विनय एक्सप्रेस समाचार, झुंझुनूं। डाइट परिसर में समग्र शिक्षा द्वारा संचालित मुख्य संदर्भ व्यक्तियों का बुनियादी साक्षरता एवं संख्यात्मक ज्ञान आधारित अध्यापकों के छ:दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में अन्तरराष्ट्रीय मादक द्रव्य निषेध दिवस के उपलक्ष में नशा मुक्त युवा पीढ़ी विषय को लेकर चर्चा की गई।
एसआरकेपीएस प्रतिनिधि राजन चौधरी ने प्रशिक्षण शिविर में संबोधित करते हुए कहां कि नशा एक सामाजिक बुराई है और इस बुराई से लड़ने के लिए सभी विभागों व आम लोगों को एकजुट होना होगा और इसमें सबसे ज्यादा भूमिका अध्यापक की है जो गांव के प्रत्येक व्यक्ति व बच्चें से सम्पर्क में है। चौधरी ने कहां कि नशा शरीर के लिए जहां खतरनाक है, वहीं अपराध का भी मुख्य कारण है। उन्होंने कहा कि नशे की प्रथम सीढ़ी तंबाकू जनित उत्पाद ही है जहां से बच्चा नशे की शुरुआत करता है।
उन्होंने अध्यापकों को संबोधित करते हुए कहां कि प्रत्येक शिक्षण संस्थान तंबाकू मुक्त होनी चाहिए विद्यालय के आस—पास 100 गज के दायरे में तंबाकू जनित उत्पादों की बिक्री नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहां कि प्रत्येक स्कूल में राज्य सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन व 9 सूचकांक की पालना होनी चाहिए ताकि हम तंबाकू मुक्त विद्यालय के नशा मुक्त समाज बना सके। इस अवसर पर सहायक परियोजना समन्वयक राजेन्द्र कपूरिया ने प्रशिक्षण शिविर को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षा विभाग द्वारा तंबाकू मुक्त शिक्षण संस्थान व नशा मुक्त समाज को लेकर ग्राम स्तर तक कार्य किया जा रहा है। उन्होंने प्रशिक्षणार्थियों को निर्देशित किया कि शिक्षण संस्थान के 100 गज के दायरे में अगर तंबाकू जनित उत्पादों की बिक्री हो रही है तो उसे विद्यालय प्रशासन द्वारा बंद कराई जाए अगर दुकानदार नही मानता है तो पुलिस प्रशासन को सूचित कर कोटपा अधिनियम के तहत कार्यवाही कराएं ताकि विद्यालय के आस—पास तंबाकू जनित उत्पादों की बिक्री ना हो। इस अवसर पर चाइल्ड लाइन कॉर्डिनेटर विकास राहड़ द्वारा बाल अधिकारों की जानकारी देते हुए चाइल्ड लाइन 1098 के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी गई। इस अवसर पर अतिरिक्त जिला परियोजना समन्वयक विनोद जानूं सहायक समन्वयक राजेन्द्र खीचड़ शिविर प्रभारी डॉ.नवीन ढ़ाका ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर पिरामल फाउंडेशन टीम ने नई शिक्षा नीति के अपेक्षित पहलुओं व क्रियान्वयन पर चर्चा करते हुए प्रस्तुतीकरण किया।