अलोप समाधि सतं जगत जी का मेला हुआ संपन्न

विनय एक्सप्रेस समाचार, जैसलमेर। मोकला गांव के दक्षिण 7 किलोमीटर दूर पूनम नगर के देगवाड़ा मैं स्थित अलोप समाधि मैं समाय सतं श्री जगत जी का मंदिर है उनङ भाटी के पुत्र थे जगत जी उनङ भाटी वशं का गाँव हाबुर है जिसका अभी कुछ समय पहले गांव का नाम पूनम नगर रखा गया है इसी गांव के लाल वीर सपूत पूनम सिंह भाटी ने पाकिस्तानी कमांडर वह रेंजर्स से लोहा लेते हुए उनको मार कर खुद मातृभूमि की सेवा करते हुए 9 सितंबर 1965 को शहीद हुए थे इस कारण गांव का नाम पूनम नगर रखा|
जगत जी एक सरल सादगी भरा जीवन व संत के रूप में थे अपने कुछ साथी रिखियो के (मेघवाल समाज के लोग) साथ प्रत्येक दिन देगवाड़ा में अपने बनाए हुए झूम्पे (चावरे) मैं भजन करते थे यह सिलसिला प्रत्येक दिन का था एक बार जब यह सभी भजन करने अपने झूम्पे पर पहुंचे उनके साथी कुछ ही दूरी पर ही थे तब झूम्पे के अंदर से आवाज आई पृथ्वी के दो हिस्से हुए उसमें जगत जी ने अपनी अलोप समाधि लेकर धरती माता की कोख में समा गए यह सब देख रहे उनके साथियों ने जगत जी व भगवान से प्रार्थना की उन्होंने कहा कि हम भी जगत जी के बिना रह नहीं पाएंगे हमें भी धरती माता की कोख में समा दो तब जो साथी जहां खड़ा था वहां धरती माता की कोख में सभी समा गए यह 1414 ईस्वी की बात है उसके बाद उसी चावरे मे एक सिल (भारी लकङी) निकली और एक मूर्ति निकली |
आज भी देगवाङा में जगत जी के हाथ का बनाया हुआ वही चांवरा है
प्रत्येक साल के भादवा महीने की शुक्ल पक्ष की दूज की शाम को यहां मेला लगता है आसपास व अन्य कई जगह से लोग दर्शन करने के लिए आते हैं प्रत्येक साल की शाम को भोजन प्रसादी का आयोजन किया जाता है कल शाम को भरे गए मेले में पूनम नगर सरपंच प्रतिनिधि समंदर सिंह की ओर से रात्रि भोजन प्रसादी का आयोजन किया गया
पूनम नगर निवासी जालम सिंह ने बताया कि गांव से जगत जी का मंदिर 24 किलोमीटर दूर है इस दिन को सुबह से शाम तक छोटे बड़े बुजुर्ग महिलाएं पैदल यात्रा करती है और आसपास के गांव के कई लोग भी पैदल यात्रा करते हैं पूनम नगर और जगत जी के मंदिर के बीच में 8 से 10 जगह चाय वह जलपान की व्यवस्था गांव के लोगों के द्वारा की जाती है
पिछले 3 सालों से जगत जी के मंदिर का निर्माण शुरू है आने वाले 1 से 2 साल के अंदर यह मंदिर भव्य मंदिर बन जाएगा जगत जी के मंदिर के क्षेत्र के आसपास का जो इलाका देगवाङा नाम से जाना जाता है यहां पर किसी भी समय किसी भी प्रकार का शिकार व मांसाहारी भोजन व शराब का सेवन नहीं किया जाता है गांव के समस्त लोग महीने की शुक्ल पक्ष की दूज के दिन गांव में किसी भी प्रकार का मांसाहारी भोजन शराब को अपने आप से अपने घर से दूर रखते हैं यहां तक कि गांव की शराब की दुकान भी बंद रहती है


जगत जी के मंदिर पर बनने वाली मेले के दिन पूज प्रसिद्ध है

शाम को लगने वाला मेला सुबह जल्दी जब लोग अपने अपने घर पर जाते हैं तब मंदिर पर बनाई जाने वाली प्रसादी के रूप में गेहूं के दलिए के बनाई गई बाटी को चूर कर प्रसादी बनाई जाती है जिसको पूज के नाम से जाना जाता है इस पूज को लेने के लिए लोगों की बड़ी-बड़ी लाइनें बन जाती है प्रसादी स्वाद में बहुत ही अच्छी होती है जगत जी के मंदिर के पुजारी मान सिंह द्वारा मंदिर पर ज्योत प्रज्वलित करके देश के लिए जगत जी दादा से सभी की स्वस्थ रहने की कामना करते हैं|