लिए उचित माहौल और सुविधाएं विकसित की जाएं।
स्कूल शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री पवन कुमार गोयल ने विश्वविद्यालय स्तर पर वित्तीय संशाधन के लिए वहां पढ़ने वाले पूर्व छात्रों की बैठकें करने, सामाजिक सहभागिता के तहत क्षेत्र विशेष के भामाशाहों से व्यक्तिशः संवाद कर उनकी सहायता लिए जाने का सुझाव दिया। उन्होंने विश्वविद्यालयों को बाजार मांग से जुड़े स्ववित्त पोषित कोर्स चलाए जाने का सुझाव दिया।कृषि विभाग के प्रमुख शासन सचिव श्री दिनेश कुमार ने कृषि विश्वविद्यालयों को अपनी भूमि का कृषि प्रयोजन के लिए अधिकतम उपयोग करने और किसी एक कृषि उत्पाद को फोकस करते हुए नवचार कृषि अपनाने का सुझाव दिया।विश्वविद्यालयों में स्वयं के वित्तीय स्त्रोत बढ़ाने, सूचना प्रौद्योगिकी से शिक्षण और बदलते परिवेश की चुनोतियों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के सम्बन्ध में राज्यपाल सलाहकार टास्क फोर्स के अध्यक्ष एवं पूर्व कुलपति प्रो. ए. के. गहलोत ने प्रस्तुतिकरण दिया। उन्होंने इसमें सभी विश्वविद्यालयों  को आगामी दस साल का वित्तीय रोड मैप बनाने, संसाधन सृजन को वित्तीय प्रबन्ध के अंतर्गत सम्मलित करने, वित्तीय रिसोर्सेज बढ़ाने के लिए समयानुकूल व्यावहारिक प्रयास किए जाने आदि पर जानकारियां साझा की।
राज्यपाल के सचिव श्री सुबीर कुमार ने समन्वय समिति बैठक के उपरान्त सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया।
बैठक में, उच्च एवं तकनीकी शिक्षा के शासन सचिव श्री नारायण लाल मीणा, श्रम एवं कौशल विभाग के सचिव श्री भानु प्रकाश येतुरु, कॉलेज शिक्षा आयुक्त श्रीमती शुचि त्यागी, वित्त (व्यय) के विशिष्ट सचिव श्री नरेश कुमार ठकराल, राज्यपाल के प्रमुख विशेषाधिकारी श्री गोविन्द राम जायसवाल ने भी विचार व्यक्त किए।
बैठक में प्रदेश के सभी राज्य पोषित विश्वविद्यालयों के कुलपतियों एवं राजभवन के अधिकारियों ने भाग लिया।
समन्वय समिति बैठक में आए महत्वपूर्ण सुझाव
-विश्वविद्यालयों में बिना व्यय भार के पदों के लिए समयबद्ध स्वीकृति मिले। शेष पदों को भी शीघ्र भरा जाए।
-आठ विश्वविद्यालयों में रिक्त कुल सचिव और वित्त नियंत्रकों के पद पर भी शीघ्र नियुक्त हो। लेखा सम्बंधित को पद खाली नहीं रहे।
-प्लेसमेंट सेल, स्टूडेन्ट एक्सचेंज कार्यक्रम, जल संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जाए।
-शैक्षणिक एवं अशैक्षणिक पदों के सेवा नियमों में सभी विश्वविद्यालयों में एकरूपता लाई जाए।
-विश्वविद्यालयों में पेंशनर्स को लम्बित पेंशन देने में आ रही समस्या के निराकरण पर चर्चा।
-विश्वविद्यालय अपने यहां जल संरक्षण और सौर उर्जा से संबंधित संयंत्र स्थापित करने के लिए कार्य करें।
-विश्वविद्यालयों को आगामी 10 साल का रोड मैप बनाकर विकास के लिए कार्य किए जाने पर जोर।
-विश्वविद्यालयों में खेल सुविधाओं के विस्तार के साथ ऎसे पाठ्यक्रम प्रारंभ हों जिनसे विद्यार्थियों को भविष्य में रोजगार के लिए न भटकना पड़े।
-विश्वविद्यालय सीएसआर गतिविधियों के तहत उद्यमियों को अपने यहां आमंत्रित कर उनसे सहयोग लें।