लम्पी त्वचा रोग से बचाव एवं आयुर्वेदिक औषध व्यवस्था : आयुर्वेदिक उपचार हेतु सुझाव जारी

विनय एक्सप्रेस समाचार, नागौर। गौवंशीय पशुओं में फैल रही लंपी स्किन डिजीज के बचाव एवं उपचार के लिए आयुर्वेद विभाग के शासन सचिव ने आयुर्वेदिक उपचार के सुझाव जारी किए हैं।

क्या है लम्पी त्वचा रोग
लम्पी त्वचा रोग ((Lumpy Skin Disease) एक वायरल बीमारी है जो मवेशियों में लंबे समय तक रुग्णता का कारण बनती है ये रोग पॉक्स वायरस लम्पी स्किन डिजीज वायरस (Pox virus Lumpy Skin Disease Virus, एलएसडीवी) के कारण होता है यह पूरे शरीर में दो से पांच सेंटीमीटर व्यास की गांठों के रूप में प्रकट होता है विशेष रूप से सिर, गर्दन, विभिन्न अंगों, थन ( मवेशियों की स्तन ग्रंथि) और जननांगों के आसपास गांठे धीरे-धीरे बड़े और गहरे घावों की तरह खुल जाती हैं।


लंपी स्किन डिजीज के लक्षणः-
इसके लक्षण आमतौर पर हल्के से लेकर गंभीर रूप तक होते हैं । 41 डिग्री सेल्सियस से ऊपर तेज बुखार पहला लक्षण है।
पशु सुस्त, उदास हो जाता है एवं चारा खाने से इंकार कर देता है और कमजोर हो जाता है।
छाती क्षेत्र और कोहनी क्षेत्र के पास सूजन के परिणामस्वरूप लंगड़ापन होता है।
त्वचा के नीचे आकार में 2.5 सेमी दृढ़ स्पष्ट गोल पिंड पूरे शरीर में विकसित होते हैं (विशेष रूप से सिर गर्दन, विभिन्न अंगों शरीर के उदर भागों और थन के आसपास)
7 से 15 दिनों के भीतर नोड्यूल्स टूटने लगते हैं और खून बहने लगता है और इसके परिणामस्वरूप माइयासिस हो सकता है।
इस घाव से संक्रमित जानवरों में सांस लेने में कठिनाई देखी जाती है। जब ये गांठे ठीक हो जाती है तो ये जानवरों के शरीर पर एक स्थायी निशान छोड़ जाती हैं।

संक्रमण से बचाव के उपायः-
तुलसी के पत्र 1 मुट्ठी, दालचीनी 5 ग्राम, सोंठ पाउडर 5 ग्राम, काली मिर्च 10 नग, गुड़ आवश्यक मात्रा। यह सामग्री एक खुराक की मात्रा है। इस खुराक को सुबह शाम लड्डू बनाकर खिलाएं।या आंवला, अश्वगंधा, गिलोय एवं मुलेठी में से किसी एक को 20 ग्राम की मात्रा में गुड़ मिलाकर सुबह शाम लड्डू बनाकर खिलाएं।

आयुर्वेदिक पशु चिकित्सा औषध व्यवस्था-
संक्रमण होने के बाद प्रथम तीन दिनों के लिए औषध व्यवस्थाः-
पान के पते 10 नग, काली मिर्च पाउडर 10 नग, ढेलेवाला नमक 10 नग, गुड़ आवश्यक मात्रा। ये सामग्री एक खुराक की मात्रा है।इस सामग्री को अच्छी तरह से पीसकर गुड़ के साथ मिलाकर लड्डू बना लें।
पहले तीन दिनों तक संक्रमित पशु को हर 3 घंटे में एक लड्डू खिलाएं।

संक्रमण होने के 4 से 14 दिनों में मुख से देने वाली औषध व्यवस्थाः-
नीम के पते 1 मुट्टी, तुलसी के पत्ते 1 मुट्ठी, लहसुन की कली 10 नग, लौंग 10 नग,काली मिर्च पाउडर 10 नग, पान के पत्ते 5 नग, छोटे प्याज 2 नग, धनिये के पत्ते 15 ग्राम, जीरा 15 ग्राम, हल्दी पाउडर 10 ग्राम, गुड़ आवश्यकतानुसार। ये सामग्री एक खुराक की मात्रा है।इस सामग्री को अच्छी तरह पीसकर गुड़ के साथ लड्डू बना लें।पशु को सुबह शाम और रात को लड्डू खिलाएं।

खुले घाव के लिए स्थानिक उपचार-
नीम के पत्ते 1 मुठ्ठी, तुलसी के पत्ते 1 मुट्ठी, मेंहदी पत्ते 1 मुट्ठी, लहसुन की कली 10 नग, हल्दी पाउडर 10 ग्राम, नारियल का तेल 500 मिली इस सामग्री को पीसकर 500 मिलीलीटर नारियल के तेल में धीरे धीरे पका लें एवं तेल को ठंडा करें।
नीम की पत्ती पानी में उबाल कर घाव को साफ करने के बाद उपरोक्त तैल घाव पर लगाएं।

लम्पी स्किन रोग से बचाव एवं संक्रमित पशुओं के स्नान (सफाई) की व्यवस्थाः
पशुओं के स्नान के लिए 25 लीटर पानी में एक मुट्ठी नीम की पत्ती का पेस्ट एवं 100 ग्राम फिटकरी (अधिकतम) मिलाकर प्रयोग करना चाहिए। इस घोल से स्नान के 5 मिनट पश्चात् सादे पानी से स्नान कराना चाहिए।

लम्पी स्किन रोग से बचाव एवं संक्रमित पशुओं के लिए धूपन व्यवस्थाः
संक्रमण रोकने के लिए पशु बाड़े में और गायों के बीच गोबर के छाणे ,कण्डे , उपले जलाकर उसमें गुगल कपूर, नीम के सूखे पत्ते लोबान को डालकर सुबह शाम धुआं करें।