एडीआर सेंटर परिसर में जिला न्यायाधीश ने किया पौधारोपण

विनय एक्सप्रेस समाचार,जैसलमेर। विष्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष में जिला विधिक सेेवा प्राधिकरण के तत्वाधान में आयोजित कार्यक्रम के दौरान जिला एवं सेषन न्यायाधीष रविंद्र कुुमार के निर्देषन में दो दिवसीय वृक्षारोपण कार्यक्रम का शुभारंभ एडीआर सेंटर परिसर में किया गया। इस अवसर पर क्षेत्र की जलवायु के अनुकूल विभिन्न प्रजाति के पौधे रोपित किये गये। पौधारोपण कार्यक्रम में नगर परिषद् के सभापति हरिवल्लभ कल्ला, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव सुनील कुमार बिष्नोई, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेेट हनुमान सहाय जाट, आयुक्त शषिकांत शर्मा, अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी डाॅ अर्चना व्यास, उपनिदेषक, महिला एवं बाल विकास विभाग सुभाष विष्नोई, सहायक निदेषक, महिला अधिकारिता विभाग अषोक कुमार गोयल, सहायक निदेषक, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग हिम्मतसिंह कविया, अतिरिक्त जिला षिक्षा अधिकारी कमलकिषोर व्यास, खेल अधिकारी राकेष विष्नोई, अधिवक्तागण चंदनाराम चौधरी व जहांगीर मलिक उपस्थित थे।

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव ने बताया कि पीएलवी जगदीष कुमार व अजय कुमार द्वारा नदियों के मुहाने पर अच्छी किस्म की कांटो रहित (सूँथल) युवा खेजडी के सूखे फल (खोखे) से पांच हजार के लगभग बीज निकालकर इकट्ठे किये। इन बीजों को बराबर मात्रा में गाय के गोबर व मिटटी के मिश्रण में गोल्फ बाॅल के आकार के गोले बनाकर दो-दो, तीन-तीन बीज अंगूठे से इनके ठीक मध्य में दबा दिये। ये बीज इन गोबर व मिटटी की बाॅल के बीच में दबाने के पष्चात पुनः बाॅल का आकार देकर छाया वाले स्थान में सुखा दिये। इस प्रकार तैयार किये गये बीजों को आज नगर परिषद् के सभापति व अन्य उपस्थित अधिकारीगण को वितरित किये गये।

सचिव ने यह भी बताया कि विष्व पर्यावरण दिवस 05 जून के अवसर पर भी वृक्षारोपण के साथ-साथ उक्त विधि से तैयार खेजडी के बीजों को जिला स्तरीय अधिकारियों को वितरित किये जायेंगे ताकि राज्य वृक्ष खेजडी के अधिकाधिक वृक्ष रोपित कर इस मरू भूमि को हरा-भरा किया जा सके।

सचिव ने यह भी बताया कि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सहायक प्रषासनिक अधिकारी रमेष गर्ग व प्राधिकरण की टीम के सदस्यगण आकाषदीप खत्री, भुवनेष नागर, दीनाराम, रेंवताराम, भोमाराम, वाहन चालक मनोज विष्नोई तथा पैरालीगल वाॅलेन्टियर्स जगदीष कुमार, अजय कुमार व कमलकिषोर एवं रेक्सो गार्ड प्रयागसिंह, चंदनसिंह व चतुर्भुज ने मिलकर इस शुष्क मरूभूमि में पानी की किल्लत को ध्यान में रखते हुए नवाचार के रूप में कम पानी की लागत से सांगरी जैसी गुणकारी सब्जी प्रदान करने वाले उत्पादक वृक्ष खेजडी के बीज तैयार किये।