आईएएस एसोसिएशन, राजस्थान द्वारा आयोजन : ऑथर और लाइफ कोच रूबी अहलूवालिया ने की चर्चा

फ्रेगरेंस ऑफ ए वाइल्ड सोल’ पुस्तक पर जीवंत चर्चा का आयोजन

विनय एक्सप्रेस समाचार, जयपुर। आईएएस एसोसिएशन, राजस्थान द्वारा रविवार को ऑथर और लाइफ कोच रूबी अहलूवालिया द्वारा लिखित पुस्तक ‘फ्रेगरेंस ऑफ ए वाइल्ड सोल’ पर जीवंत चर्चा का आयोजन किया गया। यह चर्चा आईएएस लिटरेरी सोसाइटी, राजस्थान के फेसबुक पेज पर लाइव आयोजित की गई थी। ऑथर और लाइफ कोच रूबी अहलूवालिया ने चर्चा के दौरान कैंसर से जंग और अपने जीवन के निजी अनुभव, कैंसर सर्वाइवर से संजीवनी वॉरियर बनने तक का अपना सफर, केयर गिवर के रूप में अपनी जर्नी सहित विभिन्न अन्य विषयों पर चर्चा की और अपने विचार साझा किए। वे आईएएस लिटरेरी सचिव, आईएएस एसोसिएशन, राजस्थान और सचिव व आयुक्त, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, राजस्थान सरकार, मुग्धा सिन्हा के साथ बातचीत कर रही थीं।

रूबी अहलूवालिया ने कहा कि मुझे लगता है कि “मैं आज जहां भी हूं, वहां तक पहुंचने में मेरे जीवन के अनुभवों ने बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। मेरे जीवन में कई ऐसे मौके आए जब मुझे लगा कि मैंने हार मान ली है, लेकिन फिर तभी अंदर से आवाज आती थी कि मैं इतनी आसानी से कैसे हार मान सकती हूं। ऐसी विपरीत परस्थितियों के लिए खुद को तैयार करने के लिए हमें बैलेंस बनाने कि जरूरत है, ताकि बाहरी परिस्थितियां हमें प्रभावित नहीं कर सकें। उन्होंने आगे कहा कि हमें खुद के साथ समय बिताने और खुद को केंद्रित करने की जरूरत है। जो बात हमें परेशान कर रही है उस पर खुलकर बात करनी बहुत जरूरी है।”

अहलूवालिया ने आगे कहा कि हमें ‘टेकर’ नहीं बल्कि ‘गिवर’ बनने का प्रयास करना चाहिए। लोग स्वयं को सशक्त बना सकते हैं, यदि वे दूसरों को सशक्त बनाने का प्रयास करें। किसी विपरित परस्थिति या किसी बीमारी से लड़ से व्यक्ति को सांत्वना देने के बजाय हमें उन्हें एक सकारात्मक स्पेस देना चाहिए, उन्हें सुनना और समझना चाहिए कि वे क्या चाहते हैं। रूबी अहलूवालिया ने अपने एनजीओ ‘संजीवनी- लाइफ बियॉन्ड कैंसर’ शुरू करने के कॉन्सेप्ट के बारे में बात करते हुए कहा कि यह संस्था मैंने कैंसर पीड़ितो की हर संभव मदद के लिए 2012 में शुरू की थी। इसका उदेश्य कैंसर पीड़ितों के जीवन में सकारात्मकता, देखभाल और जागरूकता लाना है।