विनय एक्सप्रेस समाचार, जयपुर। जयपुर स्थित जयपुर नेशनल यूनिवर्सिटी (मेडिकल एंड इंजीनियरिंग कॉलेज) मे आयोजित कांफ्रेंस में बतौर मुख्य अतिथि डॉ.समित शर्मा ने उपस्थित श्रोताओं के समक्ष अपना उद्बोधन देते हुए कहा कि यहां आकर विधार्थी जीवन काल की यादें ताजा हो गयी, विधार्थी जीवनकाल जीवन की बुनियादी नींव होती है जिस पर ही आगे जाकर सफलता का खाका तैयार होता है, विधार्थी जीवन में हमें गुरूजनों व मार्गदर्शकों द्वारा हमेशा सच्चाई ओर अच्छाई के रास्ते पर चलना सिखाया जाता है।
जैसा बोयेंगे वैसा पायेंगे आम के बीज बोयेंगे तो मीठे रसीले आम के ही फल प्राप्त होंगे ।
शिक्षा(ज्ञान) का उद्देश्य मात्र डिग्रियां, पद, प्रतिष्ठा, नौकरी हासिल करना नहीं है ओर न ही 10 से 5 बजे के समय की सीमा बंधन होता है वरन् शिक्षा से मानव जाती के कल्याण, देश, समाज की उन्नति प्रगति तरक्की की राहें खुलती है जिससे हमारी सभ्यता व संस्कृति अंनत काल तक संजीदा रहती है अतः हमें अच्छी शिक्षा हासिल कर अपने मेहनत, संघर्ष, कर्म से मानव जाती का कल्याण करना है, देश समाज संस्कृति को शिक्षा की बदोलत अपने कंधों पर उठाकर प्रगति उन्नति तरक्की के रास्तों पर आगे बढाना है।
शिक्षा(ज्ञान) का भंडार ओर धन का भंडार मे दो सबसे बडें अंतर होतें है
(1) धन के चोरी होने की सम्भावना हमेशा बनी रहती है जबकि शिक्षा(ज्ञान) के कभी चोरी होने या खोने का कभी कोई डर नहीं होता है इसें जितना अर्जित व खर्च करेंगे ये उतनी ही बढती जायेगी
(2) धन या सम्पत्ति एक दो पीढी तक ही स्थिर रहती है फिर इसके लगातार घटते रहने की सम्भावना बढती जाती है जबकि शिक्षा व ज्ञान का भंडार कई पीढियों तक रहता है ओर लगातार इनकी किर्ती जंग मे फैलती रहती है स्वामी विवेकानंद, रविंद्रनाथ टैगोर, ज्योतीबा फूलें, महात्मा गांधी, डॉ भीमराव अंबेडकर, डॉ एपीजे अब्दुल कलाम जैसे महापुरुष इसके प्रत्यक्ष उदाहरण है शिक्षा ओर ज्ञान के इन अग्रदूतों की किर्ती आज भी विश्व में लगातार बढती जा रही है ओर युगों युगों तक अमर रहेगी जबकि इन दरमियान कई धनवान आये लेकिन एक समय के बाद विलुप्त होतें गयें अतः हमें मेडिकल शिक्षा हो या इंजीनियरिंग शिक्षा या कोई भी अन्य शिक्षा, डिग्री हो प्राप्त कर धन या सम्पत्ति निर्माण के पीछें पीछें नहीं भागना है चूंकि वह अस्थिर है बल्कि मानव जाती कल्याण व देश निर्माण में अर्पित करनी है जिससे आपकी कीर्ती लगातार बढती जाये।
ईश्वर ने अगर हमें हजारों व लाखों मे शिक्षित ओर योग्य बनने के लिए चुना है तो इसके पीछें ईश्वर का दुसरों की सहायता मदद करने का उद्देश्य छुपा हुआ है, अतः इस उद्देश्य से हमें कभी हटना या भटकना नहीं है।
इंसान के पास सफलता प्राप्त करने के लिए कर्म मेहनत संघर्ष से बडा कोई माध्यम नहीं है, अगर आपके पास ये है तो इससे आप जीवन व उम्र के किसी भी पडाव मे नयी शुरुआत कर सकतें है।
आज जो विधार्थियों है ओर कल देश का भविष्य है के पास शिक्षा ज्ञान की ताकत है तो उनके पास बडी जिम्मेदारी व जवाबदेही भी है…मानव जाती के कल्याण व देश व समाज के नवनिर्माण सृजन, आगे बढाने की जिम्मेदारी है।
आशा है हम सब मानवजाती कल्याण ओर राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान देंगे।
अंत में यादगार पल का हिस्सा बनायें जाने के लिए डॉ. समित शर्मा जयपुर नेशनल यूनिवर्सिटी के आयोजकों का ने आभार प्रकट किया।