विनय एक्सप्रेस समाचार, जोधपुर। राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर ने एक पुलिस कांस्टेबल की हत्या प्रतीत होने जैसे मामले को पुलिस द्वारा साधारण दुर्घटना का बताकर असली गुनहगारोको बचाने पर सरकार को जमकर लताड़ लगाई, प्रार्थी नागौर के मुंडवा निवासी बलदेव राम ने अधिवक्ता ओपी सांगवा के माध्यम से आपराधिक विविध याचिका दायर कर माननीय न्यायालय में बताया की प्रार्थी का पुत्र पुलिस विभाग मे RAC 14 वी बटालियन जोधपुर में कांस्टेबल के पद पर कार्यरत था, उसकी लाश 7 अगस्त 2021 को घोड़ा घाटी बालसमंद मंडोर जोधपुर में मिली थी, लाश से थोड़ी दूर उसकी मोटर साइकल एकदम सही कंडीशन में मिली थी, उसके पास ही उसका मोबाइल, घड़ी व हेलमेट एकदम सही सलामत पड़े थे, लाश से लगभग 20 फिट दूर थोड़ा सा खून गिरा हुवा था जो किसी बोतल में भरकर एक जगह गिरने जैसा लग रहा था, मृतक व उस गिरे हुए खून के बीच में एक बून्द खून की नहीं पड़ी हुई थी,उस दिन हत्या से कुछ देर पुर्व उसी बटालियन के हेड कांस्टेबल रामरुघनाथ व फताराम साथ में ही थे व बाद में गायब हो गए, ज़ब प्रार्थी को ये दुर्घटना नहीं हत्या करने का संदेह हुवा तो प्रार्थी ने तुरंत बाद 13 सितम्बर को पुलिस महानिदेशक जयपुर,पुलिस कमिश्नर जोधपुर, RAC के कमाडेंट आदी को सही व निष्पक्ष जाँच के लिए प्राथना पत्र भेजकर न्याय दिलाने की गुहार की, मुझे मेरे पुत्र की पत्नी, हेड कांस्टेबल रामरुघनाथ व फताराम पर मेरे पुत्र की हत्या करने का पुरा यकीन था, प्रार्थना पत्र में मैंने इन सबकी मोबाइल की कॉल डिटेल निकलवाने की भी गुहार की लेकिन पुलिस ने आज दिन तक कुछ भी निष्पक्ष जाँच नहीं की, मृतक की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में गले पर कट का निशान, पेट में अंदरूनी गंभीर चोट, व मारपीट के निशान बताया गया , राजकीय अधिवक्ता ने कुछ वीडियो पेश करते हुए कहा की उसकी मृत्यु दुर्घटना से ही हुई है। माननीय न्यायालय ने पुरा वीडियो फुटेज भी देखा, जिस पर प्रार्थी के अधिवक्ता ने कहा की ये वीडियो मृतक के नहीं है, पुलिस सही तरिके से जाँच कर ही नहीं रही है, जिस पर माननीय न्यायालय ने राजकीय अधिवक्ता व अनुसन्धान अधिकारी महामंदिर थानाधिकारी लेखराज को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा की इसमे पुर्ण रूप से हत्या लग रही है। लेकिन अनुसन्धान गलत तरीके से किया जा रहा है और अनुसंधान में खामी के लिए अनुसन्धान अधिकारी से जाँच बदलने का आदेश दिया, माननीय न्यायालय ने सरकार व पुलिस कमिश्नर जोधपुर को आदेश दिया की किसी ACP रैंक से ऊपर के अधिकारी को तत्काल जाँच दी जावे और मृतक के पिता को जिन लोगों पर संदेह है उनकी व मृतक की पत्नी की पुरी कॉल डिटेल निकलवाई जाकर, मृतक के पिता के प्रार्थना पत्र को अनुसंधान में शामिल करते हुए जल्दी ही इसका खुलाशा करने का आदेश दिया, अब हाईकोर्ट ने जाँच को अपनी निगरानी में रखते हुए वापस 8 सप्ताह बाद सुनवाई मुकरर की है।
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