विनय एक्सप्रेस समाचार, जयपुर। मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने कहा कि जन-जन को राहत पहुंचाना हमारी प्राथमिकता रही है। कोविड के दुष्प्रभावों के बावजूद भी राजस्थान की अर्थव्यवस्था लगातार आगे बढ़ रही है। राज्य की जीडीपी का 11.04 प्रतिशत की दर से बढ़ना अर्थव्यवस्था का अच्छा प्रतीक है, सरकार की पिछले 4 साल की सकारात्मक नीतियों के कारण ही डबल डिजिट में ग्रोथ संभव हो सकी है।
श्री गहलोत राज्य सरकार के चार वर्ष पूर्ण होने पर शनिवार को मुख्यमंत्री निवास पर आयोजित समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि स्टेट जीडीपी पिछले 3 साल में 3 लाख करोड़ रुपये बढ़ी है जो राज्य के विकास का प्रतीक है। स्टेट जीडीपी का आकार बढ़कर 12 लाख करोड़ रुपये हो गया है। तीन साल में प्रति व्यक्ति आय में 26.81 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है। देश में प्रति व्यक्ति आय 6.08 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से बढ़ रही है, जबकि राजस्थान में प्रति व्यक्ति आय 8.24 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है।
बजट का 7 प्रतिशत स्वास्थ्य पर हो रहा खर्च
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं में राज्य सरकार ने अभूतपूर्व कार्य किया है। देश के बड़े राज्यों में राजस्थान एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां हेल्थकेयर पर बजट का 7 प्रतिशत खर्च हो रहा है जबकि गुजरात में सिर्फ 5.6 प्रतिशत बजट ही स्वास्थ्य पर खर्च होता है। प्रदेश में सभी को स्वास्थ्य सुविधाओं की निःशुल्क कवरेज देने की व्यवस्था लागू की गई है। राइट टू हेल्थ बिल भी लाया गया है, जो विधानसभा में विचाराधीन है। सभी सरकारी अस्पतालों में सम्पूर्ण इलाज, जांच एवं दवाएं निःशुल्क हैं। ऐसा करने वाला राजस्थान देश का पहला राज्य है। मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना में सभी सरकारी एवं निजी अस्पतालों में भी 10 लाख रुपये तक का कैशलेस इलाज़, 5 लाख रुपये का दुर्घटना बीमा दिया जा रहा है। हार्ट ट्रांसप्लांट, बोनमैरो ट्रांसप्लांट, कॉक्लियर इंप्लांट समेत तमाम महंगे ट्रांसप्लांट एवं इंप्लांट का पूरा खर्च पैकेज बनाकर राज्य सरकार दे रही है। ऐसी योजना लागू करने वाला राजस्थान देश का पहला राज्य है।
प्रत्येक जिला अस्पताल में आईसीयू की सुविधा
श्री गहलोत ने कहा कि अभी तक 337 मरीजों के करीब 11 करोड़ रुपये लागत के ट्रांसप्लांट व इंप्लांट चिरंजीवी योजना के तहत किए जा चुके हैं। तीन साल में चिकित्सा सुविधाओं में ऐतिहासिक बढ़ोत्तरी की है। अब हर जिला अस्पताल में आईसीयू की सुविधा उपलब्ध है। देश का पहला हेलिपेड वाला आईपीडी टॉवर जयपुर में निर्माणाधीन है। 33 में से 30 जिलों में सरकारी मेडिकल कॉलेज खुल रहे हैं, सभी जिलों में सरकारी नर्सिंग कॉलेज खुल रहे हैं। इससे आने वाले समय में डॉक्टर्स एवं नर्सों की कमीं खत्म हो जाएगी।
4 साल में 1639 महात्मा गांधी राजकीय इंग्लिश मीडियम स्कूल
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में किए गए कार्य अविस्मरणीय हैं। राजस्थान में 4 साल में 1639 महात्मा गांधी राजकीय इंग्लिश मीडियम स्कूल खोले गए हैं जिनमें करीब 3 लाख बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। 3 वर्षों में राज्य में 211 नए राजकीय कॉलेज खोले गए हैं। इनमें 94 बालिका कॉलेज हैं। अब जो बालिकाएं 12वीं के बाद पढ़ाई छोड़ देती थी, उनकी संख्या में बड़ी गिरावट आई है तथा राजस्थान के राजकीय कॉलेजों में पढ़ रही बालिकाओं की संख्या बालकों से अधिक हो गई है। वर्ष 2018 के बाद पत्रकारिता विश्वविद्यालय, विधि विश्वविद्यालय जैसे प्रोफेशनल विश्वविद्यालयों की शुरुआत की गई। एक दिव्यांग विश्वविद्यालय भी बनाया जाएगा। प्रदेश में आज कुल 89 विश्वविद्यालय हैैंं। 25 नए नर्सिंग कॉलेज एवं 42 नए एग्रीकल्चर कॉलेज खोले गए हैं। नीति आयोग की 2019-20 परफॉर्मेंस ग्रेड इंडेक्स में राजस्थान को A$ ग्रेड मिला है।
रिन्यूएबल एनर्जी पर फोकस
श्री गहलोत ने कहा कि कोयले पर निर्भरता कम करने तथा सोलर, विंड व बायोमॉस एनर्जी से बिजली बनाने के लिए प्रदेश में परम्परागत ऊर्जा स्रोतों के स्थान पर रिन्यूएबल एनर्जी पर फोकस किया जा रहा है। राजस्थान 16,000 मेगावॉट सोलर एनर्जी क्षमता के साथ देश में प्रथम स्थान पर है। राज्य में 1 लाख करोड़ रुपये के सोलर क्षेत्र में निवेश के डव्न् किए गए हैं, 50 यूनिट तक घरेलू बिजली मुफ्त, 150 यूनिट तक 3 रुपये एवं 300 यूनिट तक 2 रुपये प्रति यूनिट की छूट दी जा रही है। इस छूट से करीब 38 लाख उपभोक्ताओं का बिजली का बिल शून्य हो गया है।
53,789 किमी सड़कों का विकास
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में परिवहन व्यवस्था को निरंतर सुदृढ़ बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। राज्य में 24,405 करोड़ रुपये खर्च कर 53,789 किमी सड़कों का विकास किया गया, 3828 करोड़ रुपये से 8987 किलोमीटर नई सड़कों का निर्माण, 4084 करोड़ रुपये से 1068 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्गों का चौड़ाईकरण व सुदृढीकरण, लगभग 8004 करोड़ रुपये से 6448 किलोमीटर स्टेट हाईवे व मुख्य जिला सड़कों के विकास कार्य, 8489 करोड़ रुपये से 37,286 किलोमीटर लम्बाई की अन्य जिला सड़कों व ग्रामीण सड़कों का विकास हुआ। राज्य में 500 से अधिक आबादी के 697 गांवों को सड़क से जोड़ा गया, 1833 किलोमीटर की मुख्य जिला सड़कों व अन्य सड़कों को स्टेट हाईवे में क्रमोन्नत किया, 5935 किलोमीटर लम्बाई की अन्य जिला सड़कों व ग्रामीण सड़कों को मुख्य जिला सड़कों में उन्नयन किया गया है।
राज्य में बढ़ रहा निवेश
श्री गहलोत ने कहा कि RIPS-2019, लघु उद्योगों के लिए मुख्यमंत्री लघु उद्योग प्रोत्साहन योजना-2019, सोलर, विंड, ईवी, हैंडीक्राफ्ट,MSME, टूरिज्म, एग्रो बिजनेस प्रमोशन पॉलिसी सहित हर क्षेत्र के लिए उनकी जरूरतों के अनुरूप पॉलिसी बनाने से राज्य में निवेश निरंतर बढ़ रहा है। इन्वेस्ट राजस्थान समिट में देश-दुनिया के बड़े बिजनेसमैन आए और 11 लाख करोड़ रुपये के MOU व LOI हुए। पचपदरा में रिफाइनरी एवं पेट्रो केमिकल इन्वेस्टमेंट रीजन से देश का सबसे बड़ा पेट्रोलियम निवेश आ रहा है। इससे वर्तमान में करीब 16,000 लोगों को रोजगार मिला हुआ है। रिफाइनरी का निर्माण पूर्ण होने के साथ यह संख्या 1 लाख रोजगार तक पहुंचेगी। राजस्थान में देश का सबसे अधिक क्रूड ऑइल का उत्पादन हो रहा है। प्रदेश में हर सब डिविजन में रीको द्वारा औद्योगिक क्षेत्र खोले जा रहे हैं। राज्य में फिलहाल कुल 390 से अधिक औद्योगिक क्षेत्र विकसित हो चुके हैं एवं 147 नए औद्योगिक क्षेत्र विकसित किए जा रहे हैं। मेगा टेक्सटाइल पार्क एवं मेडिकल डिवाइस पार्क भी राजस्थान में स्थापित हो रहे हैं।
ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में हुआ सुधार
उन्होंने कहा कि जयपुर में फिनटेक पार्क विकसित किया जा रहा है, ताकि यहां सर्विस सेक्टर का और विकास हो सके। इस बजट वर्ष में ग्रेटर भिवाड़ी तथा बोरानाड़ा, जोधपुर में 250-250 करोड़ रुपये लागत से मल्टी स्टोरी इंडस्ट्रियल कॉम्प्लेक्स विकसित करने का प्रावधान किया गया है। MSME एस्टाब्लिशमेंट एंड फैसिलेशन एक्ट में 5 साल तक किसी भी सरकारी अनुमति की आवश्यकता नहीं है। इससे लगभग 15000 उद्योग लाभान्वित हुए हैं और 6,000 MSME यूनिट स्थापित हो चुकी हैं। राजस्थान इन्वेस्टमेंट प्रमोशन स्कीम में उद्योगों के लिए कस्टमाइज्ड पैकेज दिए जा रहे हैं। सरकारी अनुमतियों को एक ही जगह पर दिया जाना सुनिश्चित किया गया है, लघु उद्योग प्रोत्साहन योजना के माध्यम से उद्योगों के लिए सब्सिडी दी जा रही है। कृषि आधारित उद्योगों के लिए एग्रो प्रोसेसिंग, एग्री बिजनेस एंड एग्री एक्सपोर्ट प्रमोशन पॉलिसी लाई गई है, उद्योगों की सुरक्षा के लिए हम CISF की तर्ज पर RISF का गठन कर रहे हैं। हमारी निवेश बढ़ाने वाली नीतियों से प्रदेश में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में भी सुधार हुआ है।
8.85 लाख किसानों का बिजली बिल शून्य
मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्थान देश का पहला राज्य है जहां किसानों के लिए अलग से कृषि बजट लाया गया है। प्रदेश में 21 लाख किसानों का 15 हजार करोड़ रुपये का कर्ज माफ किया गया है, कृषि कनेक्शन पर 1000 रुपये प्रति महीने सब्सिडी से 8.85 लाख किसानों का बिजली बिल शून्य हो गया है। किसानों को दिन में ही कृषि बिजली उपलब्ध कराने के लिए बिजली तंत्र को और मजबूत किया जा रहा है। राजस्थान को-ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन को दूध देने वाले दुग्ध उत्पादकों के लिए 5 रुपये प्रति लीटर की सब्सिडी दी जा रही है, लघु एवं सीमान्त किसानों के लिए चिंरजीवी योजना का निःशुल्क लाभ मिल रहा है।
1 करोड़ लोगों को विभिन्न सामाजिक सुरक्षा पेंशन
श्री गहलोत ने कहा कि राज्य में करीब 1 करोड़ लोगों को विभिन्न सामाजिक सुरक्षा पेंशन दी जा रही है, मनरेगा में राज्य सरकार 25 दिन का अतिरिक्त रोजगार दे रही है, शहरों में रोजगार गारंटी के लिए इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना लागू कर शहरों में भी 100 दिन का रोजगार दिया जा रहा है, सरकारी कर्मचारियों के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम लागू कर भविष्य की चिंता मिटाई है, लॉकडाउन के दौरान 33 लाख असहाय परिवारों को किश्तों में 5500 रुपये प्रति परिवार दिए गए, कोविड से मृत्यु होने पर प्रत्येक परिवार को 50,000 रुपये, विधवा एवं अनाथ के लिए स्पेशल पैकेज दिया गया, जिसमें एकमुश्त सहायता एवं पेंशन शामिल है, शहरी निकायों में 8 रुपये में भोजन उपलब्ध करवाने के लिए 968 इंदिरा रसोई संचालित हैं।
महिलाओं की गरिमा बढ़ा रही सरकार
श्री गहलोत ने कहा कि राज्य में 600 करोड़ के बजट से उड़ान योजना में हर महिला को 12 निःशुल्क सैनिटरी नैपकिन देने की घोषणा की गई है। चिरंजीवी परिवारों की सभी महिला मुखियाओं को 3 साल की इंटरनेट कनेक्टिविटी के साथ निःशुल्क स्मार्टफोन दिए जाएंगे, इन्दिरा गांधी मातृत्व पोषण योजना के तहत महिलाओं को दूसरे बच्चे के संस्थागत प्रसव पर 6,000 रुपये दिए जा रहे हैं। बेहतरीन चिकित्सा सुविधाओं से तीन साल में IMR व MMR में बड़ी कमी आई है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में लगभग 96 प्रतिशत संस्थागत प्रसव हो रहे हैं, कामकाजी महिलाओं के लिए मुख्यमंत्री बैक टू वर्क एवं मुख्यमंत्री वर्क फ्रॉम होम योजना लागू की गई है जिससे करियर ब्रेक ले चुकी 15,000 महिलाओं को वापस काम पर लाया गया है।
युवाओं के लिए समर्पित सरकार
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में मुख्यमंत्री अनुप्रति कोचिंग योजना से 15000 बच्चों को फ्री कोचिंग मिल रही है। जिला एवं संभाग स्तर पर कॉलेज की पढ़ाई के लिए रहने वाले आरक्षित वर्ग के विद्यार्थियों को अम्बेडकर डीबीटी योजना के माध्यम से हर महीने 2 हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी जा रही है। राजीव गांधी स्कॉलरशिप फॉर एकेडमिक एक्सीलेंस योजना में 200 बच्चों को विदेश में पढ़ाई के लिए स्कॉलरशिप दी जा रही है, अब तक 1 लाख 35 हजार नौकरियां दी जा चुकी हैं, 1 लाख 20 हजार प्रक्रियाधीन हैं तथा 1 लाख और देने की घोषणा की गई है।
उन्होंने कहा कि EWS में अचल संपत्ति की शर्त को हटाकर EWS लाभार्थियों को आयु सीमा, परीक्षा शुल्क समेत अन्य लाभ भी आरक्षित वर्गों की तरह दिए जा रहे है। सरकारी नौकरी में दिव्यांगजनों का आरक्षण 3 प्रतिशत से बढ़ाकर 4 प्रतिशत किया गया है। खिलाड़ियों को प्रोत्साहन देने के लिए प्रदेश में पदक विजेता खिलाड़ियों को आउट ऑफ टर्न डीएसपी लेवल तक की नियुक्तियां दी जा रही है। अब तक 229 नौकरियां दी गई हैं। खिलाड़ियों को सरकारी नौकरी में 2 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है, पुरुषों को 4000 एवं महिलाओं व विशेष योग्यजनों को 4500 रुपये प्रति माह बेरोजगारी भत्ता एवं 4 घंटे इंटर्नशिप कराई जा रही है। सुप्रीम कोर्ट की आरक्षण संबंधी गाइडलाइंस को ध्यान में रखकर संविदाकर्मियों को नियमित करने के लिए कॉन्ट्रेक्चुअल सर्विस रूल्स बनाए गए हैं जिससे उनके नियमित होने का रास्ता खुला है। कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम में विभिन्न योजनाओं के अन्तर्गत 1.78 लाख अभ्यर्थियों को प्रशिक्षित किया गया। रेहड़ी, पटरी या अपना छोटा व्यवसाय करने वाले लोगों को इन्दिरा गांधी शहरी क्रेडिट कार्ड योजना के अंतर्गत 5 लाख लोगों को एक साल के लिए 50,000 रुपये का ब्याज मुक्त ऋण दिया जा रहा है।
FIR की अनिवार्य पंजीकरण नीति हुई सफल
मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्थान में FIR के अनिवार्य पंजीकरण की नीति के बावजूद 2021 में 2019 की तुलना में करीब 5 प्रतिशत अपराध कम दर्ज हुए हैं। गुजरात में अपराधों में करीब 69 प्रतिशत, हरियाणा में 24 प्रतिशत एवं मध्यप्रदेश में करीब 20 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। हत्या, महिलाओं के विरुद्ध अपराध एवं अपहरण में उत्तर प्रदेश देश में सबसे आगे है। सबसे अधिक कस्टोडियल डेथ गुजरात में हुई हैं, नाबालिगों से बलात्कार यानी पॉक्सो एक्ट के मामले में मध्य प्रदेश देश में पहले स्थान पर है जबकि राजस्थान 12वें स्थान पर है। अनिवार्य पंजीकरण नीति का ही परिणाम है कि 2017-18 में 33 प्रतिशत FIR कोर्ट के माध्यम से CrPC 156(3) के तहत इस्तगासे द्वारा दर्ज होती थीं। परन्तु अब यह संख्या सिर्फ 13 प्रतिशत रह गई है, इनमें भी अधिकांश सीधे कोर्ट में जाने वाले मुकदमों की शिकायतें ही होती हैं। यह हमारी सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का नतीजा है कि 2017-18 में बलात्कार के मामलों में अनुसंधान समय 274 दिन था जो अब केवल 68 दिन रह गया है। पॉक्सो के मामलों में अनुसंधान का औसत समय 2018 में 232 दिन था जो अब 66 दिन रह गया है। राजस्थान में पुलिस द्वारा हर अपराध के विरुद्ध प्रभावी कार्रवाई की जा रही है एवं सरकार पूरी तरह पीड़ित पक्ष के साथ खड़ी रहती है। वर्ष 2015 में SC एवं ST एक्ट के करीब 51 प्रतिशत मामले अदालत के माध्यम से CrPC 156(3) से दर्ज होते थे, अब यह महज 10 प्रतिशत रह गया है। यह FIR के अनिवार्य पंजीकरण नीति की सफलता है।
श्री गहलोत ने कहा कि बलात्कार के प्रकरणों में राजस्थान में सजा का प्रतिशत करीब 48 प्रतिशत है जबकि राष्ट्रीय स्तर पर ये मात्र 28.6 प्रतिशत है। महिला अत्याचार के प्रकरणों में राजस्थान में सजा का प्रतिशत 45.2 प्रतिशत है जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह 26.5 प्रतिशत है। महिला अत्याचार के प्रकरणों की पेंडिंग प्रतिशत 9.6 प्रतिशत है जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह 31.7 प्रतिशत है। IPC के प्रकरणों में राजस्थान में पेंडिंग प्रतिशत करीब 10 प्रतिशत है जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह 35.1 प्रतिशत है।
9600 करोड़ रुपये की राशि ERCP के लिए आवंटित
मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ERCP) राज्य की महत्त्वाकांक्षी परियोजना है, जिससे 13 जिलों झालावाड़, बारां, कोटा, बूंदी, सवाईमाधोपुर, अजमेर, टोंक, जयपुर, करौली, अलवर, भरतपुर, दौसा व धौलपुर को पेयजल सुविधा मिलने के साथ 2 लाख हैक्टेयर सिंचाई क्षेत्र विकसित किया जाना है।
श्री गहलोत ने कहा कि राजस्थान सरकार ने बजट 2022-23 में 9600 करोड़ रुपये की राशि ERCP के लिए आवंटित की है। ERCP के तहत ईसरदा बांध का निर्माण टोंक में चल रहा है। यदि ERCP नहीं बनती है तो इन 13 जिलों में जल जीवन मिशन के तहत लगाए जा रहे पानी के नल भी दिखावटी बनकर रह जाएंगे। ERCP को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देने में जितनी देरी होगी, उससे इसकी प्रोजेक्ट कॉस्ट बढ़ेगी और अधिक खर्च आएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जल जीवन मिशन में वर्ष 2019 से अब तक राज्य सरकार द्वारा 10,247 करोड़ रूपये व्यय कर लगभग 30 लाख परिवारों को लाभान्वित किया जा चुका है। मिशन के अन्तर्गत राज्य में अब तक 39 हजार से भी अधिक गांवों के लिए वित्तीय एवं प्रशासनिक स्वीकृतियां जारी की जा चुकी हैं, जो कि मिशन के कुल लक्ष्य का 99 प्रतिशत है। प्रदेश की विषम भौगोलिक परिस्थितियों और छितराई बसावट के बावजूद जल जीवन मिशन के कार्यों को पूरा करने में कोई कमी नहीं रखी जा रही है।
राजस्थान में गांव-ढाणियों के बीच दूरी अधिक होने से घर-घर पेयजल उपलब्ध करवाने में लागत अन्य राज्यों से कई गुना ज्यादा आती है, कुछ परिस्थितियों में तो प्रति कनेक्शन लागत 1 लाख रूपये से भी अधिक है। इसे देखते हुए केन्द्र सरकार द्वारा प्रदेश को जल जीवन मिशन में 90ः10 के तहत सहायता उपलब्ध करानी चाहिए। रूस तथा यूक्रेन के युद्ध के कारण कई वस्तुओं के दाम में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। इससे भी मिशन के क्रियान्वयन में कठिनाइयां आई है। इस कारण केंद्र सरकार को मिशन की समय-सीमा को बढ़ानी चाहिए, जिससे मिशन का लाभ हर परिवार को मिल सके।
कर्मचारी हित में लागू किया OPS
श्री गहलोत ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने जनवरी 2004 से सरकारी सेवा में आने वाले लोगों के लिए पूर्व पेंशन योजना (OPS) के स्थान पर अंशदायी पेंशन योजना (NPS) का निर्णय लिया। उन्होंने राज्य सरकारों को भी NPS में शामिल होने का मौका दिया तो पश्चिम बंगाल के अलावा लगभग सभी राज्य सरकारें NPS में शामिल हो गईं क्योंकि NPS में राज्य सरकारों के पैसे की बचत हो रही थी। NPS लागू होने के बाद जब NPS के पात्र कर्मचारी रिटायर होने लगे तो देखने में आया की वस्तुस्थिति बहुत अच्छी नहीं है।
उन्होंने कहा कि NPS के लिए बनाई गई अथॉरिटी PFRDA (पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डवलपमेंट अथॉरिटी) पर लोकसभा में बहस के दौरान बनी स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट में भी लिखा हुआ है कि लेबर यूनियन, एम्पलॉयी यूनियन NPS के विरोध में हैं। NPS के माध्यम से पेंशन की राशि बेहद कम थी। 2018 में CAG की रिपोर्ट में NPS को सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा देने में असफल बताया गया। 2021 में नेशनल ह्यूमन राइट कमीशन ने NPS को रिव्यू करने के लिए एक कमिटी बनाने की मांग की। PFRDA ने भी बताया है कि शेयर मार्केट में कर्मचारियों के NPS में जमा करीब 1600 करोड़ रुपये डूबने की कगार पर पहुंच गए हैं। ज्यूडिशयल पे कमीशन ने भी ज्यूडिशियरी में OPS को ही लागू रखा है। आर्मी, नेवी, एयरफोर्स में OPS है और अर्द्धसैनिक बलों में NPS है, जबकि दोनों ही नौकरिया हाई रिस्क नौकरियां हैं। इसको ध्यान में रखते हुए राजस्थान सरकार ने OPS बहाल करने का निर्णय लिया। अभी तक 1 जनवरी 2004 से नौकरी लगकर रिटायर हुए 238 मामलों में OPS का लाभ स्वीकृत किया जा चुका है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि OPS पर केन्द्रीय एजेंसियों का सवाल उठाना उचित नहीं है क्योंकि संविधान की सातवीं अनुसूची में केन्द्रीय सूची, राज्य सूची एवं समवर्ती सूची के विषय निर्धारित किए गए हैं। आर्टिकल 246 राज्यों को राज्य सूची के विषयों पर फैसले लेने का अधिकार देता है। सातवीं अनुसूची में राज्य सूची का बिन्दु संख्या 42 स्पष्ट कहता है कि स्टेट पेंशन जो राज्य की समेकित निधि (कंसोलिडेटेड फंड) से दी जाएंगी उन पर राज्य को कानून बनाने का अधिकार है। देश ने 2004 तक जो विकास किया और अभी भी जो कर रहा है उसमें OPS वाले कर्मचारियों का ही अधिक योगदान है।