राजस्थान प्रशासनिक सेवा परिषद ईकाई ने मुख्यमंत्री के नाम सौंपा ज्ञापन

अलवर जिले में एसडीएम के साथ बहरोड विधायक द्वारा किये गये दुव्र्यवहार का जताया विरोध

विनय एक्सप्रेस समाचार, नागौर। राजस्थान प्रशासनिक सेवा परिषद ईकाई नागौर ने गुरुवार को मुख्यमंत्री के नाम जिला कलक्टर को ज्ञापन सौंपकर अलवर जिले के बहरोड में पदस्थापित एसडीएम संतोष कुमार मीणा राजस्थान प्रशासनिक अधिकारी के साथ स्थानीय विधायक बलजीत यादव द्वारा किए गए दुव्र्यवहार को लेकर विधायक के विरूद्ध नियमानुसार कड़ी कार्यवाही करने तथा उन्हें विधायक पद से बर्खास्त करवाने की मांग की है। ईकाई के सदस्यों ने ज्ञापन में बताया कि एसडीएम संतोष कुमार मीणा 5 जुलाई को अपने राजकीय कर्तव्यों एवं दैनिक रूटिन के तहत राजकीय औषधालय भवन की जमीन देखने एवं इससे संबंधित अन्य कार्य हेतु फील्ड विजिट में थे।

इसी दौरान बहरोड़ विधायक बलजीत यादव द्वारा उपखण्ड कार्यालय का भारी भीड़ के साथ औचक निरीक्षण किया गया। विधायक के निरीक्षण के दौरान एसडीएम संतोष कुमार मीणा फील्ड विजिट में होने से कार्यालय में नहीं मिले। इस संबंध में एसडीएम ने विधायक को दूरभाष पर अवगत करवाते हुए बताया कि वह राजकीय कार्य से फील्ड विजिट में है, उनको उपखण्ड कार्यालय में आने में एक-दो घण्टे लगेंगे। इस दौरान विधायक अपने समर्थकों के साथ भारी भीड़ के साथ उपखण्ड कार्यालय में ही बैठे रहे तथा उपखण्ड अधिकारी के आते ही उनके चैम्बर में आ गये एवं उपखण्ड अधिकारी पर बिना किसी प्रमाण एवं ठोस आधार के अनर्गल आरोप लगाते रहे। इस दौरान उपखण्ड मजिस्ट्रेट ने विधायक को बताया कि उन्होंने कोई गलती की है या गलत काम किया है तो वह जांच करवा सकते है, इसके बावजूद विधायक बार-बार उपखण्ड अधिकारी पर अमर्यादित एवं असभ्य तरीके से बिना किसी प्रमाण एवं ठोस आधार के अनर्गल आरोप लगाते रहे तथा एसडीएम पर शराब पीकर कार्यालय में बैठने का बेहद ही झूठा आरोप लगा दिया। जिस पर विधायक को जिला कलक्टर से इसकी जांच करवाने हेतु कहा गया। इस दौरान उपखण्ड मजिस्ट्रेट ने इसकी जांच करवाने हेतु तुरंत जिला कलक्टर द्वारा चिकित्सकों से मेडिकल जांच करवाने हेतु कहा गया। इसके बाद भी विधायक उपखण्ड मजिस्ट्रेट के कार्यालय चैम्बर में ही बैठ कर उपखण्ड मजिस्ट्रेट को अपषब्द कहते रहे और उपखण्ड मजिस्ट्रेट को उनके चैम्बर से भी बाहर नही निकलने दिया तथा उनके ही चैम्बर में अनावष्यक ही बंधक बनाकर रखा गया एवं राजकार्य में अनावष्यक बाधा पहुंचायी गई। इसके बाद मेडिकल बोर्ड में शामिल चिकित्सकों की जांच रिपोर्ट में एसडीएम मीणा द्वारा शराब पीना नहीं पाया गया।


इस पर ईकाई ने बताया कि विधायक द्वारा उपखण्ड मजिस्ट्रेट को उनके ही चैम्बर में बंधक बनाकर अनर्गल व शराब पीने का झूठा आरोप लगाकर राजस्थान प्रशासनिक सेवा के जिम्मेदार अधिकारी की मानहानि की गई है। जिसकी भरपाई किसी भी तरह से नहीं की जा सकती है। इस प्रकार विधायक द्वारा की गई इस निम्न स्तरीय हरकत से ना केवल उपखण्ड अधिकारी की मानहानि हुई है, छवि खराब हुई है, बल्कि प्रदेश के समस्त प्रशासनिक अधिकारियों की गरिमा को ठेस पहुंची है। विधायक द्वारा की गई इस निम्न स्तरीय हरकत पर राजस्थान प्रशासनिक सेवा परिषद ईकाई के सदस्यों ने कड़ी निंदा करते हुए विधायक के खिलाफ राजकार्य में बाधा पहुंचाने की कार्रवाई करने की मांग की है तथा इस संबंध में उच्च स्तरीय जांच करवाकर विधायक के विरूद्ध नियमानुसार कड़ी कार्यवाही कर उन्हें विधायक पद से बर्खास्त करवाने की मांग भी की है। ईकाई सदस्यों ने बताया कि इसके बाद भी यदि कोई ठोस कार्यवाही नही की जाती है तो प्रदेष के राजस्थान प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों द्वारा इस संबंध में व्यापक तरीके से विरोध दर्ज करवाया जाएगा। इस दौरान राजस्थान प्रषासनिक सेवा परिषद ईकाई के सदस्य नागौर के अतिरिक्त जिला कलक्टर मनोज कुमार, जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जवाहर चैधरी, सहायक कलक्टर रामजस बिश्नोई, एसडीएम अमित चैधरी, तहसीलदार सुभाषचंद्र, बुधराज दहिया, दिनेश कटाणियां आदि मौजूद रहे।