अलवर जिला कलक्टर डॉ. जितेंद्र कुमार सोनी : कर्म ही जिनका तप है और जनसेवा जीवनमंत्र

विनय एक्सप्रेस आलेख- हेमंत उज्ज्वल। राजस्थान का सिंहद्वार अलवर, बाबा भृतहरि की तपोभूमि, पांडवों की आश्रम स्थली तथा मतस्य की मीरां भक्तिमति समान बाई की जन्मभूमि पर 21 वीं सदी में एक और तपस्वी कदमताल कर रहा है, जिनका कर्म ही उनका तप है और उस तप की ओजस्विता के प्रभाव से अंतिम पंक्ति तक बैठा व्यक्ति भी अछूता नहीं रहता।

जालौर और नागौर की धरती पर अपने कर्तव्यबद्धता रूपी रोशनी बिखेरने के बाद अब यही कर्मरूपी नक्षत्र अलवर की धरती पर जनकल्याण के रूप में चमक रहा हैं। जनहित के काम को एक अभियान के रूप में आत्मसात करते हुए काम करने वाली वह शख्सियत है भारतीय प्रशासनिक सेवा  के अधिकारी डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी, जिन्होंने अलवर में जिला कलक्टर पद का कार्यभार संभालते ही यहां के लिए अपने संकल्पों को पूर्णता प्रदान करना शुरू कर दिया है।

ऐसे निर्णय जो शायद आजादी के बाद से अब तक किसी हुकमरान ने नहीं लिए हों, इसका जीता-जागता साक्ष्य है अलवर का वो कलक्ट्रेट कार्यालय। ऐतिहासिक किले में स्थित इस कार्यालय में जिलाधीश के कक्ष में उनकी कुर्सी के पीछे अब तलवारों और बंदूकों की जगह अशोक चिन्ह और सत्यमेव जयते लिखा हुआ है। सही शब्दों में यह कर्म ही सत्यमेव जयते को सार्थकता प्रदान करता है।

सिंहद्वार के साथ-साथ राजस्थान का स्कॉटलैंड कहा जाने वाला यह जिला अलवर अब विकास की नई राह पर चलेगा और आमजन के दुःखदर्द की बात करें तो उस पर संवेदनशीलता के साथ त्वरित न्याय हो रहा है। राजस्थान सरकार की मंशा अनुसार काम तो पहले भी हो रहा है था, पर इसमें और भी बेहत्तरपन आ गया है। अब अलवर के वे सरकारी स्कूल जो वर्षों से विद्युतविहीन थे, उन्हें अभियास उजास में प्रकाशमान किया जा रहा है।

गत 21 जुलाई को अपने पहली जनसुनवाई में एक ही दिन में अलवर कलक्टर डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी ने यहां मौजूद जनप्रतिनिधि और अधीनस्थ अधिकारियों की टीम के साथ समन्वय स्थापित करते हुए 280 से अधिक मामलों पर सुनवाई की और हर एक को राहत प्रदान करने का प्रयास किया। अखैपुरा के बाबूलाल बैरवा को नौ बाद तक चक्कर निकालने के बाद एक ही दिन में उसके घर का पट्टा बनवाने का काम इनमें प्रमुखता लिए हुए है।

आंखों में छलके आंसू और जुबां से निकली दुआ

इससे दिगर कोरोना संक्रमण के कारण दिवंगत हुए चिकित्साकर्मी की मां को राज्य सरकार की घोषणानुसार 50 लाख रूपए की सहायता संबंधी प्रकरण का निस्तारण करवाना आई.ए.एस. डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी का पुण्यकारी कदम रहा। मुंगास्का पीएचसी पर कार्यरत कार्मिक अजय की कोरोना काल के दौरान कोरोना बीमारी के कारण मृत्यु हो गई थी लेकिन उसकी आश्रिता माता को मुख्यमंत्री द्वारा घोषित सहायता राषि कई माह बीत जाने के बाद भी नहीं मिली। 21 जुलाई को अलवर जिला मुख्यालय पर हुई जनसुनवाई के दौरान यह प्रकरण सामने आने पर जिला कलक्टर डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी ने तत्काल संज्ञान लेते हुए हाथों हाथ दिवंगत अजय की माता को मुख्यमंत्री की घोषणा अनुसार पचास लाख रूपए की कोरोना सहायता राषि की स्वीकृति की कॉपी प्रदान की।